Kolkata Doctor Murder Case: कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ बेरहमी के साथ रेप-मर्डर एक ब्लाइंड केस था, जिसे सुलझाना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती था. लेकिन जांच में पुलिस को 2 ऐसे सुराग मिल गए कि महज 6 घंटे में उसने आरोपी को दबोच लिया.
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Kolkata Female Doctor Murder Case Update: कोलकाता के अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ निर्भया जैसी दरिंदगी और हत्या करने के बाद से वहां डॉक्टरों का आंदोलन जारी है. इस आंदोलन को डॉक्टरों के साथ ही आम लोगों का भी पूरा सपोर्ट मिल रहा है. लोगों में बढ़ रहे गुस्से को देखते हुए ममता सरकार ने स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का गठन किया था. जिसने पुलिस से जुड़े एक सिविक वॉलंटियर को अरेस्ट कर लिया है. उस वॉलंटियर ने इस अपराध में अपना हाथ कबूल कर लिया है. आखिर पुलिस ने महज 6 घंटे में ही यह ब्लाइंड मर्डर केस कैसे सुलझा लिया और कौन सी चूक हत्यारे पर भारी पड़ी, हम आपको बताते हैं.
पकड़ा गया कोलकाता की 'निर्भया' का हत्या
कोलकाता के पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल के मुताबिक आरोपी का नाम संजय रॉय (33) है. वह कोलकाता पुलिस में ही सिविक वॉलंटियर का काम करता था. उसे 2019 में भर्ती किया था. ऐसे वॉलंटियर का काम कानून-व्यवस्था सुधारने के काम में मदद देना होता है. उन्हें थोड़ा सा मानदेय मिलता है लेकिन कोई सैलरी नहीं दी जाती.
कमिश्नर ने बताया कि कोलकाता के जिस आरजी कार अस्पताल में महिला डॉक्टर का मर्डर हुआ, वहां की पुलिस चौकी पर कई बार सहयोग देने के लिए संजय रॉय की ड्यूटी रही है. इसके चलते वह अस्पताल के स्टाफ और पूरी इमारत के चप्पे से वाकिफ था. अस्पताल के हर विभाग तक उनकी आसान पहुंच थी और पुलिस से जुड़ा होने की वजह से कोई भी उसे रोकता नहीं था.
आरोपी की एक चूक पड़ गई भारी
शुक्रवार को अस्पताल में एमबीबीएस की सेकंड ईयर की महिला स्टूडेंट के साथ क्रूरतापूर्वक तरीके से रेप और मर्डर हुआ था. उसका शव अस्पताल बिल्डिंग की तीसरी मंजिल पर बने सेमिनार रूम में मिला था. घटना के बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए कोलकाता पुलिस ने एसआईटी का गठन कर दिया. टीम ने जब बारीकी से घटनास्थल की जांच की तो उसे वहां फटा हुआ ईयरफोन मिला था. यह पुलिस के लिए अहम सुराग था, जिसके जरिए उसे आरोपी तक पहुंच जाने की उम्मीद जग गई.
इसके बाद एसआईटी ने मृतका के साथी डॉक्टरों से पूछताछ की. उसमें पता चला कि महिला डॉक्टर और उनके दो जूनियर्स ने घटना वाली रात खाने का ऑर्डर दिया था. इसके बाद उन्होंने टीवी पर नीरज चोपड़ा को ओलंपिक में रजत जीतते देखा. साथ ही पांच डॉक्टरों ने मिलकर सेमिनार रूम में एक साथ खाना खाया. भोजन के बाद बाकी सब लोग चले गए, जबकि महिला डॉक्टर ने पढ़ाई करने और कुछ देर आराम करने का फैसला किया. जब बाकी डॉक्टर निकले तो उस वक्त सुबह के 3 बज रहे थे यानी डॉक्टर उस वक्त तक जीवित थी.
