Film Mere Apne: हिंदी फिल्मों में अगर गुलजार को आज बेहतरीन गीतकार के रूप में याद किया जाता है, तो यह भी जानना जरूरी है कि वह शानदार निर्देशक रहे हैं. उनके निर्देशन की शुरुआत हुई थी फिल्म मेरे अपने से. 50 साल पहले आई यह फिल्म इंडस्ट्री में बहुतों के करियर का टर्निंग पॉइंस साबित हुई थी.
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Gulzar Film: फिल्म मेरे अपने आज भी कई कारणों से याद की जाती है. 1971 में आई यह ऐसी फिल्म थी जो कई लोगों के जीवन तथा करियर में टर्निंग प्वाइंट साबित हुई. गुलजार ने इसी फिल्म से निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखा था. डैनी डेंगजोंगपा को इसी फिल्म से बॉलीवुड में ब्रेक मिला. विनोद खन्ना और शत्रुघ्न सिन्हा ऐसे कलाकार थे जिन्होंने इस फिल्म से पहले सिर्फ नेगेटिव या कैरेक्टर रोल प्ले किए थे. यह वह फिल्म थी, जिसमें इन दोनों ने लीड रोल निभाया. इस फिल्म के बाद दोनों ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. मेरे अपने के बाद से दोनों को बॉलीवुड में हीरो के रूप में फिल्में मिलने लगी. मीना कुमारी द्वारा शूट की गई यह आखिरी फिल्म थी. मीना कुमारी, विनोद खन्ना तथा शत्रुघ्न सिन्हा के साथ फिल्म में देवेन वर्मा, पेंटल, असित सेन, असरानी, कैश्टो मुखर्जी, ए.के. हंगल, दिनेश ठाकुर, महमूद और योगिता बाली की मुख्य भूमिकाएं थी.
सिर्फ अनुवाद नहीं
मेरे अपने नेशनल अवॉर्ड विनिंग बांग्ला फिल्म आपनजन का रीमेक थी, जिसे तपन सिन्हा ने डायरेक्ट किया था. यह फिल्म इंद्र मित्र की कहानी पर आधारित थी. फिल्म कमर्शियली तथा क्रिटिकली इतनी बड़ी हिट हुई कि तपन सिन्हा ने फिल्म की स्क्रिप्ट का हिंदी में अनुवाद करने के लिए गुलजार को कोलकाता बुलाया. लेकिन गुलजार ने स्क्रिप्ट का जस की तस अनुवाद नहीं किया. बल्कि फिल्म की स्क्रिप्ट में अपने हिसाब से कई परिवर्तन कर डाले. जो तपन सिन्हा को पसंद नहीं आए. तब गुलजार ने उनसे अनुरोध करके फिल्म के राइट्स खरीद लिए और खुद इस फिल्म के निर्देशन का जिम्मा उठाया. एन.सी. सिप्पी ने फिल्म को प्रोड्यूस किया. फिल्म अपने समय की बड़ी हिट फिल्म साबित हुई. आगे चलकर गुलजार के असिस्टेंट एन चन्द्रा ने इसी कहानी पर अंकुश बनाई.
बूढ़ी माई की कहानी
मेरे अपने गांव में रहने वाली एक बूढ़ी विधवा आंनदी देवी (मीना कुमारी) की कहानी थी, जिसे उसका दूर का रिश्तेदार अरुण (रमेश देव) शहर ले आता है. कुछ समय बाद आनंदी देवी को पता चलता है कि अरुण और उसकी पत्नी को एक नौकरानी की जरूरत थी, इसलिए ये लोग उसे गांव से शहर लेकर आए हैं. यह जानने के बाद वह घर छोड़ देती है और एक भिखारी बच्चे से दोस्ती करके उसके साथ एक जीर्ण-शीर्ण घर में रहने लगती है. उसके दयालु और अच्छे स्वभाव के कारण उसे श्याम (विनोद खन्ना) और छेनू (शत्रुघ्न सिन्हा) के नेतृत्व वाले युवा समूहों द्वारा नानी मां कहा जाता है. श्याम और छेनू एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी हैं और आंख से आंख मिलाकर नहीं देख सकते, आनंदी देवी उनके बीच शांति स्थापित करने की कोशिश करती हैं. इस फिल्म को आप अमेजॉन प्राइम वीडियो तथा यूट्यूब पर देख सकते हैं.