Madhya Pradesh Education News: बस्तों का भारी वजन या बोझिल होमवर्क अब स्कूली बच्चों के पांवों की बेड़ी नहीं बनेंगे. शिक्षा को और दिचस्प बनाने के लिए एमपी की मोहन यादव सरकार ने ऐसी पॉलिसी जारी कर दी है, जिसे काफी अहम माना जा रहा है.
Trending Photos
Madhya Pradesh New School Bag Policy: मध्यप्रदेश में अब बच्चों के लिए स्कूल में पढ़ना और दिलचस्प हो जाएगा. राज्य में गठित हुई मोहन यादव सरकार ने प्रदेश में नई स्कूल बैग पॉलिसी लागू कर दी है. इस पॉलिसी में कहा गया है कि स्कूलों में अब एक दिन नो बैग डे होगा यानी कि उस दिन स्टूडेंट्स बिना बैग के स्कूल जाएंगे. जबकि एक दिन नो होमवर्क डे होगा. इसके साथ ही क्लासेज के हिसाब से बच्चों के बैग्स का अलग- अलग वजन भी निर्धारित किया गया है. माना जा रहा है कि इस स्टूडेंट्स बैग पॉलिसी से बच्चों को काफी राहत मिलेगी और वे पढ़ने में ज्यादा दिलचस्पी लेंगे.
स्कूली बच्चों को मिलेगी राहत
अधिकारियों के मुताबिक स्कूलों में लंबे समय से स्कूल बैग के भारी बोझ को लेकर समस्या देखी जा रही थी. बैग का वजन लगातार बढ़ते जाने की वजह से बच्चों को पीठ दर्द की समस्या से जूझना पड़ रहा था. इसके साथ ही बच्चों पर होमवर्क का लोड भी बढ़ रहा है. ऐसे में नई पॉलिसी लागू होने के बाद अब स्कूली बच्चों को बैग से 1 दिन की छूट मिलेगी, जिससे उन्हें रिलेक्स मिलेगा.
बच्चों को एक दिन नहीं ले जाना होगा बैग
एमपी सरकार की नई पॉलिसी के मुताबिक अब स्कूलों में पहली से 12वी तक बच्चों को बैग नहीं ले जाना होगा. वहीं नर्सरी से लेकर दूसरी कक्षा तक छात्रों को 1 दिन होमवर्क भी नही दिया जाएगा. इसके अलावा अब पहली से 12वीं तक के बच्चों के स्कूल बैग का वजन भी निर्धारित कर दिया गया है. पहली कक्षा के छात्रों के बैग का वजन 2 किलो 200 ग्राम से ज्यादा नहीं होगा. जबकि दसवीं कक्षा के छात्र का बैग का वजन 4 किलो 500 ग्राम से ज्यादा नहीं होगा.
होमवर्क से भी एक दिन के लिए मिलेगी मुक्ति
हालांकि जब ज़ी मीडिया ने स्कूलों में बैग और होमवर्क को लेकर पड़ताल की तो 7 वी कक्षा के स्टूडेंट्स के बैग का वजन 7 किलो से ज्यादा मिला. बच्चों ने बताया कि स्कूल में इतना होमवर्क मिलता है कि वह 1 दिन में पूरा भी नही हो पाता और ऐसे में कई बच्चे डर के कारण स्कूल भी नहीं जाते. इसी डर को दूर करने के लिए प्रदेश की नई बीजेपी सरकार इस पॉलिसी को लेकर आई है.
पहले सही ढंग से लागू नहीं हो पाई थी पॉलिसी
ऐसा भी नहीं है कि इस तरह की पॉलिसी पहली बार आई है. इससे पहले भी ऐसी नीति लाई गई गई थी लेकिन स्कूलों में उसका पालन नहीं किया गया. यहां तक अधिकतर स्कूलों और बच्चों को इस नियम की जानकारी तक नहीं थी. ऐसे में पॉलिसी फ्लॉप होकर रह गई थी. अब नई नीति घोषित करते हुए इसे सरकारी और प्राइवेट, सभी तरह के स्कूलों में सख्ती से लागू करने की बात कही गई है. इस पॉलिसी के आने से बच्चे जहां खुश हैं, वहीं पैरंट्स भी उत्साहित नजर आ रहे हैं.