'सड़क 2' से पहले महेश भट्ट ने जाहिर की अपनी यह इच्छा! बेटी पूजा ने दिया साथ
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'सड़क 2' से पहले महेश भट्ट ने जाहिर की अपनी यह इच्छा! बेटी पूजा ने दिया साथ

महेश भट्ट लंबे अरसे बाद अपनी दोनों बेटियों की फिल्म 'सड़क 2' से डायरेक्टशन में वापसी करने जा रहे हैं.

महेश भट्ट और पूजा भट्ट दिव्यांगों के लिए आए आगे, फोटो साभार: twitter@maheshbhatt

नई दिल्ली: महेश भट्ट आए दिन अपने बयानों के चलते सुर्खियों में छाए रहते हैं. अब वह लंबे अरसे बाद अपनी दोनों बेटियों की फिल्म 'सड़क 2' से डायरेक्टशन में वापसी करने जा रहे हैं. लेकिन अब महेश भट्ट को लेकर एक और खबर सामने आई है. फिल्म निर्माता महेश भट्ट चाहते हैं कि असमर्थ या दिव्यांग लोगों को अधिक से अधिक अवसर मिलें.

नेशनल एबिलिम्बिक एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनएएआई) और सार्थक एजुकेशनल ट्रस्ट द्वारा आयोजित एक पैनल चर्चा में शुक्रवार को यहां महेश अपनी बेटी पूजा के साथ उपस्थित थे. इस दौरान महेश ने कॉर्पोरेट हाउसेज से देश के असमर्थ या दिव्यांग व्यक्तियों को रोजगार के अवसर प्रदान किए जाने का आग्रह किया.

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उन्होंने कहा, "मुझे ऐसा लगता है कि एक इंसान के तौर पर हमें अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करना चाहिए. हमें दिव्यांग श्रेणी के व्यक्तियों को समर्थन देना चाहिए और उन्हें आगे लाना चाहिए क्योंकि यदि हम ऐसा कर पाने में समर्थ नहीं हो पाते हैं तो हम अपने साथ ही अन्याय करेंगे. मुझे यह महसूस होता है कि यदि एक समाज अपनी प्रगति में तथाकथित कमजोर लोगों को शामिल नहीं करता है तो ऐसा समाज कहीं भी पहुंचने के काबिल नहीं रहेगा."

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उन्होंने आगे कहा, "इसलिए मैं कॉर्पोरेट घराने से अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने का आग्रह करता हूं क्योंकि वे हमारे अपने लोगों को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं."

पूजा भट्ट ने कहा, "एकदम शुरुआत में मेरे पिता ने मुझसे कहा था कि कुछ लोगों को समाज से सबकुछ मिलता है, लेकिन वे वापस में इसके बदले में समाज को कुछ नहीं देते हैं. इस वजह से हमने एक ऐसे परिवेश को स्थापित किया है जहां हर एक फिल्मों में हम एक नई प्रतिभा को अवसर देते हैं क्योंकि उनसे हमें कुछ नया मिलता है. हमारा एटीट्यूडऐसा नहीं है जहां हम सोचते हैं कि हम लोगों पर एहसान कर रहे हैं."

पूजा ने कहा कि श्रम की गरिमा ही महत्वपूर्ण है. पूजा ने आगे कहा, "मुझे लगता है कि इन लोगों को दान की आवश्यकता नहीं है. कंपनियों की ओर से इन लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान किया जाना चाहिए ताकि वह अपनी जिंदगी को खुद अपने दम पर जी सकें." (इनपुट आईएएनएस से भी)

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