Bharuch Lok Sabha: पति को No Entry, तो भाजपा कैंडिडेट को चुनौती देने प्रचार में कूद पड़ीं दो पत्नियां
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Bharuch Lok Sabha: पति को No Entry, तो भाजपा कैंडिडेट को चुनौती देने प्रचार में कूद पड़ीं दो पत्नियां

Chaitar Vasava News: गुजरात के लोकसभा चुनाव में इस बार भरूच सीट पर दिलचस्प सीन देखा जा रहा है. आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी चैतर वसावा की दो पत्नियां हैं. कोर्ट के आदेश के चलते उन्हें लोकसभा सीट के कुछ क्षेत्रों में जाने की इजाजत नहीं मिली तो दोनों पत्नियों ने मोर्चा संभाल लिया. 

Bharuch Lok Sabha: पति को No Entry, तो भाजपा कैंडिडेट को चुनौती देने प्रचार में कूद पड़ीं दो पत्नियां

Gujarat Lok Sabha Chunav: कहते हैं संकट के समय पत्नी हमेशा पति के साथ खड़ी रहती है. लोकसभा चुनाव में एक कैंडिडेट ने इलेक्शन लड़ने की तैयारी तो कर ली पर कोर्ट के एक आदेश ने धुकधुकी बढ़ा दी. इसके बाद नेताजी की पत्नियों ने मोर्चा संभाला. जी हां, पत्नियों ने... क्योंकि उनकी दो पत्नियां हैं और इस समय वे मिलकर चुनाव प्रचार कर रही हैं. ये कहानी गुजरात के भरूच लोकसभा सीट की है. यहां से आम आदमी पार्टी के विधायक चैतर वसावा चुनाव लड़ रहे हैं. आदिवासी विधायक के सामने मुश्किल यह है कि कोर्ट के आदेश के चलते वह अपने लोकसभा क्षेत्र के कुछ इलाकों में नहीं जा सकते. ऐसे में भाजपा के दिग्गज नेता मनसुख वसावा को अब चैतर की दोनों पत्नियां कड़ी चुनौती दे रही हैं. 

34 की शकुंतला, 30 साल की वर्षा

वैसे, यहां रेस में कई वसावा हैं. चैतर के पूर्व सलाहकार छोटू वसावा के बेटे दिलीप भारतीय आदिवासी पार्टी से चुनाव मैदान में हैं. कहा जा रहा है कि दिलीप वसावा के आने से चैतर के वोटबैंक में सेंध लग सकती है. हालांकि चैतर को अपनी दोनों पत्नियों पर भरोसा है. 34 साल की शकुंतला और 30 साल की वर्षा मिलकर अपने पति के कैंपेन को रफ्तार दे रही हैं. दोनों महिलाएं सरकारी कर्मचारी थीं लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव के समय इस्तीफा देकर चैतर के चुनावी मिशन में कूद पड़ीं. 

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गुजरात में बहुविवाह की प्रथा

गुजरात के ज्यादातर आदिवासी समुदायों में बहुविवाह का चलन है. अनुसूचित जनजातियों को हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधानों से छूट है. चैतर और शकुंतला की शादी 15 साल पहले हुई थी. चैतर और वर्षा ने दो साल बाद शादी कर ली. ये सभी अपने-अपने बच्चों के साथ एक साथ रहते हैं. 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक तीनों के बीच गजब का तालमेल है. जनवरी में जब एक रैली में अरविंद केजरीवाल समेत आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता आए थे तो वहां चैतर की तरफ से वर्षा मौजूद थीं. उस समय चैतर और शकुंतला अधिकारियों की पिटाई के मामले में जेल में बंद थे. उन पर जबरन वसूली और घातक हथियार से दंगा करने के आरोप लगे थे. 

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उस रैली में वर्षा ने चैतर का एक लेटर पढ़ा था. अगले महीने चैतर और शकुंतला जेल से तो बाहर आ गए लेकिन AAP विधायक को उनके गृह जिले नर्मदा में प्रवेश करने से रोक दिया गया. इसका एक हिस्सा भरूच लोकसभा सीट में आता है. अब चैतर भरूच के बाकी हिस्सों में प्रचार कर रहे हैं तो शकुंतला और वर्षा प्रतिबंध वाले इलाकों में घर-घर जा रही हैं. 

दोनों पत्नियां लोगों से कहती हैं- आप अपने प्रिय चैतर भाई को वोट दीजिए. शकुंतला वोटरों से कहती हैं, 'आपके चैतर भाई आदिवासियों के वन भूमि के अधिकारों और क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए लड़ते रहे हैं. भाजपा सरकार ने उन पर झूठे मामले दर्ज किए और नर्मदा जिले में प्रवेश करने पर रोक लगा दी... हालांकि लोगों ने उन्हें 1 लाख से ज्यादा मतों के अंतर से विधायक के रूप में चुना.

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वर्षा एक प्रशिक्षित नर्स हैं. वह शकुंतला के साथ आदिवासियों का जय जोहार के साथ अभिवादन करती हैं, वे बुजुर्गों के पैर छूती हैं और स्थानीय बोली में आत्मविश्वास से बात करती हैं. लोगों से कह रही हैं कि आप अपने बच्चों के भविष्य के लिए सही विकल्प चुनें. वे किसी मंझे हुए नेता की तरह भाजपा पर निशाना साधती हैं. 

पैदल गांवों में घूम रहीं दोनों पत्नियां
दोनों पत्नियां पैदल ही गांव-गांव घूम रही हैं. कुछ जगहों पर नेट कनेक्टिविटी नहीं है. कहीं अंधेरा मिलता है तो कहीं पहाड़ी क्षेत्र. महिलाओं का समूह पीले रंग के कपड़े और स्कार्फ पहने रहता है. वर्षा बताती हैं कि उन्होंने रोजमर्रा के काम और चुनाव प्रचार को व्यवस्थित किया है. बच्चों को स्कूल भेजने और घर के काम जल्दी पूरा करने के बाद वे दोनों चुनाव प्रचार के लिए निकल पड़ती हैं. वे हर रोज करीब 7 गांव कवर कर रही हैं. शकुंतला का एक बेटा है, जबकि वर्षा के दो बच्चे हैं.

रात में भी कार्यक्रम होने से वे आधी रात के बाद घर पहुंचती हैं. उसके बाद खाना खाती हैं. चैतर की दोनों पत्नियां कहती हैं कि यह मुश्किल है लेकिन पति के लिए जरूरी है.

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