10वीं बोर्ड के स्टूडेंट्स को अब नहीं रहेगी फेल होने की टेंशन, महाराष्‍ट्र सरकार ने लिया ये फैसला
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10वीं बोर्ड के स्टूडेंट्स को अब नहीं रहेगी फेल होने की टेंशन, महाराष्‍ट्र सरकार ने लिया ये फैसला

Maharashtra Board: 10वीं के स्टूडेंट्स को अब फेल होने की चिंता करने की जरूरत नहीं है. महाराष्‍ट्र बोर्ड ने फैसला लिया हैं कि उन्हें अगली क्लास में प्रमोट किया जाएगा. इस फैसले की वजह है शिक्षा प्रणाली को ज्यादा फ्लेक्सिबल बनाना है. पढ़िए पूरी खबर...

10वीं बोर्ड के स्टूडेंट्स को अब नहीं रहेगी फेल होने की टेंशन, महाराष्‍ट्र सरकार ने लिया ये फैसला

Maharashtra Board 10th Students: महाराष्ट्र बोर्ड की 10वीं की परीक्षा देने जा रहे स्टूडेंट्स के लिए एक जरूरी खबर हैं. अब क्लास 10 में पढ़ रहे स्टूडेंट्स बेफिक्र होकर अपनी बोर्ड परीक्षा की तैयारी करें, क्योंकि अब आपको फेल होने की चिंता नहीं सताएगी. दरअसल, महाराष्ट्र सरकार ने 10वीं के स्टूडेंट्स के हित में एक बड़ा फैसला लिया है, जिसके मुताबिक स्टूडेंट्स को अगली क्लास में प्रमोट किया जाएगी. राज्य सरकार की इस नई नीति के तहत साइंस और मैथ्स में फेल होने के बावजूद स्टूडेंट्स 11वीं में एडमिशन पा सकेंगे. महाराष्ट्र के स्कूल शिक्षा के लिए करिकुलम फ्रेमवर्क (SCF-SE) के तहत यह जानकारी साझा की गई है.

अगली क्लास में प्रमोट करने का फैसला 
महाराष्ट्र सरकार की इस नई नीति के मुताबिक अगर 10वीं के छात्रों को साइंस और मैथ्स सब्जेक्टस में केवल 20- 20 नंबर भी मिलते हैं, तो वे उन्हें अगली क्लास यानी 11वीं में प्रमोट कर दिया जाएगा. 

क्यों लिया गया यह फैसला? 
इस फैसले को लेने के पीछे महाराष्‍ट्र का मुख्य मकसद है स्कूल ड्रॉपआउट रेट को कम करना. इसके साथ ही बच्चों के लिए शिक्षा प्रणाली को ज्यादा लचीला बनाना है. इससे स्टूडेंट्स को इन दो सब्जेक्ट में बेहतर नहीं कर पाने के बाद भी दूसरे विषयों के साथ आगे बढ़ने का मौका मिलेगा.

नंबर सुधारने का भी मिलेगा मौका
राज्य सरकार की नीति केवल मैथ्स और साइंस के लिए लागू होगी. हालांकि, मैथ्स और साइंस में फेल होने वाले स्टूडेंट्स को फिर से परीक्षा देने का भी मौका मिलेगा. 

अब यह तो वक्त ही बताएगा कि महाराष्‍ट्र सरकार का यह फैसला स्टूडेंट्स के लिए फायदेमंद साबित होगा या नहीं, लेकिन इस समय इस बात को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी हुई है. एक ओर लोग महाराष्‍ट्र सरकार के इस फैसले से खुश हैं, दूसरी तरह कई लोग असहमति भी जता रहे हैं. एजुकेशन सेक्टर से जुड़े कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी नीति से एजुकेशन लेवल गिरने की संभावना ज्यादा है, क्योंकि इससे स्टूडेंट्स के बीच कॉम्पिटिशन की भावना कम होगी और वह मेहनत करने से बचेंगे. 

छात्रों को जाएगा गलत संदेश! 
विशेषज्ञों का तर्क है कि इसका गलत प्रभाव बच्चों के फ्यूचर पर पड़ सकता है, क्योंकि मैथ्स और साइंस महत्वपूर्ण विषय हैं. इस नीति के चलते छात्र का इन विषयों को गंभीरता ले नहीं लेंगे, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता खराब होगी.

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