हवाई जहाज चलाते समय पायलट को कैसे पता चलता है रास्ता?
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हवाई जहाज चलाते समय पायलट को कैसे पता चलता है रास्ता?

How Does Pilot Find Their Route: पायलट को हवाई जहाज चलाते समय सही रास्ता जानने के लिए विभिन्न नेविगेशन सिस्टम्स, जीपीएस, रेडार, और ATC के साथ तालमेल का उपयोग करना पड़ता है. ये सभी उपकरण पायलट को सुरक्षित, सटीक, और प्रभावी तरीके से उड़ान भरने में मदद करते हैं.

हवाई जहाज चलाते समय पायलट को कैसे पता चलता है रास्ता?

How Does Pilot Know Route While Flying Airplane: हवाई जहाज चलाते समय पायलट को रास्ता पता करने के लिए कई आधुनिक तकनीकों और उपकरणों का उपयोग करना पड़ता है. ये सभी तकनीकें पायलट को सुरक्षित और सही दिशा में उड़ान भरने में मदद करती हैं. आइए जानते हैं कि पायलट को रास्ता जानने में कौन-कौन सी चीजें सहायक होती हैं.

1. नेविगेशनल इंस्ट्रूमेंट्स (Navigation Instruments): हवाई जहाज में कुछ खास नेविगेशनल उपकरण होते हैं, जो पायलट को सही दिशा और रास्ता दिखाते हैं:

- जीपीएस (Global Positioning System): GPS एक सैटेलाइट-बेस्ड नेविगेशन सिस्टम है, जो पायलट को हवाई जहाज की सही लोकेशन और दिशा बताता है. इससे पायलट को यह जानकारी मिलती है कि वे कहां हैं और उन्हें कहां जाना है. यह अत्यधिक सटीक होता है और सभी मौसमों में काम करता है.

- एयरलाइंस का ऑटो-पायलट सिस्टम: ऑटो-पायलट सिस्टम एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम है, जो विमान को प्रोग्राम किए गए मार्ग पर स्वचालित रूप से उड़ने में मदद करता है. पायलट उड़ान शुरू होने से पहले ही प्लान सेट कर सकते हैं, और ऑटो-पायलट सिस्टम उस पर आधारित उड़ान को कंट्रोल करता है.

- एयर नेविगेशन रेडार (Air Traffic Control Radar): पायलट एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) के साथ संपर्क में रहते हैं, जो ग्राउंड से विमान की स्थिति को ट्रैक करते हैं और पायलट को आवश्यक दिशा निर्देश देते हैं. ATC पायलट को अन्य विमानों से दूर रहने और सुरक्षित उड़ान मार्ग के बारे में जानकारी देता है.

2. नेविगेशनल रेडियो सिस्टम (Navigational Radio System): हवाई जहाजों में कई रेडियो नेविगेशन सिस्टम्स होते हैं, जो पायलट को सही दिशा और रास्ता जानने में मदद करते हैं.

- VOR (VHF Omnidirectional Range): VOR एक रेडियो नेविगेशन सिस्टम है, जो विमान को दिशा बताता है. यह ग्राउंड स्टेशन से सिग्नल भेजता है और पायलट इन सिग्नल्स की मदद से दिशा का पता लगाते हैं.

- DME (Distance Measuring Equipment): DME एक उपकरण है जो पायलट को ग्राउंड स्टेशन से विमान की दूरी मापने में मदद करता है. यह VOR के साथ मिलकर काम करता है.

- ADF (Automatic Direction Finder): यह एक उपकरण है जो विमान का एक रेडियो सिग्नल की दिशा की ओर मार्गदर्शन करता है. इससे पायलट को पता चलता है कि वे किस दिशा में उड़ रहे हैं.

3. फ्लाइट मैनेजमेंट सिस्टम (Flight Management System - FMS):

यह एक कंप्यूटर सिस्टम होता है, जो विमान के मार्ग की योजना बनाता है और उड़ान को स्वचालित रूप से कंट्रोल करता है. पायलट FMS में उड़ान की जानकारी डालते हैं, जैसे कि उड़ान की ऊंचाई, स्पीड और दिशा. इसके बाद यह सिस्टम विमान को सही मार्ग पर ले जाता है.

4. एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) का मार्गदर्शन:

हवाई जहाज की उड़ान के दौरान पायलट लगातार ATC के संपर्क में रहते हैं. ATC पायलट को हवाई मार्ग, ऊंचाई, और मौसम की जानकारी देता है. अगर किसी कारण से पायलट रास्ता भटकते हैं, तो ATC उन्हें सही मार्ग पर वापस लाने में मदद करता है.

5. इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS):

जब हवाई जहाज लैंड करता है, तो पायलट ILS का उपयोग करते हैं. यह एक रेडियो नेविगेशन सिस्टम है, जो विमान का रनवे की दिशा में मार्गदर्शन करता है, खासकर जब मौसम खराब होता है और विजिबिलिटी कम होती है.

6. वेदर रेडार और सिस्टम्स (Weather Radar and Systems):

पायलट विमान में लगे वेदर रेडार और सिस्टम्स का उपयोग करके यह भी देखते हैं कि उन्हें किस दिशा में उड़ान भरनी है, ताकि वे खराब मौसम से बच सकें. यह सिस्टम उन्हें तूफान, बारिश, और अन्य मौसम संबंधी खतरों के बारे में जानकारी देता है.

7. एविऑनिक्स सिस्टम (Avionics Systems):

आधुनिक हवाई जहाजों में एविऑनिक्स सिस्टम होते हैं, जो विमान के अंदर लगे विभिन्न नेविगेशन और कम्युनिकेशन सिस्टम्स का कंट्रोल और मॉनिटर करते हैं. पायलट इस सिस्टम के जरिए उड़ान के विभिन्न पहलुओं को कंट्रोल कर सकते हैं.

8. विजुअल रिफरेंस (Visual Reference):

दिन के समय और साफ मौसम में पायलट रनवे, पर्वत, झील, नदियां, और अन्य दृश्य रिफरेंस का उपयोग करके दिशा का अनुमान लगा सकते हैं. हालांकि, यह तरीका अधिकतर आपातकालीन स्थितियों में या विमान के लैंडिंग और टेकऑफ के समय उपयोग किया जाता है.

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