Prashant Suresh Bhojane: प्रशांत ने अपने सपने को पूरा करने की दिशा में जर्नी 2015 में शुरू की थी, जब वह पहली बार परीक्षा में शामिल हुए और आखिरकार नौवें प्रयास में सफल हुए.
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Prashant Suresh Bhojane Rank: 32 साल प्रशांत सुरेश भोजने ने यूपीएससी 2023 क्रैक कर लिया है. प्रशांत की मां महाराष्ट्र के ठाणे में एक सफाई कर्मचारी के रूप में काम करती हैं. प्रशांत के लिए संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) परीक्षा में पास होना हमेशा से उनका सपना था, और उन्होंने अंततः लक्ष्य को पूरा करने के लिए सभी बाधाओं के बावजूद डटे रहे. मंगलवार को घोषित यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई) 2023 के फाइनल रिजल्ट में प्रशांत ने 849वीं रैंक हासिल कर परीक्षा पास की.
कब शुरू की तैयारी
प्रशांत ने अपने सपने को पूरा करने की दिशा में जर्नी 2015 में शुरू की थी, जब वह पहली बार परीक्षा में शामिल हुए और आखिरकार नौवें प्रयास में सफल हुए. उनकी उपलब्धि ने खरतन रोड स्वीपर्स कॉलोनी के लोगों को खुश होने की वजह दी है. जहां उनका परिवार रहता है, क्योंकि उन्होंने बुधवार रात जश्न में एक जुलूस निकाला.
मां सफाई कर्मचारी
इसमें कुछ लोकल पॉलिटिशियन भी शामिल हुए थे. प्रशांत की मां ठाणे नगर निगम (टीएमसी) में सफाई कर्मचारी के रूप में काम करती हैं, जबकि उनके पिता नगर निकाय में चतुर्थ कैटेगरी कर्मचारी हैं. उनके परिवार के सदस्यों ने कहा कि उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी की, लेकिन उस फील्ड में नौकरी करने में उनकी दिलचस्पी नहीं थी क्योंकि आईएएस अधिकारी बनना हमेशा से उनका सपना था. प्रशांत ने कहा कि यूपीएससी परीक्षा देने के दौरान उन्होंने 2020 में दिल्ली में एक कंपटीटिव एग्जाम कोचिंग सेंटर में काम करना शुरू किया, जहां उन्हें स्टूडेंट्स के मॉक टेस्ट चेक करने का काम दिया गया.
पढ़ाई के साथ कमाई भी की
उन्होंने कहा, "इस तरह मैं पढ़ाई के साथ-साथ अपनी आजीविका भी कमा सकता हूं." उन्होंने कहा कि उनके माता-पिता नियमित रूप से उन्हें परीक्षा देना बंद करने और घर लौटने के लिए कहते थे, लेकिन उन्हें विश्वास था और दृढ़ संकल्प था कि वह एक दिन अपना लक्ष्य हासिल करेंगे. उन्होंने कहा, "जब मैं यूपीएससी की परीक्षा दे रहा था, तो मेरे माता-पिता चुपचाप सहते रहे, लेकिन अब इसका फल मिला है." उनके पिता सुरेश भोजाने ने कहा कि वह अपने बेटे को यूपीएससी परीक्षा पास करते देखकर बहुत खुश हैं.
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बेटे का फैसला सही था
उन्होंने कहा, "पहले मैं चाहता था कि मेरा बेटा नौकरी करे, लेकिन अब हमें लगता है कि उसने जो फैसला किया था वह बिल्कुल सही था." कई नगर निकायों में श्रमिक संघ को कंट्रोल करने वाले 'श्रमिक जनता संघ संघ' के महासचिव जगदीश कैरालिया ने कहा कि प्रशांत की सफलता की कहानी इलाके के हर घर में मनाई गई. उन्होंने कहा, "किसी को सफाईकर्मियों को कम नहीं आंकना चाहिए क्योंकि उनके बच्चों में भी प्रतिभा है. इस लड़के ने इसे साबित किया है और हमें गौरवान्वित किया है. वह कॉलोनी में दूसरों के लिए एक आदर्श है."
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