Bharat Ratna PV Narasimha Rao: नरसिम्हा राव को ही हराकर 1984 में पहली बार दक्षिण में खिला था कमल, जानिए कौन थे सीजे रेड्डी
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Bharat Ratna PV Narasimha Rao: नरसिम्हा राव को ही हराकर 1984 में पहली बार दक्षिण में खिला था कमल, जानिए कौन थे सीजे रेड्डी

PV Narasimha Rao News: पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न सम्मान दिए जाने का एलान होते ही दक्षिण में पहली बार भाजपा सांसद बने चंदूपातला जंगा रेड्डी (Chandupatla Janga Reddy) भी चर्चा में आ गए. सीजे रेड्डी ने 1984 में हनमकोंडा लोकसभा सीट पर नरसिम्हा राव को 54198 मतों से हराया था.

Bharat Ratna PV Narasimha Rao: नरसिम्हा राव को ही हराकर 1984 में पहली बार दक्षिण में खिला था कमल, जानिए कौन थे सीजे रेड्डी

CJ Reddy VS PV Narasimha Rao: लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) से पहले भाजपा सरकार ने दूसरे बड़े कांग्रेसी दिग्गज पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न (Bharat Ratna) से दिए जाने की घोषणा की. इससे पहले मोदी सरकार ने साल 2019 में दिग्गज कांग्रेस नेता और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न दिया था. पीवी नरसिम्हा राव के लिए भाजपा सरकार (BJP Govt) के सम्मान के पीछे राजनीतिक जानकर दक्षिण को साधने की रणनीति मानते हैं.

लोकसभा चुनाव 1984 में संयुक्त आंध्र प्रदेश की हनमकोंडा सीट पर पीवी नरसिम्हा राव की हार

इसके साथ ही देश में संसदीय राजनीति के एक दिलचस्प वाकए का जिक्र होता है कि लोकसभा चुनाव 1984 में संयुक्त आंध्र प्रदेश की हनमकोंडा (Hanamkonda) संसदीय सीट पर पीवी नरसिम्हा राव को हराकर ही भाजपा वे दक्षिण में पहली बार कमल खिलाया था. यह ऐतिहासिक जीत हासिल करने वाले भाजपा नेता चंदूपातला जंगा रेड्डी (Chandupatla Janga Reddy) थे. आइए, इस राजनीतिक घटना और भाजपा नेता के बारे में जानते हैं.

लोकसभा चुनाव 1984 में कांग्रेस की सहानुभूति लहर के बावजूद जीते थे सीजे रेड्डी 

जनवरी 1980 में हुए लोकसभा चुनावों के कुछ महीने बाद 6 अप्रैल 1980 को भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ था. अक्तूबर 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी हत्याकांड के बाद हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपना पहला चुनाव लड़ा था. लोकसभा चुनाव 1984 में सहानुभूति लहर की वजह से कांग्रेस को सर्वाधिक 404 सीटें मिली थीं. इसके बाद राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने थे. लहर के बावजूद भाजपा को इस चुनाव में दो लोकसभा सीटें मिली थीं. आधिकारिक तौर पर लोकसभा चुनाव में इसे भाजपा का सबसे खराब प्रदर्शन कहा जाता है. इस चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी हार का सामना करना पड़ा था. 

आंध्र प्रदेश के हनमकोंडा सीट से भाजपा नेता सीजे रेड्डी ने खाता खोला

इस चुनाव में भाजपा ने दक्षिण और पश्चिम में कमल खिलाया था. इन दो सीटों में से एक सीट गुजरात के मेहसाणा में भाजपा उम्मीदवार डॉक्टर एके पटेल ने जीती थी. दूसरी ओर, आंध्र प्रदेश के हनमकोंडा से भाजपा नेता सीजे रेड्डी ने बड़ी जीत हासिल की थी. सीजे रेड्डी ने इस सीट पर कांग्रेसी दिग्गज पीवी नरसिम्हा राव को 54198 मतों के भारी अंतर से हराया था. संसद में सीजे रेड्डी लगातार सक्रिय रहे. इसके बाद लोकसभा चुनाव 1989 में भाजपा की झोली में सीटों की संख्या 88 तक पहुंच गई थी. 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता से भाजपा सांसद तक का लंबा सफर

