बिना कोचिंग निकाली UPSC परीक्षा, मिली ऑल इंडिया 6th रैंक, लेकिन क्यों लिया IAS ना बनने का फैसला
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बिना कोचिंग निकाली UPSC परीक्षा, मिली ऑल इंडिया 6th रैंक, लेकिन क्यों लिया IAS ना बनने का फैसला

UPSC Success Story: गहना ने अपनी तैयारियों के बारे में बताते हुए कहा कि उनके माता-पिता उन्हें कोचिंग के लिए कहीं भी भेजने को तैयार थे, लेकिन उन्होंने सेल्फ स्टडी का ऑप्शन चुना और छोटे भाई ने उनके लिए मॉक इंटरव्यू तैयार किए

बिना कोचिंग निकाली UPSC परीक्षा, मिली ऑल इंडिया 6th रैंक, लेकिन क्यों लिया IAS ना बनने का फैसला

Gahana Navya James UPSC Success Story: यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा निस्संदेह भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है. उम्मीदवार इस परीक्षा को पास कर देश की सम्मानिक नौकरियां जैसे भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और भारतीय विदेश सेवा (IFS) हासिल कर सकते हैं. यह परीक्षा तीन चरणों में आयोजित की जाती है - प्रीलिम्स, मेन्स और इंटरव्यू राउंड.

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2022 के नतीजे ने 23 मई, 2023 को घोषित किए गए थे. इसमें इशिता किशोर, गरिमा लोहिया, उमा हरथी एन और स्मृति मिश्रा ने टॉप रैंक हासिल की थी. वहीं, मयूर हजारिका अकेले पुरुष थे, जिन्होंने 5वां स्थान हासिल कर इस परीक्षा में टॉप किया था. वहीं, अगला स्थान या छठा स्थान मलयाली लड़की गहना नव्या जेम्स ने हासिल किया था.

पोस्ट ग्रेजुएशन में हासिल की फर्स्ट रैंक
डीएनए की रिपोर्ट के मुताबिक, गहना नव्या जेम्स कोट्टायम जिले के पाला की रहने वाली हैं. उन्होंने पॉलिटिकल साइंस में एमए किया और फर्स्ट रैंक हासिल की और पाला के सेंट थॉमस कॉलेज से पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की. उन्होंने पाला के अल्फोंसा कॉलेज से इतिहास में बीए पूरा किया था.

बिना कोचिंग पास की UPSC परीक्षा
गहना ने हमेशा कक्षा में असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन किया है; उन्होंने बिना कोचिंग के ही यह मुकाम हासिल किया है. सीखने और जानकारी इकट्ठा करने के लिए वह अखबारों और इंटरनेट पर निर्भर रहीं. जब वह छोटी थीं, तब से वह न्यूजपेपर पढ़ती आ रही हैं, जिससे उन्हें विभिन्न विषयों पर अपनी राय स्थापित करने में मदद मिली और इससे उन्हें यूपीएससी परीक्षाओं में भी फायदा हुआ.

इंटरनेशनल रिलेशन्स में की पीएचडी
यूजीसी नेट परीक्षा में जूनियर रिसर्च फेलोशिप हासिल करने के बाद उन्होंने इंटरनेशनल रिलेशन्स में पीएचडी भी की. उन्होंने 10वीं कक्षा तक चावारा पब्लिक स्कूल में पढ़ाई की और फिर 11वीं और 12वीं कक्षा की पढ़ाई सेंट मैरी स्कूल से पूरी की.

IFS ऑफिसर सिबी जॉर्ज की हैं भतीजी
उनके पिता एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर हैं. वह जापान में भारत के राजदूत, आईएफएस अधिकारी सिबी जॉर्ज की भतीजी भी हैं. उन्होंने कहा कि उनके चाचा उनके लिए बहुत बड़ी प्रेरणा थे और उनके छोटे भाई ने उन्हें काफी प्रेरित किया, जो सेंट थॉमस कॉलेज में डिग्री के छात्र हैं.

इसलिए IAS ना बनने का लिया फैसला
यूजीसी जूनियर रिसर्च फेलोशिप वाली इंटरनेशनल रिलेशन्स रिसर्च स्कॉलर गाहाना ने कहा कि वह आईएएस (IAS) के बजाय आईएफएस (IFS) का चयन करेंगी. गहना ने मीडिया को बताया कि "मेरे चाचा सिबी जॉर्ज, 1993-बैच के आईएफएस अधिकारी और जापान में भारत के वर्तमान राजदूत है और वह मेरी सिविल सेवाओं की यात्रा के लिए एक प्रेरक कारक रहे हैं. इसके अलावा, विदेश सेवा में उनकी उपस्थिति ने मेरे अंदर अंतरराष्ट्रीय मामलों पर नजर रखने में रुचि जगाई है.''

"मेरे पास पाला में कोचिंग के बहुत सारे अवसर थे, लेकिन मैं अपना खुद का कोर्स बनाना चाहती थी. मुझमें आत्मविश्वास था और मैं अपनी ताकत और कमजोरियों को अच्छी तरह समझती थी. उन्होंने कहा, ''मैंने अपने लिए एक नैतिक ढांचा तैयार किया था.'' गहना का बचपन का सपना एक लोक सेवक या सिविल सेवक बनना था.

कोचिंग के ऑप्शन के बावजूद लिया सेल्फ स्टडी का फैसला
अपनी तैयारियों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, "मेरे माता-पिता मुझे कोचिंग के लिए कहीं भी भेजने को तैयार थे, लेकिन मैंने सेल्फ स्टडी का विकल्प चुना. मेरे छोटे भाई ने मेरे लिए मॉक इंटरव्यू आयोजित किए. हम अखबार पढ़ने के बाद करेंट अफेयर्स पर चर्चा करते थे. एक नियमित अखबार पाठक होने के नाते मुझे राजनीति और अर्थशास्त्र के सभी विकासों से अवगत रहने में मदद मिली. मैंने अपने भाई के साथ करंट अफेयर्स पर चर्चा की.''

2021 में प्रीलिम्स भी नहीं कर पाईं थी क्रैक
उन्होंने यह भी कहा, "मैं एक फुल टाइम रिसर्च स्कॉलर हूं और मैंने सिविल सेवाओं के लिए कोई समर्पित तैयारी नहीं की है. यह कोई जबरदस्ती का सपना नहीं है. साल 2021 में, मैंने परीक्षा दी थी, लेकिन प्रीलिम्स परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पाई. यह केवल परीक्षा की प्रकृति को समझने का एक प्रयास था.''

IAS छोड़ लिया IFS बनने का फैसला
गहना ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में छठी रैंक हासिल करने के बाद भी आईएस ऑफिसर ना बनने का फैसला किया, क्योंकि आईएएस के बजाय आईएएफ ऑफिसर बनना चाहती थीं.

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