Deaf Education Programs: सरकार द्वारा दिव्यांगजनों की शिक्षा के लिए विशेष प्रावधान किए जा रहे हैं. खासतौर पर बधिर छात्रों के लिए साइन लैंग्वेज डिप्लोमा कोर्स उपलब्ध कराए गए हैं. बधिर छात्रों के लिए साइन लैंग्वेज उनके सीखने और संवाद का सबसे प्रभावी माध्यम है...
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Sign Language Diploma Courses: केंद्र सरकार ने विशेष रूप से दिव्यांगजनों की शिक्षा के लिए नए कोर्स तैयार किए हैं. इनमें साइन लैंग्वेज डिप्लोमा कोर्स सबसे अहम है, जो बधिर छात्रों को मुख्यधारा में लाने में मदद करेगा. दिव्यांगजनों को साइन लैंग्वेज के कोर्स कराए जाएंगे. साइन लैंग्वेज डिप्लोमा कोर्स देशभर के बधिर छात्रों के लिए शिक्षा का एक नया रास्ता खोल रहा है. यह न केवल उन्हें मुख्यधारा में लाने का प्रयास है, बल्कि उनकी प्रतिभा और कौशल को भी निखारने का अवसर है.
सरकार की पहल से दिव्यांगजनों बहुत को फायदा होगा. दरअसल, भारत सरकार ने आज, 4 दिसंबर 2024 को राज्यसभा में बताया कि दिव्यांगजनों की शिक्षा के लिए स्पेशल प्रोविजन किए जा रहे हैं. खासतौर पर बधिर छात्रों के लिए साइन लैंग्वेज डिप्लोमा कोर्स उपलब्ध कराए गए हैं. सरकार की यह पहल दिव्यांगजनों की शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि साबित हो सकती है.
दिव्यांगजनों के लिए सरकार की पहल
सरकार के मुताबिक 2024-25 में ऐसा डिप्लोमा उपलब्ध कराने वाले संस्थानों की संख्या बढ़कर 50 से ज्यादा हो चुकी है. सरकार दिव्यांगजनों के जनसांख्यिकीय आंकड़ों के लिए मुख्य रूप से जनगणना के आंकड़ों पर निर्भर करती है. जनगणना 2011 के अनुसार भारत में कुल 2.68 करोड़ लोग दिव्यांग बताए गए हैं. इनमें से 19 प्रतिशत लोग सुनने में असमर्थ हैं.
बधिर छात्रों को कैसे मिलेगा लाभ?
साइन लैंग्वेज कोर्स के माध्यम से बधिर छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने, रोजगार के अवसर खोजने और समाज में बेहतर संवाद स्थापित करने में मदद मिलेगी. यह कोर्स छात्रों को आत्मविश्वासी और आत्मनिर्भर बनाएगा.
बधिर छात्रों के लिए 42 संस्थान डिप्लोमा इन साइन लैंग्वेज इंटरप्रिटेशन (DISLI) उपलब्ध करा रहे हैं. वहीं, 13 संस्थान डिप्लोमा इन टीचिंग इंडियन साइन लैंग्वेज (DTISL) संचालित कर रहे हैं. वर्ष 2024-25 में, डिप्लोमा इन टीचिंग इंडियन साइन लैंग्वेज पाठ्यक्रम संचालित करने वाले संस्थानों की संख्या 7 से बढ़कर 13 हो गई है. डिप्लोमा इन साइन लैंग्वेज इंटरप्रिटेशन पाठ्यक्रम संचालित करने वाले संस्थानों की संख्या 20 से बढ़कर 42 हो गई है.
भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र (ISLRTC) ने बधिरता और श्रवण हानि के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. वर्तमान में, इस विभाग के अंतर्गत राष्ट्रीय संस्थानों और समग्र क्षेत्रीय केंद्र में 665 छात्र डीआईएसएलआई और डीटीआईएसएल में प्रशिक्षण ले रहे हैं.
आईएसएलआरटीसी ने कॉरपोरेट, कॉलेज, विश्वविद्यालय आदि स्थानों पर निशुल्क जागरूकता सत्र आयोजित किए हैं. 1,000 से अधिक प्रतिभागियों को बधिरता और आईएसएल के बारे में जागरूक किया गया है.
साइन लैंग्वेज टीचर्स की ट्रेनिंग
सरकार साइन लैंग्वेज कोर्स को सफल बनाने के लिए प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति कर रही है. इन शिक्षकों को विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है, ताकि वे साइन लैंग्वेज के माध्यम से छात्रों को प्रभावी ढंग से पढ़ा सकें.
आईएसएलआरटीसी द्वारा विकसित आईएसएल शब्दकोश को क्षेत्रीय भाषा उपयोगकर्ताओं के लिए सुगम बनाने और इसके दायरे का विस्तार करने के लिए 10 अतिरिक्त क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवादित किया गया है. पहले से शामिल अंग्रेजी और हिंदी के अलावा 10 भाषाओं, असमिया, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, ओडिया, पंजाबी, तमिल और तेलुगु, को आईएसएल शब्दकोश में अपडेट किया गया है.
आईएसएलआरटीसी हर साल बधिर स्कूली बच्चों और आईएसएल कोर्सेस जैसे डीआईएसएलआई, डीटीआईएसएल, डीएड./बीएड./एमएड. विशेष शिक्षा (एचआई) के प्रशिक्षुओं के लिए आईएसएल प्रतियोगिता आयोजित करता है.
साइन लैंग्वेज कोर्स की विशेषताएं
साइन लैंग्वेज डिप्लोमा कोर्स का उद्देश्य छात्रों को विभिन्न विषयों को साइन लैंग्वेज के माध्यम से सिखाना है. इसमें शब्दावली, व्याकरण और सांकेतिक भाषा के साथ-साथ संस्कृति और तकनीकी कौशल भी सिखाए जाते हैं.
इसका उद्देश्य यह है कि स्कूलों को आईएसएल के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके. सरकार ने देशभर के सभी केंद्रों में डीआईएसएलआई और डीटीआईएसएल पाठ्यक्रमों के प्रवेश और बैचों को बढ़ाया है. बुधवार को यह जानकारी केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री बीएल. वर्मा ने राज्यसभा में दी.
(इनपुट - आईएएनएस)