Prakash Jha Birthday: कभी फुटपाथ पर सोया करते थे प्रकाश झा, 'धर्मा' की शूटिंग देख लिया था फिल्ममेकर बनने का फैसला
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Prakash Jha Birthday: कभी फुटपाथ पर सोया करते थे प्रकाश झा, 'धर्मा' की शूटिंग देख लिया था फिल्ममेकर बनने का फैसला

Prakash Jha Birthday: प्रकाश झा की फिल्मों की कहानी तो आपने बहुत बार देखी और सुनी होगी. पर उनकी रियल लाइफ स्टोरी के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. एक समय पर वो फुटपाथ पर सोया करते हैं. आइए जानते हैं उन्होंने कैसे इंडस्ट्री में एक अलग मुकाम हासिल किया.

Prakash Jha Birthday: कभी फुटपाथ पर सोया करते थे प्रकाश झा, 'धर्मा' की शूटिंग देख लिया था फिल्ममेकर बनने का फैसला

Prakash Jha Birthday: फिल्मों की कहानी दिखाने वाले निर्देशक भी लोगों के दिल में एक जगह बना लेते हैं. ढेर सारी कमाल की फिल्मों को बनाने वाले प्रकाश झा भी आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं.  गंगाजल, सत्याग्रह और ऐसे ही ढेर सारी कमाल की फिल्मों का क्रेडिट उन्हें जाता है. आपने उनकी फिल्मों से जुड़े तो बहुत किस्से सुने होंगे. पर प्रकाश झा के बर्थडे पर हम आपके लिए लेकर आए हैं उनकी लाइफ की स्टोरी. आइए जानते हैं कैसे फुटपाथ पर सोने वाले एक शख्स आज इंडस्ट्री का एक बड़ा नाम बन गया.

प्रकाश झा की लाइफ स्टोरी

प्रकाश झा एक दफा खुद बता चुके हैं कि वो पैसे न होने की वजह से फुटपाथ पर सोया करते थे. बिहार से अपना घर छोड़ पेंटर बनने का सपना लिए वो दिल्ली आई. घर से निकलते वक्त उनके पास एक कैमरा था और 300 रुपये. घर छोड़ने पर उन्होंने बहुत मुश्किलों का सामना किया. पैसे ना होने की वजह से कभी भूखा रहना पड़ा तो कभी फुटपाथ पर सोए. हालांकि, उनकी लगन ने आज उन्हें इस मुकाम पर पहुंचा दिया है.

फिल्म की शूटिंग देखते हुए लिया फैसला

एक दफा उन्हें फिल्म  ‘धर्मा’ की शूटिंग देखने का मौका मिला. इस दौरान ही प्रकाश झा ने फैसला लिया कि वो फिल्मों में करियर बनाएंगे. फिर क्या था उन्होंने फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पुणे में एडमिशन लिया और तैयारी शुरू कर दी.

'हिप हिप हुर्रे' के लिए मिला नेशनल अवॉर्ड

उनकी पहली डॉक्यूमेंट्री अंडर द ब्लू 1975 में रिलीज हुई थी. उन्होंने इसके बाद कुछ और सालों तक डॉक्यूमेंट्री का निर्देशन करना जारी रखा. उनकी पहली फीचर फिल्म 'हिप हिप हुर्रे' 1984 में रिलीज हुई थी. इस फिल्म के लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड भी मिला. उनकी मृत्युदंड (1997), गंगाजल (2003), अपहरण (2005), और राजनीति (2010) जैसी फिल्मों को लोगों ने बहुत प्यार दिया. 

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