इन 2 सुरागों ने आरोपी को पहुंचा दिया जेल
अब पुलिस के पास दो क्लू थे. पहला टूटा हुआ ईयरफोन और दूसरा, घटना सुबह 3 बजे के बाद हुई. इसके बाद एसआईटी टीम ने सीसीटीवी कैमरे खंगाले तो पता चला कि सुबह 3 बजे के बाद करीब 5 लोग सेमिनार हॉल के आसपास गए थे. उनमें से 4 लोगों ने वहां जाने की वजह बताई, उससे पुलिस अधिकारी संतुष्ट हो गए लेकिन संजय राय अस्पताल स्टाफ न होते हुए इतनी सुबह तीसरी मंजिल पर जाने की वजह को स्पष्ट नहीं कर सका. लेकिन यह उसे अरेस्ट करने के लिए काफी नहीं था.
इसके बाद सीसीटीवी को दोबारा ध्यान से देखा गया तो पता चला कि जब संजय रॉय तीसरी मंजिल पर गया तो उसके गले में ईयरफोन लटका हुआ था लेकिन जब वह नीचे आया तो वह गायब था. इससे पुलिस का शक यकीन में बदल गया. इसके बाद पुलिस ने बिना देर किए उसे अरेस्ट कर लिया. पुलिस की पूछताछ में उसने अपना अपराध कबूल कर लिया और फिर अपने अपराध की जो खौफनाक कहानी बताई, उससे हर कोई सिहर जाए.
अंत तक दरिंदे से खूब लड़ी महिला डॉक्टर
संजय रॉय ने बताया कि वह सबसे पहले रात करीब 11 बजे आरजी कार अस्पताल परिसर में दाखिल हुआ. वह पहले से ही नशे में था. वह जल्द ही अस्पताल परिसर से चला गया और कथित तौर पर कुछ और पी लिया. सुबह करीब 4 बजे वह फिर इमरजेंसी वार्ड में घुसते और 40 मिनट बाद बाहर निकलते हुआ सीसीटीवी में नजर आया. इस दौरान उसके गले में ब्लूटूथ डिवाइस लटकी हुई थी लेकिन जब वह बिल्डिंग से बाहर निकला तो ईयरफोन गायब था.
आरोपी के मुताबिक वह तीसरी मंजिल पर बने सेमिनार हॉल में पहुंचा तो वहां महिला डॉक्टर अकेली सो रही थी. उसे देखकर संजय रॉय के अंदर का राक्षस जाग उठा. उसने हॉल को अंदर से बंद कर डॉक्टर पर हमला कर दिया. इस दौरान महिला डॉक्टर ने बहादुरी से उसका मुकाबला किया लेकिन वह उससे जीत नहीं पाई. इस दौरान आरोपी ने महिला को चेहरे, आंख और शरीर के दूसरे हिस्सों में खूब मारा. जब वह अधमरी होकर नीचे गिर गई तो उसके साथ रेप किया. इसके बाद पकड़े जाने के डर से गला दबाकर मर्डर कर दिया और फिर शव वहीं छोड़कर चुपचाप नीचे चला आया.
'सिविक वॉलंटियर नहीं बल्कि दलाल था आरोपी'
आरोपी की अरेस्टिंग के बाद पुलिस ने उसे सियालदह कोर्ट में पेश किया, लेकिन किसी भी वकील ने उसका केस लड़ने से इनकार कर दिया. सरकारी वकील ने आरोपी के गुनाह के बारे में बताते हुए केस की तुलना निर्भया कांड से की, जिसके बाद कोर्ट ने उसे 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया. आरोपी भले ही अब कानून के घेरे में है लेकिन लोगों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है.
आंदोलनकारी डॉक्टरों का कहना है कि संजय रॉय कोई सिविक वॉलंटियर नहीं बल्कि एक खुला दलाल था, जो अस्पताल में अच्छा इलाज कराने के नाम पर मरीजों से सौदेबाजी करता था. उसके कारनामों की जानकारी लोकल पुलिसकर्मियों को थी, इसके बावजूद कभी कोई कारवाई नहीं की गई थी.