Bollywood Legends: कभी दोहरी जिंदगी जीता था यह एक्टर, दिन में 9 से 6 बैंक में क्लर्क और फिर शाम छह के बाद...
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Bollywood Legends: कभी दोहरी जिंदगी जीता था यह एक्टर, दिन में 9 से 6 बैंक में क्लर्क और फिर शाम छह के बाद...

Amol Palekar: जब हिंदी फिल्में एंग्री यंग मैन अमिताभ बच्चन के असर में थी, उन दिनों में अमोल पालेकर मिडिल क्लास का चेहरा थे. रजनीगंधा, छोटी-सी बात, भूमिका, चित चोर, घरौंदा, गोल माल और नरम गरम जैसी फिल्में उनके नाम पर हैं. अमोल पालेकर एक्टर बनना नहीं चाहते थे. वह संयोग से अभिनय में आए. जानिए उनकी जिंदगी और करियर का सफर...

 

Bollywood Legends: कभी दोहरी जिंदगी जीता था यह एक्टर, दिन में 9 से 6 बैंक में क्लर्क और फिर शाम छह के बाद...

Amol Palekar Films: हर व्यक्ति के जीवन का अपना संघर्ष होता है. इसी संघर्ष में तपकर वह मजबूत बनता है. चमकता है. 1980 के दौर में अमिताभ बच्चन जैसे सुपर सितारे को कड़ी टक्कर देने वाले अमोल पालेकर की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. अमोल पालेकर मुंबई के एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में पैदा हुए थे. उनके पिता पोस्ट ऑफिस में नौकरी करते थे और मां प्राइवेट कंपनी में जॉब. अमोल पालेकर अपने माता-पिता की चार संतानों में अकेले बेटे थे. उनकी तीन बहनें थीं. इसलिए उनका नाम अमोल रखा गया. जिसका कोई मोल न हो. अमोल पालेकर अपने तमाम साक्षात्कारों में बता चुके हैं कि माता-पिता ने उन्हें बहुत प्यार से पाला, उन्हें तथा उनकी बहनों को पैसों की कद्र करना सिखाई और साथ ही जीवन में अपने फैसले लेने की आजादी भी दी.

चित चोर नहीं, चित्रकार
अमोल पालेकर को उनके माता-पिता ने अच्छी पढ़ाई के लिए महाराष्ट्र-गुजरात की सीमा पर स्थित एक बोर्डिंग स्कूल में भेजा. जब स्कूली पढ़ाई खत्म हुई तो अमोल पालेकर ने पिता से कहा कि वह एक चित्रकार बनना चाहते हैं. तब उनके पिता ने कहा कि वह अगर अपने जीवन में संघर्ष का मुकाबला कर सकते हैं और कलाकार का मुश्किल जीवन जीना चाहते हैं, तो जरूर चित्रकार बनें. तब अमोल पालेकर ने जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स, मुंबई में एडमीशन लिया. अमोल पालेकर कहते हैं कि मैं अपने सपनों को जीना चाहता था. यही वजह है कि मुझे कई तरह के काम करने पड़े. कॉलेज की फीस भरने के लिए मैं टाइपिंग इंस्टीट्यूट में लोगों को टाइपिंग सिखाकर पैसे कमाता था. कॉलेज की पढ़ाई के बाद मैंने विज्ञापन एजेंसियों में काम किया.

सपनों से समझौता नहीं
अमोल पालेकर ने बताया कि एक समय ऐसा भी आया, जब मैं दोहरी जिंदगी जी रहा था. जब मुझे बैंक ऑफ इंडिया में क्लर्क की नौकरी मिली तो मैंने तय किया कि अपने सपनों से समझौता नहीं करूंगा और दोहरी जिंदगी जीऊंगा. तब मैं दिन में 9 से 6 बजे तक क्लर्क का जीवन जीता था और शाम छह बजे के बाद खुद को एक पेंटर में बदल लेता था. जिन दिनों अमोल पालेकर एक पेंटर के रूप में संघर्ष कर रहे थे, तभी उनकी मुलाकात अपनी छोटी बहन की सहेली चित्रा से हुई. चित्रा थियेटर से जुड़ी थीं. दोनों में प्यार हुआ और उन्होंने शादी कर ली. अमोल पालेकर को चित्रा अपने साथ नाटकों के रिहर्सल में ले जाती थीं. इस बात ने अमोल पालेकर की जिंदगी बदल दी.

सफलता की खुली राह
चित्रा की रिहर्सल के दिनों में अमोल पालेकर की मुलाकात के प्रसिद्ध डायरेक्टर सत्यदेव दुबे से हुई. उन्होंने अमोल पालेकर को एक्टिंग के लिए प्रेरित किया और अमोल पालेकर ने पहला नाटक किया, चुप! कोर्ट चालू है. इसके बाद वह नाटकों में उतरे तो वहां बासु भट्टाचार्य, बासु चटर्जी, श्याम बेनेगल, ऋषिकेश मुखर्जी और एमएम सथ्यु जैसे डायरेक्टर मिले. बासु भट्टाचार्य ने एक दिन अमोल पालेकर को जया भादुड़ी के साथ फिल्म पिया का घर ऑफर की, परंतु उन्होंने मना कर दिया. इसके कुछ दिनों बाद उन्होंने अमोल पालेकर को रजनीगंधा ऑफर की और वह फिल्मों के एक्टर बन गए. रजनीगंधा हिट रही और इसके बाद छोटी सी बात और चित चोर की सफलता से अमोल पालेकर ने न केवल हैट्रिक लगा दी, बल्कि वह मिडिल क्लास हीरो का चेहरा बन गए. लोग उन्हें छोटे बजट की फिल्मों का अमिताभ बच्चन कहने लगे.

 

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