फोटोग्राफी का कोर्स पूरा करने के बाद दादा साहेब के मन में अपना स्टूडियो खोलने का विचार आया जिसके लिए उन्होंने सबसे पहले गोधरा को चुना.
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गोधरा: केंद्र सरकार द्वारा सदी के महानायक अमिताभ बच्चन को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित करने का फैसला लिया है. फिल्म जगत में दादा साहेब का नाम बहुत बड़ा है. फाल्के ने अपने करियर की शुरुआत गुजरात के गोधरा से की थी. हालांकि सफलता के लिए उन्हें कठिन परिश्रम करना पड़ा. शुरुआत में उन्हें असफलता भी मिली लेकिन हिम्मत नहीं हारी. दादा साहेब फाल्के ने अपने सबसे पहले स्टूडियो की गोधरा के रेलवे स्टेशन से थोड़ी दूर गिडवाली रोड इलाके से की थी.
गोधरा के जहूरपुरा सब्ज़ी मंडी के पास एक बरसों पुराना मकान है और उस मकान में रहने वाला देसाई परिवार आज भी फाल्के सहाब के फोटो स्टूडियो की गवाही दे रहा है. दादा साहेब और उनके परिवार के संबंध और अलग-अलग मौकों पर दादा साहेब फाल्के ने उनके कैमरे से ली देसाई परिवार की तस्वीर आज भी परिवार के पास मौजूद है.
गोधरा के इस मकान में देसाई परिवार की चौथी पीढ़ी रहती है. सुधीर भाई देसाई के बेटे संस्कार देसाई, अपनी दो बेटियों और पत्नी के साथ रहते हैं. सुधीर भाई देसाई ने बताया कि दादा साहेब फाल्के उनके घर के हर छोटे-बड़े कार्यक्रम में फोटोग्राफ्री करने आते थे. कई तस्वीरें आज भी उनके पास है जिसको लेकर देसाई परिवार के सदस्य गर्व महसूस कर रहे हैं. गोधरा में इस तरह के पहले फोटो स्टूडियो को शुरू करके फोटोग्राफी की दुनिया में पहला कदम बढ़ाने का इतिहास भी दादा साहेब गोधरा तक फैला हुआ है. वडोदरा के सयाजी राव गायकवाड़ के पास जाकर, दादा साहेब ने फोटोग्राफी सीखने की अपनी इच्छा जताई थी. जिसके बाद सयाजी राव गायकवाड़ ने कला भवन में फोटोग्राफी कोर्स करने की व्यवस्था शुरू की. फोटोग्राफी का कोर्स पूरा करने के बाद दादा साहेब के मन में अपना स्टूडियो खोलने का विचार आया जिसके लिए उन्होंने सबसे पहले गोधरा को चुना.
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गोधरा जाकर दादा साहेब सबसे पहले सुधीर भाई देसाई के दादा राव साहेब देसाई से मिले. उस समय राव साहेब 22 गावों में से एक मात्रा सबसे बड़े धनवान माने जाते थे. फाल्के ने राव साहेब से अपना फोटो स्टूडियो खोलने के लिए जमीन मांगी थी. जहां उन्होंने पहला फोटो स्टूडियो 1895 में शुरू किया था लेकिन गोधरा जिला का सबसे पिछड़ा होने से दादा साहेब हो पूर्ण सफलता नहीं मिली थी. इसलिए वे गोधरा छोड़कर पुणे चले गए. इस प्रकार दादा साहेब ने गोधरा में अपना फोटोग्राफी के करियर की शुरुआत की थी. देसाई परिवार के सदस्य आज लेखक और डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्देशक के व्यवसाय से जुड़े हैं. वह अपनी सफलता और इस व्यवसाय का श्रेय दादा साहेब फड़के को दे रहे हैं. उल्लेखनीय है कि जब गोधरा शहर की बात आती है, तो 2002 के गोधरा कांड ही याद आता है लेकिन आज गोधरा का नाम दादा साहेब फाल्के जैसी महान हस्ती के साथ लेने से गोधरा शहर के लोगों गर्व महसूस कर रहे हैं.
सुधीर देसाई ने कहा, "अमिताभ बच्चन को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया जाने वाला है तो वहीं दादा साहेब के साथ की हमारी यादें ताज़ा हो गई हैं. दादा साहेब वडोदरा में फोटोग्राफी की पढ़ाई करने के बाद एक फोटो स्टूडियो शुरू करने के लिए जगह की तलाश कर रहे थे जिसके लिए उन्होंने मेरे दादा से बात की थी. मेरे दादा ने फाल्के साहब को स्टूडियो के लिए अपनी जमीन दी थी और उसही जगह पर था कि दादा साहेब फाल्के ने गोधरा में अपने करियर का पहला स्टूडियो स्थापित किया था. ढाई साल तक उन्होंने अपने व्यवसाय में तरक्की नहीं मिली. उन्होंने हमारे परिवार के छोटे बड़े कार्यक्रमों में फोटोग्राफी भी की थी जो फोटो आज भी हमारे पास मौजूद है. गोधरा में उनका व्यवसाय ठीक से नहीं चल रहा था, उन्होंने गोधरा के स्टूडियो को बंद कर दिया और वड़ोदरा और बाद में पुणे चले गए थे.