ये सीट बदल सकती है कश्‍मीर का फ्यूचर, बीजेपी से जोड़ा जा रहा बुखारी का कनेक्‍शन!
Advertisement
trendingNow12445640

ये सीट बदल सकती है कश्‍मीर का फ्यूचर, बीजेपी से जोड़ा जा रहा बुखारी का कनेक्‍शन!

Jammu Kasmir Vidhan Sabha Chunav: उमर-अब्‍दुल्‍ला की गांदरबल सीट की जितनी चर्चा है उससे भी ज्‍यादा बात श्रीनगर के चन्‍नापुरा सीट की हो रही है. इस सीट के बारे में कहा जा रहा है कि यदि यहां से सैय्यद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी अल्‍ताफ बुखारी जीतते हैं तो कश्‍मीर की सियासत का रुख बदल सकता है. 

ये सीट बदल सकती है कश्‍मीर का फ्यूचर, बीजेपी से जोड़ा जा रहा बुखारी का कनेक्‍शन!

Altaf Bukhari and Apni Party: जम्‍मू-कश्‍मीर विधानसभा चुनाव की 26 सीटों पर आज चुनाव हो रहा है. इसमें उमर-अब्‍दुल्‍ला की गांदरबल सीट की जितनी चर्चा है उससे भी ज्‍यादा बात श्रीनगर के चन्‍नापुरा सीट की हो रही है. इस सीट के बारे में कहा जा रहा है कि यदि यहां से सैय्यद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी अल्‍ताफ बुखारी जीतते हैं तो कश्‍मीर की सियासत का रुख बदल सकता है. वैसे इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय माना जा रहा है. अल्ताफ बुखारी अपनी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. उनका मुकाबला पीडीपी के मोहम्मद इकबाल ट्रंबो, नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुश्ताक गुरु और भाजपा के हिलाल अहमद वानी से है. 2014 में अल्‍ताफ बुखारी, पीडीपी के टिकट से यहां से चुनाव जीत चुके हैं.

अल्‍ताफ बुखारी
जम्‍मू और कश्‍मीर अपनी पार्टी के संस्‍थापक और अध्‍यक्ष हैं. वो जहां से चुनाव लड़ रहे हैं पहले उसका नाम अमीराकदल हुआ करता था और 2014 के चुनाव में वो महबूबा मुफ्ती की पीडीपी से यहां से जीते थे. 2022 में परिसीमन हुआ और उसके बाद इस सीट का नाम अब चन्‍नापुरा हो गया.  उनकी गिनती कश्‍मीर के सबसे रईस प्रत्‍याशियों में होती है. जनवरी, 2019 में बुखारी को पीडीपी से निकाल दिया गया. 5 अगस्‍त, 2019 को जब आर्टिकल 370 हटाया गया तो कश्‍मीर के सभी प्रमुख नेताओं को हिरासत में ले लिया गया. लेकिन बुखारी को नहीं पकड़ा गया. बस यहीं से उनकी छवि ये बन गई कि उनकी बीजेपी से कहीं न कहीं साठगांठ है और उनको बीजेपी का प्रॉक्‍सी कहा जाने लगा. उन्‍होंने भी ये कह दिया कि यदि बीजेपी सहयोगी है तो इसमें क्‍या बुरी बात है. बस फिर क्‍या था, इसी बात को उनके विरोधी भुनाने का प्रयास करते रहते हैं. इसका खामियाजा भी उनको उठाना पड़ा. 

कश्‍मीर में जमीनी स्‍तर तक लोकतंत्र पहुंचे उसके लिए 2020 में डिस्ट्रिक्‍ट डेवलपमेंट कौंसिल (डीडीसी) का चुनाव कराया गया. उस चुनाव में अपनी पार्टी की सबसे ज्‍यादा चर्चा हुई लेकिन बीजेपी के प्रॉक्‍सी का ठप्‍पा उन पर ऐसा चिपका कि 280 डीडीसी सीटों में से इसको केवल 12 मिलीं. इसी तरह अबकी बार के लोकसभा चुनावों में अपनी पार्टी ने श्रीनगर एवं अनंतनाग-राजौरी सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन इस क्षेत्रों के भीतर आने वाली 36 विधानसभा सीटों में से कहीं भी पार्टी को बढ़त नहीं मिली. प्रत्‍याशियों की जमानत तक जब्‍त हो गई. 

