Amitabh Bachchan Film: कुली के सेट पर हुए हादसे ने अमिताभ बच्चन को बदल दिया. उन्होंने 1984 में राजनीति जॉइन की. चुनाव लड़ा. राजनीतिक फिल्में भी की. यही नहीं, बदले अंदाज में एक फिल्म उन्होंने सिंगल शेड्यूल में पूरा कर दी. फिल्म तीन महीने में बनकर रिलीज हो गई. इस रिकॉर्ड को अक्षय कुमार नहीं तोड़ पाएंगे.
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Amitabh Bachchan Career: आज अक्षय कुमार खुद कहते हैं कि वह चार महीने में बड़ी से बड़ी फिल्म खत्म कर देते हैं और इसीलिए साल में उनकी चार-पांच फिल्में आ जाती हैं. परंतु आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अमिताभ बच्चन ने अपनी एक चर्चित फिल्म अक्षय की इस स्पीड से कहीं ज्यादा तेजी में शूट और डब करके खत्म कर दी थी. यह फिल्म अनाउंसमेंट के बाद मात्र तीन महीने में बनकर सिनेमाघरों में रिलीज हो गई थी. अमिताभ बच्चन और संभवतः बॉलीवुड में भी किसी बड़े सितारे की फिल्म इस रफ्तार से बनी और रिलीज नहीं हुई. फिल्म थी इंकलाब. 26 अक्टूबर 1983 को फिल्म का मुहूर्त हुआ और 26 जनवरी 1984 को यह थियेटरों में रिलीज हो गई. फिल्म में अमिताभ के साथ श्रीदेवी, कादर खान, उत्पल दत्त, शक्ति कपूर तथा रंजीत की मुख्य भूमिकाएं थी. टी. रामाराव निर्देशिक थे. इंकलाब 1983 में आई कन्नड़ फिल्म चक्रव्यूह का रीमेक थी. कन्नड़ में हिट रही फिल्म का रीमेक हिंदी दर्शकों को पसंद नहीं आया. फिल्म का बॉक्स ऑफिस अच्छा नहीं रहा.
यह थी राजनीति
यह संयोग ही कि अमिताभ के माता-पिता ने पैदाइश पर उनका नाम इंकलाब रखा था. लेकिन बाद में कवि सुमित्रानंदन पंत के कहने पर उनका नाम बदलकर अमिताभ रखा गया. फिल्म के रफ्तार से बनाने का कारण यह था कि इंकलाब राजनीतिक थीम पर थी. इस थीम पर राजेश खन्ना की फिल्म आज का एमएलए की शूटिंग शुरू हो चुकी थी. टी.रामाराव उस फिल्म से पहले इंकलाब को रिलीज करना चाहते थे. नतीजा यह हुआ कि इंकलाब एक ही शूटिंग शेड्यूल में पूरी कर ली गई. हालांकि बॉक्स ऑफिस पर न तो इंकलाब चली और न ही मार्च 1984 में रिलीज हुई आज का एमएलए.
कहा श्रीदेवी ने
अमिताभ की लोकप्रियता की वजह से इंकलाब ने अच्छी शुरुआत ली थी, परंतु दो हफ्ते बाद सिनेमाघरों में इसका क्रेज कम हो गया. हालांकि उन दिनों वीडियो पर यह फिल्म खूब देखी गई. जब यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हुई तो निर्देशक टी. रामाराव पर अच्छी फिल्म न बनाने के आरोप लगे. लेकिन उनके पक्ष में श्रीदेवी आगे आईं. उनका कहना था कि फिल्म फ्लॉप होने में निर्देशक का दोष नहीं है, बल्कि फिल्म को हड़बड़ी में बनाने और रिलीज करने की जल्दबाजी में यह फ्लॉप हुई. अगर तसल्ली से बनाया जाता तो यह बेहतर बनती तथा दर्शक पसंद करते. अमिताभ के साथ श्रीदेवी की यह पहली फिल्म थी. श्रीदेवी का कहना था भले ही इस फिल्म में मेरा छोटा-सा रोल था, लेकिन मुझे अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का मौका मिला. यही बड़ी बात है.
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