Bengal Muslim OBC: मुस्लिमों से 'ममता' पर घमासान, क्या चुनाव नतीजों पर असर डालेगा हाई कोर्ट का फैसला?
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Bengal Muslim OBC: मुस्लिमों से 'ममता' पर घमासान, क्या चुनाव नतीजों पर असर डालेगा हाई कोर्ट का फैसला?

Lok Sabha Chunav: लोकसभा चुनाव के आखिरी दो चरणों में भी मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा छाया रहने वाला है. बंगाल की 17 सीटों पर चुनाव होने हैं, इसमें ज्यादातर पर पिछली बार टीएमसी जीती थी. अब ओबीसी लिस्ट पर कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले ने ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.  

Bengal Muslim OBC: मुस्लिमों से 'ममता' पर घमासान, क्या चुनाव नतीजों पर असर डालेगा हाई कोर्ट का फैसला?

West Bengal Muslim OBC TMC: लोकसभा चुनाव में पहले से ही भाजपा मुस्लिम आरक्षण को लेकर कांग्रेस की मंशा पर सवाल उठा रही थी, ऐसे में कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले ने मामले को गरमा दिया है. जी हां, INDIA गठबंधन में शामिल TMC को बड़ा झटका लगा है. 24 घंटे से भाजपा के हमले टीएमसी समेत पूरे विपक्षी गठबंधन पर तेज हो गए हैं. फैसला ऐसे समय में आया है जब दो चरणों का चुनाव अभी बाकी है. आगे 2026 में विधानसभा चुनाव भी हैं. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या ओबीसी लिस्ट को लेकर आया कोर्ट का फैसला ममता बनर्जी के वोटों पर असर डालेगा?

गृह मंत्री अमित शाह ने आज INDIA अलायंस को खूब सुनाया. उन्होंने कहा, 'इंडी अलायंस का इरादा SC-ST-OBC के आरक्षण पर डाका डालने का है. कल ही बंगाल हाईकोर्ट का एक फैसला आया है. OBC की लिस्ट में बंगाल सरकार ने ज्यादातर मुस्लिम जातियों को डाल दिया था और हमारे पिछड़े वर्ग के आरक्षण का अधिकार मुसलमानों को देने का काम किया था. हमारा संविधान धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं देता. इसीलिए 2010 से 2024 के बीच बंगाल सरकार ने जितनी भी मुस्लिम जातियों को OBC आरक्षण दिया था, उसे उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है.'

शाहनवाज ने समझाया फर्क

भाजपा के मुस्लिम चेहरे और वरिष्ठ नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा, 'मंडल कमीशन में जो जातियां शामिल थीं, उसका हमने कभी विरोध नहीं किया लेकिन जब से ममता बनर्जी आई हैं मुस्लिम समाज की करीब सारी जातियों को पिछड़ों का हक मारने के लिए पिछड़ा बना दे रही हैं... इतनी जातियों को सिर्फ वोट बैंक की सियासत के लिए भरा गया है.'

अब फैसला जान लीजिए

- कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में कई वर्गों का ओबीसी (अन्य पिछड़े वर्ग) दर्जा रद्द कर दिया है. कोर्ट ने राज्य की नौकरियों में रिक्तियों के लिए 2012 के एक अधिनियम के तहत इस तरह के आरक्षण को अवैध पाया. 

- 5 मार्च 2010 से 11 मई 2012 तक 42 वर्गों को ओबीसी के रूप में वर्गीकृत करने वाले राज्य के कार्यकारी आदेशों को रद्द किया गया. 

- उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जिन वर्गों का ओबीसी दर्जा हटाया गया है, उसके सदस्य अगर पहले से ही सेवा में हैं या आरक्षण का लाभ ले चुके हैं या राज्य की किसी चयन प्रक्रिया में सफल हो चुके हैं, तो उनकी सेवाएं इस फैसले से प्रभावित नहीं होंगी. 

- मामले से जुड़े एक वकील ने कहा कि इस फैसले से राज्य में बड़ी संख्या में लोग प्रभावित होंगे. 

- अदालत ने पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग कानून, 2012 के तहत ओबीसी के तौर पर आरक्षण का लाभ प्राप्त करने वाले कई वर्गों को संबंधित सूची से हटा दिया. कोर्ट ने बताया कि 2010 से पहले ओबीसी के 66 वर्गों को वर्गीकृत करने वाले राज्य सरकार के कार्यकारी आदेशों में हस्तक्षेप नहीं किया गया क्योंकि इन्हें याचिकाओं में चुनौती नहीं दी गई थी. 