वो साल दूसरा था, ये साल दूसरा है... हिंदुत्व की पिच पर बीजेपी से अलग शॉट लगा रहे नीतीश और नायडू

अपनी पार्टी
लोकसभा चुनावों के बाद से अल्‍ताफ बुखारी ने बीजेपी से दूरी दिखाने का काफी प्रयास किया है. इस बार के विधानसभा चुनाव में भी वो जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं. ये चुनाव वास्‍तव में उनकी अपनी पार्टी के सियासी अस्तित्‍व से जुड़ गया है. इस बार अपनी पार्टी ने कुल 46 प्रत्‍याशी उतारे हैं. इनमें से 35 कश्‍मीर और 11 जम्‍मू सीटों पर प्रत्‍याशी उतारे गए हैं. इंडियन एक्‍सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक बुखारी ने कहा है कि लोकसभा चुनावों के बाद हमको सबक मिला है. कश्‍मीर के लोग इस बात से खुश नहीं है कि कोई हमारा समर्थन करे या हम किसी से समर्थन मांगें. लिहाजा हम किसी भी दल के साथ किसी प्रकार के गठबंधन में नहीं हैं. 

जिस चन्‍नापुरा सीट से अल्‍ताफ बुखारी प्रत्‍याशी हैं वो उमर अब्‍दुल्‍ला की नेशनल कांफ्रेंस का कभी गढ़ हुआ करती थी. वहां से पार्टी छह बार जीती. कांग्रेस तीन बार और पीडीपी एक बार विजयी रही. इस बार इस सीट से कुल आठ प्रत्‍याशी हैं लेकिन मुकाबला त्रिकोणीय है.

Chaudhary Devi Lal Birthday: हरियाणा राजनीति के 'किंगमेकर', जिद्दी इतना कि ठुकरा दिया PM का पद, किसानों के मसीहा ताऊ देवीलाल

दिग्‍गजों के दांव
दूसरे चरण में चन्‍नापुरा के अलावा जिन हाई-प्रोफाइल सीटों पर चुनाव हो रहा है, आइए डालते हैं उन पर एक नजर:  

उमर अब्दुल्ला : जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला बडगाम और गांदरबल सीट से चुनावी मैदान में हैं. साल 1977 से बेलगाम सीट पर मजबूत पकड़ रखने वाले उमर अब्दुल्ला के सामने इस बार 7 उम्मीदवार हैं. बडगाम में उमर अब्दुल्ला के खिलाफ आगा सईद मुंतजिर मेहदी और आगा सईद अहमद मूसवी चुनाव लड़ रहे हैं. गांदरबल सीट की अगर हम बात करें तो, इस सीट को अब्दुल्ला परिवार का गढ़ बताया जाता है. इस सीट पर उमर अब्दुल्ला का मुकाबला पीडीपी नेता बशीर अहमद मीर और नेशनल पैंथर्स पार्टी के नेता अब्दुल राशिद समेत एक दर्जन से ज्यादा उम्मीदवारों से है.

रवींद्र रैना : जम्मू-कश्मीर भाजपा अध्यक्ष रवींद्र रैना राजौरी सीट से चुनावी मैदान में हैं. इस सीट से 2014 के चुनाव में रवींद्र रैना ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी. इस चुनाव में भी वह इसी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. माना जा रहा है कि इस बार उनकी राहें मुश्किल होने वाली हैं. उनकी पार्टी के ही पूर्व नेता सुरिंदर चौधरी नेशनल कॉन्फ्रेंस के टिकट से इस सीट पर उम्मीदवार हैं.

तारिक हमीद कर्रा : जम्मू-कश्मीर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा श्रीनगर की सेंट्रल शालटेंग सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट पर उनका मुकाबला पीडीपी नेता अब्दुल कयूम भट्ट और अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस के रियाज अहमद मीर और अपनी पार्टी के जफर हबीब डार से है. तारिक हामिद कभी महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी के साथ थे. लेकिन बाद में वह पार्टी का दामन छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे.

सरजन अहमद वागे उर्फ सरजन बरकती : सरजन अहमद वागे उर्फ सरजन बरकती इन दिनों जेल में बंद हैं. वह गांदरबल और बीरवाह सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. साल 2016 में आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद शोपियां और कुलगाम में विरोध रैली निकालने वालों में सरजन बरकती एक बड़ा चेहरा थे. उनपर अलगाववादी विचारधारा और भड़काऊ भाषण देने के आरोप लगे हैं.

तमाम खबरों पर नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहां पढ़ें Hindi News Today और पाएं Breaking News in Hindi हर पल की जानकारी. देश-दुनिया की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार. जुड़े रहें हमारे साथ और रहें अपडेटेड!

Trending news