एटा लोकसभा सीट को कभी यादव लैंड कहा जाता था. इस सीट में यादव मतदाताओं की बहुलता थी, जिसके चलते वे असेंबली से लेकर लोकसभा तक, सभी चुनावों में किंगमेकर की भूमिका निभाते थे. हालांकि उनका यह दबदबा 2008 में तब खत्म हो गया, जब परिसीमन के बाद यादव बहुल कई असेंबली सीटें दूसरी लोकसभा सीटों के साथ जुड़ गई और एटा के साथ लोध राजपूत बहुल सीटें आ गई हैं. इसके बाद से यादव लैंड की उपाधि और दबदबा दोनों जाते रहे. अब यह यादव बहुल सीट नहीं रही है. एटा लोकसभा सीट में इस वक्त कुल 5 असेंबली सीटें शामिल हैं. इनमें एटा जिले की मारहरा, एटा और कासगंज जिले की अमांपुर, पटियाली व कासगंज सीटें शामिल हैं. इनमें से 4 सीटों पर बीजेपी और एक पर सपा काबिज है. पूर्व सीएम कल्याण सिंह के बेटे और बीजेपी नेता राजवीर सिंह फिलहाल एटा से सांसद हैं. इस सीट के जातीय समीकरणों की बात की जाए तो यहां पर लोधी राजपूतों की संख्या करीब 2 लाख 90 हजार, यादव लगभग ढाई लाख, शाक्य करीब 2 लाख, ब्राह्मण 90 हजार, वैश्य 90 हजार, मतदाता, जाटव 2 लाख मतदाता है. बाकी बिरादरियां भी इस सीट पर हैं लेकिन वे कम मात्रा में है. इनमें से मुस्लिम और यादव सपा का कोर वोट बैंक रहा है.
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