साल 1935 में जन्मे चंदूपातला जंगा रेड्डी शुरू से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता थे. उन्होंने छात्र जीवन से सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की और फिर जनसंघ के कार्यकर्ता के रूप में पहचान बनाई. 1967 में वो पहली बार जनसंघ के टिकट पर विधायक बने. इसके बाद 1978 में फिर जनता पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा और जीता. 1983 में बीजेपी के गठन के बाद वो बीजेपी से राज्य के चुनावों में उतरे और फिर जीते. एक साल बाद ही भाजपा ने उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा. इसके साथ ही सीजे रेड्डी भाजपा के पहले सांसद बने. 

रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण और तेलंगाना सत्याग्रह आंदोलन में भी सक्रिय रहे थे रेड्डी

सीजे रेड्डी रामजन्मभूमि मंदिर आंदोलन और तेलंगाना सत्याग्रह आंदोलन समेत कई आंदोलनों में सक्रिय रहे थे. सीजे रेड्डी तीन बार 1967-72,1978-83 और 1983-84 तक आंध्र प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे थे. फरवरी 2022 में 87 साल की उम्र में सीजे रेड्डी का फेफड़े की बीमारी से हैदराबाद में निधन हो गया था. पीएम मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा था कि जनसंघ और भाजपा को सफलता की नई ऊंचाइयों पर ले जाने के प्रयासों का अभिन्न हिस्सा थे. उन्होंने कई लोगों के दिलो-दिमाग में अपनी जगह बनाई. उन्होंने कई कार्यकर्ताओं को प्रेरित भी किया.

कांग्रेस के दिग्गज नेता पीवी नरसिम्हा राव की गांधी- नेहरू परिवार से थी दूरी

पीवी नरसिम्हा राव वर्ष 1991 से 1996 तक देश के प्रधानमंत्री रहे थे. प्रधानमंत्री बनने से पहले वह विदेश मंत्री, गृह मंत्री और रक्षा मंत्री सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर भी रहे थे. नरसिम्हा राव साल 1971 से 73 तक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे. उनका जन्म 28 जून 1921 को करीमनगर में हुआ था. अब करीमनगर तेलंगाना का हिस्सा है. पीवी नरसिम्हा राव भले ही भारत के आर्थिक सुधारों के जनक मानते जाते हैं, लेकिन उनकी गांधी-नेहरू परिवार से दूरी जगजाहिर थी. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भाजपा नेताओं ने भी कई बार कांग्रेस पर पीवी नरसिम्हा राव को नजरअंदाज करने और उनकी जयंती नहीं मनाने का आरोप लगाया है. कहा जाता है कि 2004 में नरसिम्हा राव के पार्थिव शरीर को कांग्रेस मुख्यालय में ले जाने की इजाजत नहीं दी गई थी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की पीवी नरसिम्हा राव की जमकर तारीफ 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत रत्न सम्मान की घोषणा के साथ पीवी नरसिम्हा राव की तारीफ करते हुए लिखा, ‘एक प्रतिष्ठित विद्वान और राजनेता के रूप में नरसिम्हा राव ने विभिन्न पदों पर रहते हुए भारत की व्यापक सेवा की. उन्हें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और कई वर्षों तक संसद सदस्य और विधान सभा सदस्य के रूप में किए गए कार्यों के लिए भी याद किया जाता है.’ 

पीएम मोदी ने लिखा, ‘प्रधानमंत्री के रूप में नरसिम्हा राव का कार्यकाल महत्वपूर्ण कदमों से भरा था, जिसने भारत को वैश्विक बाजारों के लिए खोला और इससे आर्थिक विकास के एक नए युग की शुरूआत हुई. इसके अलावा, भारत की विदेश नीति, भाषा और शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान एक नेता के रूप में उनकी बहुमुखी विरासत को रेखांकित करता है. नरसिम्हा राव ने न केवल महत्वपूर्ण परिवर्तनों के माध्यम से भारत को दिशा दी बल्कि उसकी सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत को भी समृद्ध किया.’ 

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