Story of a Educationalist: एक मजेदार बात तो यह है कि एक दर्जन से ज्यादा विदेशी यूनिवर्सिटीज में खुद के आवेदन दाखिल करने के बाद भट्टी ने अपने व्यक्तिगत अनुभव से छात्र भर्ती के बारे में काफी कुछ सीखा था.
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Motivational Story: अगर सपने बड़े हों और उन्हें पूरा करने की ठान लो तो फिर कुछ भी हो आप उसे पूरा करने की तरफ बढ़ते ही जाते हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही सपने के बारे में बता रहे हैं जो केवल 3000 रुपये से मिलियन डॉलर का अंपायर खड़ा करने के लिए देखा गया था. अपनी जिंदगी चलाने के लिए केवल 3000 रुपये के साथ, गुरिंदर भट्टी ने 2003 में अमृतसर में अपना घर छोड़ दिया और 17 साल में एक मिलियन डॉलर का अंपायर बनाने के अटूट संकल्प के साथ हर चुनौती और बाधा का सामना किया.
एक एजुकेशनलिस्ट के रूप में, भट्टी ने अलग अलग प्लेटफॉर्म पर अपनी कहानी के हजारों स्टूडेंट्स के साथ शेयर किया, जिससे उन्हें सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित किया गया. अपने बचपन में, भट्टी अपनी यूके-बेस्ड चाची से प्रेरित थे, जो भारत आती थीं और घूमने और रिश्तेदारों से मिलने के लिए एक वैन किराए पर लेती थीं. भट्टी के मुताबिक "तब मैंने विदेशों में अध्ययन करने और अपने और अपने परिवार के लिए एक क्वालिटी जीवन बनाने का फैसला किया. मेरी जर्नी यूके के स्टूडेंट वीजा के लिए इंटरनेट कैफे में महीनों की रिसर्च के बाद और मेरे कॉलेज के प्रोफेसरों की मदद से आवेदन दाखिल करने के साथ शुरू हुई.”
दिलचस्प बात यह है कि एक दर्जन से ज्यादा विदेशी यूनिवर्सिटीज में खुद के आवेदन दाखिल करने के बाद भट्टी ने अपने व्यक्तिगत अनुभव से छात्र भर्ती के बारे में काफी कुछ सीखा था. इसके बाद उन्हें पता था कि यह उनकी "विशेषता" बन जाएगी और उनकी नौकरी की तलाश "विदेशी छात्र भर्ती" के इर्द-गिर्द घूमती थी, जब वे 2003 में दिल्ली पहुंचे.
बेरोजगारी के दिनों में एक-एक रुपये की बचत इस एजुकेशनलिस्ट को आगे बढ़ने या उज्ज्वल भविष्य के सपने देखने से नहीं रोक पाई. उन्होंने शुरुआती सालों के दौरान अच्छे मौकों के लिए दिल्ली और चंडीगढ़ के बीच स्विच किया.
भट्टी 2008-2012 तक यूके के स्टूडेंट भर्तियों में एक नाम बन गया और इसने आने वाले सालों में उनकी सफलता का रास्ता बनाया. भट्टी के मुताबिक “मेरी जोखिम लेने की क्षमता जिसने मुझे स्टूडेंट भर्ती सेवा कंपनी की फ्रैंचाइज़ी लेने के अवसर के लिए हां कह दिया था, वह मेरे जीवन का शानदार मोड़ था. इसके बाद, मैंने हर असफलता का डटकर सामना किया और एक मजबूत और दृढ़निश्चयी व्यक्ति के रूप में उभरा. सफलता कुछ और नहीं बल्कि आपकी असफलताओं का परिणाम है."
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