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नई दिल्ली : फिल्मी दुनिया में आरडी बर्मन 'पंचम दा' के नाम से विख्यात थे और उन्होंने अपने करियर के दौरान लगभग 300 फिल्मों में संगीत दिया. आरडी बर्मन का जन्म 27 जून, 1939 को हुआ था और 4 जनवरी, 1994 को 54 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया था.
उनके पिता एसडी बर्मन भी जाने माने संगीतकार थे और आरडी बर्मन ने अपने करियर की शुरुआत उनके सहायक के रूप में की थी. आरडी बर्मन प्रयोगवादी संगीतकार के रूप में जाने जाते हैं. उन्होंने पश्चिमी संगीत को मिलाकर अनेक नई धुनें तैयार की थीं. हिन्दी फिल्मों के अलावा बंगला, तेलुगु, तमिल, उड़िया और मराठी फिल्मों में भी अपने संगीत के जादू से उन्होंने श्रोताओं को मदहोश किया.
पंचम दा के पिता एसडी बर्मन भी जाने माने संगीतकार थे. घर में फिल्मी माहौल होने के कारण उनका मन शुरू से ही संगीत में रमा बसा था. पंचम दा अक्सर अपनी धुनों के साथ प्रयोग किया करते थे. वह पश्चिमी संगीत को मिलाकर नई धुनें तैयार करते थे.
फिल्म जगत में ‘पंचम’ के नाम से मशहूर आर.डी.बर्मन को यह नाम तब मिला जब उन्होंने अभिनेता अशोक कुमार को संगीत के पांच सुर सा.रे.गा.मा.पा गाकर सुनाया. बतौर संगीतकार उन्होंने अपने सिने कैरियर की शुरुआत वर्ष 1961 में महमूद की निर्मित फिल्म ‘छोटे नवाब’ से किया था लेकिन इससे उन्हें कोई खास कोई पहचान नहीं मिल सकी.
1970 के दशक के दौरान गायिका आशा भोंसले के साथ उनके काम की बहुत सराहना हुई. आशा भोंसले ने उनके निर्देशन में फ़िल्म 'तीसरी मंज़िल' में 'आजा आजा मैं हूं प्यार तेरा...', 'ओ हसीना ज़ुल्फ़ों वाली...' और 'ओ मेरे सोना रे सोना...' जैसे गीत गाए.
पंचम दा के निर्देशन में पश्चिमी संगीत की धुन पर फिल्म 'कारवां' में गा गए गीत 'पिया तू... अब तो आ जा...' को भी काफी पसंद किया गया. इन गानों के हिट होने के बाद आरडी बर्मन ने अपने गीतों में आशा भोंसले को प्राथमिकता दी.
राजेश खन्ना, किशोर कुमार और आरडी बर्मन की तिकड़ी ने 70 के दशक में धूम मचा दी थी. इस दौरान 'सीता और गीता', 'मेरे जीवन साथी', 'बॉम्बे टू गोवा', 'परिचय' और 'जवानी दीवानी' जैसी कई फ़िल्मों आईं और उनका संगीत फिल्मी दुनिया में छा गया.
आर.डी.बर्मन ने संगीत निर्देशन और गायन के अलावा ‘भूत बंगला’ (1965) और ‘प्यार का मौसम’ (1969) जैसी फिल्मों में अपने अभिनय से भी दर्शकों को अपना दीवाना बनाया.
सुपरहिट फिल्म 'शोले' का गाना 'महबूबा महबूबा...' गाकर आरडी बर्मन ने अपनी अलग पहचान बनाई. फिल्म संगीत से जुड़ी हस्तियों को हमेशा इस बात पर अफसोस रहा कि पंचम दा के आखिरी दिनों में फिल्म बिरादरी ने उन्हें लगभग भुला दिया था.
पंचम दा को अपने सिने कैरियर में तीन बार सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इनमें ‘सनम तेरी कसम’,’मासूम’ और ‘1942 ए लवस्टोरी’ शमिल है.