Kishanganj Lok Sabha Chunav Result 2024 News: देश के दूसरे आम चुनाव 1957 के दौरान किशनगंज लोकसभा सीट बना था. इसके एक दशक बाद चौथे लोकसभा चुनाव 1967 में किशनगंज में महज एक बार प्रजा सोशलिस्ट पार्टी की टिकट पर हिंदू उम्मीदवार एलएल कपूर ने जीत हासिल की थी.
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Kishanganj Lok Sabha Election 2024: बिहार के 40 लोकसभा सीटों में एक किशनगंज पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल और पड़ोसी देश नेपाल और बांग्लादेश की सीमाओं से सटा हुआ है. कभी कृष्णाकुंज कहा जाने वाला यह क्षेत्र आज देश में कश्मीर के बाद दूसरी सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला जिला हैं. किशनगंज लोकसभा सीट बहादुरगंज, कोचाधामन अमौर, बायसी, किशनगंज और ठाकुरगंज से मिलकर बना है.
किशनगंज में कांग्रेस ने अब तक दो बार लगाई है जीत की हैट्रिक
साल 2009, 2014 और 2019 यानी पिछले तीन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार ने यहां जीतने की हैट्रिक लगाई है. लोकसभा चुनाव 2009, 2014 में कांग्रेस से असरारुल हक कासमी चुनाव जीते थे. लोकसभा सांसद रहने के दौरान असरारुल हक कासमी की मौत हो जाने के बाद किशनगंज के विधायक डॉ. मो. जावेद आजाद को यह सीट मिली. लोकसभा चुनाव 2019 में देश भर में मोदी लहर के बावजूद डॉ. मो. जावेद आजाद ने बिहार के सीमांचल में कांग्रेस के गढ़ को बरकार रखा. 1957 से लेकर अब तक हुए आम चुनाव में कांग्रेस अकेली ऐसी पार्टी है जिसने किशनगंज में दो बार जीत क हैट्रिक लगाई. इस सीट पर दो बार जनता दल ने जीत दर्ज की है. राजद के हिस्से में भी यह सीट आई रही है.
लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार में कांग्रेस का गढ़ रहा बरकरार
लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार में एनडीए ने कुल 40 में से 39 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी. उस दौरान बिहार में इकलौती किशनगंज सीट ही एनडीए नहीं जीत पाई. इसलिए मुस्लिम बहुल किशनगंज लोकसभा सीट को बिहार में कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. यहां कांग्रेस के मजबूत दुर्ग में सेंध लगाना किसी दूसरे दल के लिए मुश्किल टास्क है. हालांकि, बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने किशनगंज लोकसभा क्षेत्र की चार सीट बहादुरगंज, कोचाधामन अमौर और बायसी में जीत हासिल की थी.
किशनगंज लोकसभा चुनाव 2024 रिजल्ट
लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण में, 26 अप्रैल को किशनगंज लोकसभा सीट पर मतदान हुआ था. 04 जून 2024 को वोटों की गिनती के बाद चुनाव आयोग की ओर से आधिकारिक रिजल्ट जारी किया जाएगा.
ओवैसी की एंट्री का असर, इस बार क्यो होगा सियासी समीकरण
दूसरी ओर, कांग्रेस को किशनगंज और राजद को ठाकुरगंज एक-एक सीट पर ही जीत नसीब हो पाई थी. एनडीए को किशनगंज में एक भी सीट नहीं मिल पाई थी. बाद में किशनगंज जिले से ओवैसी के तीन विधायकों ने पार्टी छोड़कर राजद का लालटेन थाम लिया था. इस तरह बिहार के सीमांचल के सबसे चर्चित किशगनंज लोकसभा क्षेत्र में एमआईएमआईएम चीफ और हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री के बावजूद कांग्रेस का गढ़ छीना नहीं जा सका. 2019 में उनका उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहा था. हालांकि, ओवैसी लोकसभा चुनाव 2024 में भी इस सीट पर किस्मत आजमाने की कोशिश में जुटे हैं.
लोकसभा चुनाव 1999 में भाजपा से पहली बार शाहनवाज हुसैन जीते
चुनावी इतिहास में बस एक बार लोकसभा चुनाव 1999 में अटल बिहार वाजपेयी के नेतृत्व के चलते किशनगंज लोकसभा सीट पर चौंकाने वाला परिणाम आया था. तब त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा उम्मीदवार शाहनवाज हुसैन ने जीत हासिल की थी. फिलहाल किशनगंज में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मो. आजाद हुसैन के बेटे और विधायक से सांसद बने डॉ. मो. जावेद आजाद ही इंडिया गठबंधन में कांग्रेस का उम्मीदवार बन सकते हैं. पिता से विरासत में राजनीति पाने वाले आजाद की कांग्रेस में गहरी पकड़ बताई जाती है. वहीं, एनडीए की ओर से भाजपा और जदयू के बीच अभी सीटों का समझौता नहीं हो पाया है.
किशनगंज में हिंदू अल्पसंख्यक, क्या है जातीय समीकरण
जिला और लोकसभा मुख्यालय किशनगंज में मुस्लिम आबादी करीब 70 फीसदी है. मुस्लिम आबादी ही इस लोकसभा सीट पर जीत तय करते हैं. मुस्लिम आबादी में सूरजापुरी फिरके का दबदबा रहता है. जिले में अल्पसंख्यक हिंदुओं में जातीय आधार पर यादव, सहनी, शर्मा, पासवान, रविदास, आदिवासी, बाह्रमण, मारवाड़ी और पंजाबी हैं. इसलिए चुनाव में सभी राजनीतिक पार्टी किशनगंज में मुस्लिम उम्मीदवारों को प्राथमिकता देती है.
बिहार में किशनगंज इकलौता जिला है जहां चाय के बागान हैं. किशनगंज से कुछ ही दूरी पर पानीघाट, गंगटोक, कलिंगपोंग, दाजर्लिंग जैसे पर्यटन स्थल हैं. यहां का खगरा मेला देश भर में मशहूर है. पूर्वोत्तर राज्यों का गेटवे कहे जाने वाले किशनगंज को बिहार का चेरापूंजी भी कहा जाता है.
किशनगंज लोकसभा क्षेत्र से सांसदों की पूरी सूची
1957: एम. ताहिर, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1962: एम. ताहिर, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1967: लखन लाल कपूर, पी एस पी
1971: जमीलुर्रहमान, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1977: हलीमुद्दीन अहमद, भारतीय लोक दल
1980: जमीलुर्रहमान, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1985: सैयद शहाबुद्दीन, जनता पार्टी
1989: एम जे अकबर, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1991: सैयद शहाबुद्दीन, जनता दल
1996: मोहम्मद तस्लीमुद्दीन, जनता दल
1998: मोहम्मद तस्लीमुद्दीन, राष्ट्रीय जनता दल
1999: सैयद शाहनवाज हुसैन, भारतीय जनता पार्टी
2004: मोहम्मद तस्लीमुद्दीन, राष्ट्रीय जनता दल
2009: मोहम्मद असरारुल हक, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
2014: मोहम्मद असरारुल हक, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
2019: मोहम्मद जावेद, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस