Wheat flour price: नए साल में आटे की महंगाई से मिलेगी राहत! कृषि मंत्रालय ने किया ऐसा काम, गेहूं का होगा रिकॉर्ड उत्पादन
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Wheat flour price: नए साल में आटे की महंगाई से मिलेगी राहत! कृषि मंत्रालय ने किया ऐसा काम, गेहूं का होगा रिकॉर्ड उत्पादन

Wholesale Wheat price: नए साल की शुरुआत होने से पहले ही आम जनता के लिए खुशखबरी आ चुकी है. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल गेंहू की बंपर फसल होने वाली है. जिससे आटा भी सस्‍ता होने की उम्‍मीद है.     

Wheat flour price: नए साल में आटे की महंगाई से मिलेगी राहत! कृषि मंत्रालय ने किया ऐसा काम, गेहूं का होगा रिकॉर्ड उत्पादन

Buy Wheat Flours: साल 2022 का अप्रैल-मई का महीना जब यूरोप में युद्ध चला रहा था. वहीं रूस-यूक्रेन वार की वजह से दुनियाभर के कई देशों में मानो गेंहू का अकाल पड़ चुका था. ऐसे में कई देश भारत से गेंहू खरीदना शुरू कर चुके थे, लेकिन अप्रैल माह में बिगड़े मौसम की वजह से इंडिया में भी गेंहू का उत्‍पादन कम हुआ. जिससे गेंहू के दामों में और आग लगी. ऐसे कई कारणों की वजह से आज मार्केट में आटा बहुत ऊंचे दाम पर पहुंच गया है, लेकिन अब जनता को राहत मिलने वाली है क्‍योंकि इस साल गेंहू का रकबा बढ़ चुका है. इसके चलते बंपर फसल होने की उम्‍मीद है और अगर ऐसा होगा तो गेंहू का आटा सस्‍ता होगा ही.      

बंपर फसल होगी इस साल 

कृषि मंत्रालय के एक सीनियर ऑफिसर ने बताया है कि इस साल रबी फसलों की बुवाई लगभग पूरी हो चुकी है. उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में गन्ने की कटाई के बाद बुवाई होगी. यहां जनवरी में बुवाई पूरी होगी. उन्‍होंने बताया कि किसानों को पिछले साल भी समर्थन मूल्य से ज्‍यादा कीमत मिली थी. ऐसे में इस साल भी किसानों को ज्‍यादा भाव मिलने की उम्‍मीद है. इसी के चलते गेहूं के रकबे में बढ़ोतरी देखी गई है. वर्तमान में गेहूं की उपज बेहतर दिखाई दे रही है. मंत्रालय ने उम्मीद जताई है कि अगर मौसम की स्थिति अच्छी रहती है तो रिकॉर्ड उत्पादन होने वाला है. आंकड़ों के मुताबिक, इस रबी सीजन में 30 दिसंबर तक धान की बुवाई का रकबा भी 16 लाख 53 हजार हेक्टेयर हो गया है, जबकी पिछले साल ये आंकड़ा 13 लाख 70 हजार हेक्टेयर था.

क्‍या दालें होंगी सस्‍ती 

गेंहू के अलावा दालों का रकबा भी इस साल बढ़ गया है. इस अवधि में लगभग 153 लाख हेक्टेयर का रकबा हो चुका है. आपको बता दें कि इस रबी की फसल में कुल दलहन में से 105.61 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में चना बोया गया है. इन आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि मोटे और पौष्टिक अनाज की फसल का रकबा पहले के मुकाबले पहले से बढ़ा है. पिछले साल यह आंकड़ा 44.85 लाख हेक्टेयर पर था, जो बढ़कर अब 46.67 लाख हेक्टेयर हो चुका है.

तेल की खेती भी हुई ज्‍यादा 

मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 30 दिसंबर तक तिलहनों का कुल रकबा भी बढ़कर 103.60 लाख हेक्टेयर हो चुका है, पिछले साल की अवधि में यह आंकड़ा 94.96 लाख हेक्टेयर पर ही था. इस रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि रेपसीड-सरसों का रकबा पहले के मुकाबले बढ़ा है. पिछले साल 86.56 लाख हेक्टेयर था, जो अब बढ़कर 94.22 लाख हेक्टेयर हो चुका है.

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