दिव्यांगता नहीं बनी राह की रुकावट, IAS अखिला बीएस के संघर्ष और सफलता की कहानी भर देगी जोश
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दिव्यांगता नहीं बनी राह की रुकावट, IAS अखिला बीएस के संघर्ष और सफलता की कहानी भर देगी जोश

UPSC Success Story: अखिला के एक टीचर ने उन्हें यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के बारे में बताया. उन्होंने रिसर्च और सारी जानकारी इकट्ठा  की, जिसके बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की. कई बार असफल होने के बाद उन्होंने अपना सपना पूरा किया.

दिव्यांगता नहीं बनी राह की रुकावट, IAS अखिला बीएस के संघर्ष और सफलता की कहानी भर देगी जोश

IAS Akhila BS Success Story: यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए जबरदस्त मेहनत के साथ-साथ कई उतार-चढ़ाव का भी सामना पड़ता है. जो एस्पिरेंट्स इन मुश्किलों को पार कर डटे रहते हैं, वो आखिरकार सफलता हासिल कर ही लेते हैं. आईएएस ऑफिसर अखिला बी एस ने अपनी विकलांगता को अपनी सफलता के आड़े नहीं आने दिया. यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल करने वाली अखिला की कहानी आपकी आंखें नम कर देगी, लेकिन आपके अंदर भी कुछ बेहतर हासिल करने का जोश भर देगी. 

बचपन में हो गई थी हादसे का शिकार
एक सरकारी हाई स्कूल के पूर्व प्रधानाध्यापक की बेटी अखिला 11 सितंबर 2000 को एक बस दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गई थी और उन्होंने अपना दाहिना हाथ खो दिया था. जर्मनी के डॉक्टरों से बात करने के बावजूद भी ऐसा कोई हल नहीं निकला, जिससे उनका हाथ पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सका. वक्त के साथ अखिला बाएं हाथ से अपने सभी काम करना सीख गईं. 

तीन बार मिली असफलता
अखिला ने अपनी बोर्ड परीक्षा हाईएस्ट ग्रेड के साथ पूरी की. अखिला ने आईआईटी मद्रास से इंटीग्रेटेड एमए की डिग्री हासिल की है. उन्होंने 2019 में यूपीएससी की तैयारी शुरू की और लगातार तीन साल 2020, 2021 और 2022 यूपीएससी की परीक्षा दी.  वह अपने तीनों में प्रीलिम्स निकालने में सफल रहीं, लेकिन मेन्स में नाकामयाबी ही हाथ लगती थी. आखिरकार साल 2023 में अखिला ने इस उपलब्धि को हासिल कर ही लिया. यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में अखिला ने 760वीं रैंक हासिल की. 

टीचर ने दिखाई राह
अखिला ने बताया था, "आईएएस का सपना मेरे शिक्षक ने दिया था, जिन्होंने मुझे कलेक्टर के पेशे के बारे में बताया था. मैं इससे प्रभावित हुई और ग्रेजुएशन के तुरंत बाद अपनी तैयारी शुरू कर दी." उन्होंने बेंगलुरु के एक संस्थान से एक साल तक कोचिंग ली. इसके बाद वह केरल वापस आ गईं और तिरुवनंतपुरम स्थित संस्थान से मदद ली. इसके अलावा उन्होंने यूपीएससी के हर एक टॉपर को फॉलो किया. 

ये थी सबसे बड़ी चुनौती
सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के दौरान उन्हें कई बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा. चुनौती यह थी कि यूपीएससी का सफर लंबा था और इसके लिए कड़ी मेहनत की जरूरत थी.  तैयारी और परीक्षा के दौरान बाएं हाथ का उपयोग करना और पीठ दर्द के साथ लगातार बैठे रहने से उन्हें बहुत तकलीफ होती थी.  

अखिला ने अपने दर्द की कहानी बताते हुए कहा, "मेरे लिए समस्या तीन-चार घंटे तक लिखना था. मैं थक जाती थी और मेरा शरीर दर्द करता था. मुख्य परीक्षा के लिए मुझे तीन दिनों तक लगातार लिखना पड़ता था."

हर हाल में पाना था लक्ष्य
अखिला ने बताया कि मैंने आईएएस बनने का लक्ष्य तय कर लिया था और हर हाल में इसे हासिल करना था. इसके लिए उन्होंने फैसला किया कि वह उस समय तक परीक्षा की तैयारी करेंगी जब तक वह अपनी पसंद की सेवा के लिए नहीं चयनित नहीं हो जाती.

माता-पिता और परिवार को दिया श्रेय
अखिला ने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार को देते हुए कहा "मेरे परिवार ने मुझे जो समर्थन दिया, मैं उसे बयां नहीं कर सकती. मुझे न केवल मेरे माता-पिता, बल्कि पूरे परिवार से सपोर्ट मिला." 

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