IIT से इंजीनियरिंग के बाद MNC में जॉब, लाखों की सैलरी छोड़ 2 बार क्रैक की UPSC की परीक्षा; कौन हैं बिहार के IAS कुमार
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IIT से इंजीनियरिंग के बाद MNC में जॉब, लाखों की सैलरी छोड़ 2 बार क्रैक की UPSC की परीक्षा; कौन हैं बिहार के IAS कुमार

IAS Story: कुमार रवि बिहार के उन आईएएस अफसरों में से एक हैं, जो अपने काम के लिए जाने जाते हैं. हाल ही में वह अचानक हुए अपने ट्रांसफर को लेकर सुर्खियों में थे. कौन हैं IAS कुमार रवि और उन्होंने कहां से पढ़ाई की है... 

IIT से इंजीनियरिंग के बाद MNC में जॉब, लाखों की सैलरी छोड़ 2 बार क्रैक की UPSC की परीक्षा; कौन हैं बिहार के IAS कुमार

IAS Kumar Ravi Success Story: हमारे देश में कई ऐसी आईएएस ऑफिसर हैं, जो अपने बेहतरीन काम की बदौलत अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुए हैं. बिहार कैडर के आईएएस कुमार रवि भी इन्हीं में से एक हैं. वह उन आईएएस ऑफिसरों में से एक हैं, जिन्होंने प्राइवेट सेक्टर में अपनी बेहतरीन सैलरी पैकेज और आरामदायक जिंदगी छोड़कर यह करियर चुना. आइए जानते हैं क्या है आईएएस ऑफिसर कुमार रवि की सफलता की कहानी....

कुमार रवि बैच 2005 के IAS अधिकारी हैं. हाल ही में उनका ट्रांसफर मुख्यमंत्री सचिवालय में किया गया है. वह पटना कमिश्नर के पद पर काम कर रहे थे, अब उनकी जगह आईएएस अधिकारी मयंक वरवड़े को यह जिम्मेदारी मिली है. इससे पहले वह पटना डीएम के पद पर बेहतरीन काम कर चुके हैं. 

नालंदा में हुआ जन्म 
आईएएस कुमार रवि नालंदा बिहार के रहने वाले हैं. उनका जन्‍म और स्कूली शिक्षा नालंदा से ही हुई है. इसके बाद उन्होंने आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में सफलता हासिल की थी और इस एंट्रेस एग्जाम में उनकी 142वीं रैंक थी. इसके बाद कुमार रवि ने आईआईटी कानपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री ली और इंजीनियर बन गए. 

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इंजीनियर से UPSC तक का सफर
इसके बाद साल 2001 में बतौर इंजीनियर दिल्‍ली स्थित एक मल्टी नेशनल कंपनी जॉइन कर ली. अच्छी खासी सैलरी होने के बावजूद कुमार का मन प्राइवेट जॉब में नहीं लगा, तो उन्होंने इसे छोड़ने का फैसला ले लिया. जनवरी 2002 तक काम करने के बाद कुमार ने जॉब छोड़ यूपीएससी सिविल सर्विस एग्जाम की तैयारी शुरू कर दी. वह इतने जुनूनी थे उन्होंने अपने पहले प्रयास में साल 2003 में सिविल सेवा परीक्षा निकाल ली. हालांकि, वह इंडियन रेवेन्यू सर्विस (IRS) के लिए सिलेक्ट हुए. यहां आयकर सहायक आयुक्त के तौर पर काम किया, लेकिन सपना तो अब भी अधूरा था, क्योंकि उन्हें आईएएस ही बनना था.  

IAS के लिए हुआ चयन
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में नौकरी करने के बाद भी वह सिविल सर्विस परीक्षा के लिए तैयारी करते रहे. उनकी मेहनत रंग लाई और साल 2005 में वह भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए चयनित हो गए और उन्हें बिहार कैडर मिला. वह अपने काम को लेकर पूरी तरह से समर्पित है. इसी की बदौलत वह अपने सीनियर अधिकारियों के बीच एक अलग पहचान बना सके. कुमार रवि ने अपने कार्यकाल में कई सराहनीय कार्य किए. आईआईटी कानपुर की ओर से उन्हें 2020 में सत्येंद्र के. दुबे मेमोरियल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. 

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