उधर, फैसले के खिलाफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने कहा कि कई वर्गों के ओबीसी दर्जे को रद्द करने वाला फैसला स्वीकार नहीं है. एक रैली में उन्होंने कहा कि राज्य में ओबीसी आरक्षण जारी रहेगा क्योंकि इससे संबंधित विधेयक संविधान की रूपरेखा के तहत पारित किया गया. 

क्या चुनाव नतीजों पर असर होगा?

25 मई का चुनाव बिल्कुल करीब है. प्रचार का शोर थमने वाला है. इसमें असर कम हो सकता है. हालांकि आखिरी चरण में 1 जून को 9 सीटों पर वोटिंग है. वहां जरूर यह मुद्दा ज्यादा गरम हो सकता है. दमदम, बारासात, बशीरहाट, जयनगर, मथुरापुर, डायमंड हार्बर, जाधवपुर, कोलकाता साउथ, कोलकाता नॉर्थ में आखिरी चरण में मतदान है. 

कोर्ट के फैसले से मुस्लिम समुदाय सीधे तौर पर प्रभावित होगा जो ओबीसी के दायरे में आ गया था. ओबीसी प्रमाण पत्र न होने से ये लोग योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाएंगे. इससे नाराजगी तो जरूर होगी लेकिन ममता यह कहकर सपोर्ट हासिल करने की कोशिश कर सकती हैं कि कोर्ट ने ऐसा किया है, उन्होंने तो दिया ही था. बाकी वह इसके लिए अभी से भाजपा को जिम्मेदार ठहराने लगी हैं. आगे सुप्रीम कोर्ट जाने की बात हो रही है. असर समझने के लिए बंगाल में हिंदू और मुस्लिम आबादी को समझना जरूरी है. 

बंगाल में हिंदू और मुस्लिम

दरअसल, बंगाल की ओबीसी लिस्ट में अब तक कुल 180 जातियां रही हैं जिसमें 118 मुस्लिम समुदाय से हैं. भाजपा और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग इस पर सवाल खड़े कर चुका था. 2011 से पहले वहां 108 जातियां थीं. इसमें मुस्लिमों की 53, हिंदुओं की 55 थीं. बाद में राज्य सरकार ने 72 नई जातियों को ओबीसी लिस्ट में शामिल किया, जिसमें 65 मुस्लिम हैं. 

बंगाल में हिंदू आबादी 70 प्रतिशत और मुसलमान 27 प्रतिशत हैं. मुस्लिम टीएमसी के पक्के वोटर माने जाते हैं. इसकी बड़ी वजह मुस्लिम समुदाय के लिए योजनाएं, सुविधाएं और ओबीसी सर्टिफिकेट वाला फैसला भी माना जाता है. चुनाव के लिहाज से देखें तो 17 लोकसभा सीटों पर ओबीसी निर्णायक भूमिका में हैं, 42 लोकसभा सीटों में से 13 पर मुस्लिम समुदाय की भूमिका अहम रहती है. 

ममता को नुकसान तो फायदा किसे?

गौर कीजिए, बीजेपी 10 साल पहले बंगाल में नेपथ्य में थी लेकिन पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में जिस तरह का प्रदर्शन सामने आया, उसके लिए ममता की मुस्लिम पॉलिटिक्स को जिम्मेदार माना जाता है. बीजेपी ने कांग्रेस और टीएमसी पर मुस्लिम तुष्टीकरण के हमले लगातार जारी रखे हैं. बांग्लादेशी घुसपैठियों को सुविधाएं देने के आरोप लगाते रहे हैं. अब कोर्ट ने ही सरकार की मंशा पर फटकार लगा दी तब तो बीजेपी का आक्रामक होना लाजिमी है. बीजेपी नेता अमित मालवीय ने एक साल पहले यह ट्वीट किया था.  

हिंदू-मुस्लिम के जिस आरोप पर पीएम मोदी को इंटरव्यू में सफाई देनी पड़ रही थी, अब कोलकाता हाई कोर्ट के एक फैसले ने बड़ा मौका दे दिया है. इस फैसले से ममता से मुस्लिम वोटरों के नाराज होने का डर तो है ही, हिंदू वोटर भी दूर हो सकते हैं. इसका सीधा फायदा भाजपा को होगा. संभव है कि जल्द ही ममता सरकार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाए. 

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