Rajamouli On Bollywood: राजमौली ने दिखाया बॉलीवुड को आईना, खुल कर बोल दी कड़वी बात
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Rajamouli On Bollywood: राजमौली ने दिखाया बॉलीवुड को आईना, खुल कर बोल दी कड़वी बात

Bollywood Films in 2022: बॉलीवुड फिल्में ढाई-तीन साल से लगातार फ्लॉप हो रही हैं. बॉक्स ऑफिस कमजोर पड़ रहा है. क्वालिटी फिल्मों के साथ धन कमाने के मामले में साउथ का सिनेमा आगे निकल चुका है. ऐसे में दिग्गज तेलुगु निर्देशक एस.एस. राजामौली ने आंखें खोलने वाली बातें कही है.

 

Rajamouli On Bollywood: राजमौली ने दिखाया बॉलीवुड को आईना, खुल कर बोल दी कड़वी बात

South Movies In 2022: किसी समय खुद को अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के सिनेमा का प्रतिनिधि समझने वाले बॉलीवुड का सुर 2022 में बदल गया. पुष्पा, केजीएफ 2, आरआरआर और कांतारा जैसी साउथ की फिल्मों ने जैसी धूम मचाई और बॉलीवुड फिल्में जैसे कतार से पिटीं उसने हिंदी के कॉमर्शियल सिनेमावालों को बैकफुट पर पहुंचा दिया. बॉलीवुड के तमाम बड़े निर्माता-निर्देशक-एक्टर पैन-इंडिया फिल्मों की बात करने और कहने लगे कि भारतीय सिनेमा को भाषाओं में बांटना नहीं चाहिए. बॉलीवुड के एक्टर साउथ की फिल्मों में रोल करने के लिए आतुर हैं क्योंकि वे समझ गए हैं कि यहां के निर्माता-निर्देशक दर्शकों की नब्ज पर पकड़ खो चुके हैं लेकिन सवाल यह कि क्या साउथ की इंडस्ट्री उनका स्वागत करेगी.

साउथ के सिनेमा की खूबियां
इस समय देश के सबसे बड़े फिल्म निर्देशक कहे जा रहे एस.एस. राजामौली ने हाल में पैन-इंडिया फिल्मों की बात करने वाले बॉलीवुड के निर्माता-निर्देशकों को आईना दिखाया है. एक यूट्यब इंटरव्यू में राजामौली से देश की अलग-अलग फिल्म इंडस्ट्रियों पर सवाल किया गया था कि आखिर उनकी क्या खूबियां हैं. इस पर राजामौली ने कहा कि मलयालम सिनेमा कहानियां कहने के मामले में आज देश में अव्वल है. उनकी कहानियों में विविधता है, वहां नए-नए विषयों पर फिल्में बनती हैं और आपको लगातार नई परिस्थितियां देखने मिलती हैं. जबकि तमिल सिनेमा के निर्देशकों की तकनीकि समझ सबसे बढ़िया है. जहां तक तेलुगु सिनेमा की बात है तो वह सबसे ज्यादा कॉमर्शियल है. तेलुगु वालों को पता है कि दर्शक क्या चाहते हैं. वहीं जिस कन्नड़ सिनेमा को लोग तीसरे-चौथे दर्जे का मानते थे, वह भी कांतारा जैसी फिल्म के साथ तेजी से विकसित हुआ है.

बॉलीवुड इसलिए डूब रहा
जब बात बॉलीवुड सिनेमा की बात आई तो राजामौली ने खुल कर कहा कि जब से कारपोरेट कंपनियों ने बॉलीवुड फिल्मों में पैसों का निवेश शुरू किया, उसका सिनेमा आत्मसंतुष्ट हो गया है. बॉलीवुड के मेकर्स जब शूटिंग शुरू होने से पहले ही जब अपनी फिल्म बेच चुके होते हैं, तो उनमें अच्छा सिनेमा बनाने की भूख ही नहीं बचती. वहां ज्यादातर लोग फिल्मों के बजाय प्रोजेक्ट और सैट-अप बनाने में दिलचस्पी दिखाते हैं. निश्चित ही राजामौली की बातें सच हैं. बॉलीवुड का सिनेमा फिल्मों की योजना से प्रोजेक्ट बनाने में सिमट चुका है और यहां धन निवेश करने वाली कारपोरेट कंपनियां ऐसे लोगों को अपनी फिल्म टीम में रखती हैं, जिनका क्रिएटिविटी से कोई संबंध होता है. लेकिन बॉलीवुड के दिग्गज मेकर्स की बातों से आज भी महसूस नहीं होता कि उन्हें अपनी गलतियों का एहसास है.

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