Mayawati 2024 Lok Sabha Election: आखिरकार बसपा ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर ही दिया. हाल के चुनावों में ऐसे आरोप लगे थे कि मायावती अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा को फायदा पहुंचा रही थीं. आज के फैसले को चुनाव पर क्या असर होगा?
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Mayawati Effect On BJP And Congress: बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने जन्मदिन के मौके पर आज अकेले 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी. उन्होंने दलितों-वंचितों, आदिवासी, अल्पसंख्यक समुदाय से अपनी बेहतरी के लिए BSP को मजबूत करने का आह्वान किया. उन्होंने सीधे तौर पर सपा को तो टारगेट किया लेकिन भाजपा का नाम नहीं लिया. हां, इतना जरूर कहा कि लोगों को फ्री में राशन देकर बरगलाया जा रहा है. आज गरीबी और बेरोजगारी बड़ी समस्या है. धर्म की आड़ में राजनीति हो रही है. जिस समय मायावती ये बातें कह रही थीं उससे कुछ देर पहले ही उन्हें जन्मदिन की बधाई देने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ और भाजपा के दिग्गज नेता राजनाथ सिंह का फोन आ चुका था. काफी समय से अटकलें लगाई जा रही थीं कि शायद आज वह कांग्रेस की अगुआई वाले I.N.D.I.A गठबंधन में शामिल होने का ऐलान कर दें. अब अगर वह 'एकला चलो' की नीति पर बढ़ चली हैं तो यह जानना दिलचस्प हो जाता है कि उनके इस फैसले से किसे फायदा होगा?
गठबंधन क्यों नहीं किया?
हां, विरोधी पार्टियों से दूरी रखने की वजह बताते हुए यूपी की पूर्व सीएम ने कहा कि अब भी सभी पार्टियां जातिवादी सोच से ऊपर नहीं उठी हैं. उनके वोटर बीएसपी को वोट नहीं देते, खासतौर से अपर कास्ट वाले. उन्होंने आगे कहा कि हमने सपा और कांग्रेस दोनों से चुनाव पूर्व गठबंधन किया था लेकिन उनके वोटरों ने हमें वोट नहीं दिया. अखिलेश यादव पर बरसते हुए मायावती ने कहा कि समाजवादी पार्टी के मुखिया ने गिरगिट की तरह रंग बदला है. आखिर में उन्होंने अपने वोटरों को संदेश देते हुए कहा कि हमें गठबंधन में हमेशा नुकसान उठाना पड़ता हैं इसलिए हम अब किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे.
फायदा I.N.D.I.A को या भगवा दल को?
यह समझने के लिए यूपी के जाति आधारित समीकरण को समझना जरूरी है. कुछ देर के लिए मोदी फैक्टर को अलग रखते हैं क्योंकि अगर वह हावी रहा तो जाति समीकरण काफी हद तक फेल हो सकते हैं. भाजपा का दावा है कि उसे मुस्लिम महिलाओं समेत सभी समुदाय के वोट मिलते हैं.
दलित और मुस्लिम वोट बंटेंगे
यूपी में ओबीसी वोटर सबसे ज्यादा 45 फीसदी से ज्यादा हैं. दलित 20-21 प्रतिशत और मुस्लिम वोटर 15-16 प्रतिशत हैं. मायावती की राजनीति मुख्य तौर पर दलित और मुस्लिम वोटरों के इर्द-गिर्द घूमती है. अगर वह कांग्रेस के गठबंधन में शामिल हो जातीं तो न सिर्फ ओबीसी के 10 प्रतिशत यादव बल्कि पूरा दलित वोट विपक्ष के साथ एकजुट दिखाई दे सकता था. 80 लोकसभा सांसद देने वाले राज्य में इससे भाजपा के लिए थोड़ी मुश्किल जरूर होती. सपा और बसपा का एकसाथ होना अपने आप में बड़े वोट बैंक को विपक्ष के साथ कर देता.
दलित वोट पाने के मुकाबले में मायावती के रूप में तीसरा केंद्र उभरने से सीधा नुकसान विपक्ष के गठबंधन को होगा. मायावती का अकेले चुनाव लड़ना एक तरह से भाजपा के लिए राहत भरी खबर है. भाजपा को वोट न देने वाले यानी विरोधी वोटर अब दो विकल्पों में बंटेंगे. हो सकता है कुछ मुस्लिम वोटर सपा के साथ जाएं, कुछ बसपा के. इसी तरह दलित भी भाजपा, बसपा, सपा-कांग्रेस में बंट जाएंगे. ऐसे में बीजेपी खुद को अच्छी पोजीशन में देख रही होगी.
वैसे भी, भाजपा का मानना है कि पीएम नरेंद्र मोदी की कल्याणकारी योजनाओं के चलते दलित, मुस्लिम, ओबीसी सभी के वोट उसे मिल रहे हैं. कांग्रेस को मायावती के इस ऐलान से थोड़ी टेंशन तो जरूर हुई है, आगे प्रमोद तिवारी का बयान सुन लीजिए.
#WATCH | Congress leader Pramod Tiwari says "BSP chief Mayawati has refused to join the INDIA alliance, before the elections. She said that she would have a post-poll alliance but today's political scenario is such that all opposition parties should have come together to fight… pic.twitter.com/iuyFR3HE01
— ANI (@ANI) January 15, 2024
... तो बीजेपी को 100 सीटों पर समेट देते
मायावती के ऐलान के बाद कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि आज समय का तकाजा है कि भाजपा को 2019 के चुनाव में जो 37.8 पर्सेंट वोट मिले थे, उसके खिलाफ 62. 2 प्रतिशत वोट एकजुट हो जाएं. अगर ऐसा हो जाए तो भाजपा को हम 100 सीटों पर समेट देते. जरूरत थी कि सब मिलकर चुनाव लड़ते लेकिन कोई बात नहीं ये उनके अपने विचार हैं. चुनाव के बाद जब वह आएंगी तो उनका स्वागत होगा. तब की परिस्थितियां जैसी होंगी वैसा कदम उठाया जाएगा.
'फिर से विचार करें बहन जी'
हां, यूपी कांग्रेस ने ऐसी अपील की है. पहले भी ऐसी खबरें आ रही थीं कि यूपी कांग्रेस के नेता चाहते हैं कि गठबंधन में बसपा को शामिल किया जाए. आज जब मायावती ने मुंह फेर लिया तो यूपी कांग्रेस के प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने कहा, 'बहन मायावती जी का लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने का निर्णय बसपा के कार्यकर्ताओं और प्रदेश के जनमानस की भावनाओं के विपरीत है. देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए, पूरे देश में हो रहे दलितों पर अत्याचार, बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर जी के बनाए संविधान को बचाने के लिए अपने निर्णय पर पुनर्विचार करें बहन जी.'
हाल के चुनावों में मायावती को सीटें भले ही कम मिली हों पर वह हताश नहीं हैं. आज भी पूरे आत्मविश्वास के साथ बसपा सुप्रीमो ने कहा कि राजनीति से संन्यास लेने की लगाई जा रहीं अटकलें बेबुनियाद हैं. अब देखना यह होगा कि वह किस फुर्ती से चुनाव प्रचार में उतरती हैं.