Delhi Basement: यूपीएससी कोचिंग सेंटर में छात्रों की मौत के बाद सुर्खियों में बेसमेंट, जानिए दिल्ली में क्यों बनी पेशेवरों की पहली पसंद?
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Delhi Basement: यूपीएससी कोचिंग सेंटर में छात्रों की मौत के बाद सुर्खियों में बेसमेंट, जानिए दिल्ली में क्यों बनी पेशेवरों की पहली पसंद?

Why Proffessionals Love Basement: दिल्ली के लगभग सभी इलाके, अक्सर महंगे आवासीय इलाकों में पेशेवरों के लिए सबसे अधिक मांग वाले रियल एस्टेट स्थानों में बेसमेंट अव्वल है. अभी-अभी अपनी प्रैक्टिस शुरू करने वाले एक नए वकील से लेकर सीनियर एडवोकेट तक और डॉक्टरों से लेकर चार्टर्ड अकाउंटेंट तक बेसमेंट में दफ्तर एक पसंदीदा विकल्प बन चुका है. जबकि इन दफ्तरों में बड़ी मुश्किल से धूप या सेल फोन नेटवर्क की पहुंच हो पाती है.

Delhi Basement: यूपीएससी कोचिंग सेंटर में छात्रों की मौत के बाद सुर्खियों में बेसमेंट, जानिए दिल्ली में क्यों बनी पेशेवरों की पहली पसंद?

UPSC Aspirants Death At Basement: राजधानी दिल्ली में बीते दिनों भारी बारिश के बीच ओल्ड राजेंद्र नगर इलाके में यूपीएससी कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने से तीन स्टूडेंट की मौके पर ही मौत हो गई. इसके बाद तमाम लेवल और नौकरशाही और राजनीति को लेकर हंगामा जारी है. हालांकि, इस बीच दिल्ली में बेसमेंट में चल रहे अनधिकृत कामकाज भी सुर्खियों में शामिल रहे हैं.

दिल्ली में हर तरफ बेसमेंट में कामकाज धड़ल्ले से जारी

दिल्ली में हर तरफ बेसमेंट में दफ्तरों समेत विभिन्न तरह के कामकाज धड़ल्ले से जारी हैं. अक्सर महंगे आवासीय इलाकों में बेसमेंट पेशेवरों के लिए सबसे अधिक मांग वाले रियल एस्टेट स्थानों में से है. अभी-अभी अपनी प्रैक्टिस शुरू करने वाले एक युवा वकील से लेकर वरिष्ठ अधिवक्ताओं तक और डॉक्टरों से लेकर चार्टर्ड अकाउंटेंट तक बेसमेंट ऑफिस एक पसंदीदा जगह है. जबकि वहां धूप या सेल फोन नेटवर्क भी मुश्किल से मिल पाता है.

दिल्ली के बेसमेंट में चल रही अलग 'अंडरग्राउंड'  दुनिया

इसके अलावा दिल्ली के बेसमेंट में जिम, क्लाउड किचन, रेस्ट्रो बार और लाइब्रेरी की एक तरह 'अंडरग्राउंड'  दुनिया बनी हुई है. जबकि इनमें से कई रियल एस्टेट सिविक बॉडीज द्वारा निर्धारित मानदंडों का सरासर उल्लंघन हैं. हालांकि, बेसमेंट के प्रोफेशनल्स के बीच बड़ी पसंद के रूप में सामने आने के पीछे कई वजजें हैं. इनमें राजधानी में जमीन के एक टुकड़े की आसमान छूती कीमतों, जमीन के इस्तेमाल के पेचीदा नियमों और नागरिकों की लापरवाही सबसे आगे है.

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में तेजी से बढ़ती बेसमेंट इकोनॉमी 

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में तेजी से बढ़ती बेसमेंट इकोनॉमी को आकार लेने के पीछे जितने भी कारण हों, इस साल मूसलाधार बारिश और राजेंद्र नगर की घटना को देखते हुए ये बेसमेंट जांच के दायरे में आ गए हैं. एक कोचिंग सेंटर के तीन छात्रों की जान चली गई तो तमाम जगहों की जांच के बाद सैकड़ों प्रॉपर्टीज को सील किया गया है. आइए, जानते हैं कि दिल्ली में बेसमेंट को लेकर सरकारी नियम कानून क्या है?

दिल्ली में बेसमेंट को लेकर क्या कहते हैं सरकारी नियम

एकीकृत भवन उपनियम, 1983 और मास्टर प्लान दिल्ली, बेसमेंट के लिए नियामक मौजूदा हालात को नियंत्रित करते हैं. ये उपनियम बताते हैं कि दिल्ली की कॉलोनियों (जिन्हें सर्कल क्षेत्र दर के आधार पर आठ क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है) में किन गतिविधियों की अनुमति है और क्या वे आवासीय, वाणिज्यिक या मिश्रित उपयोग के लिए नामित हैं. इनके मुताबिक, श्रेणी ए और बी कॉलोनियों में, आवासों में केवल 'व्यावसायिक गतिविधियों' की इजाजत है.

मास्टर प्लान में किन गतिविधियों को परिभाषित किया गया है

मास्टर प्लान इन गतिविधियों को उन हरकतों के रूप में परिभाषित करता है जिनमें डॉक्टर, वकील, आर्किटेक्ट, चार्टर्ड अकाउंटेंट, कंपनी सचिव, अकाउंटेंट, इंजीनियर, टाउन प्लानर, मीडिया प्रोफेशनल्स और टेलीफिल्म निर्माता और मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स जैसे स्किल बेस्ड सर्विसेस शामिल हैं. साल 2016 में, आहार विशेषज्ञ/पोषण विशेषज्ञों को इस सूची में जोड़ा गया था. वकीलों के लिए आलीशान और बहुप्रतीक्षित जगह गोल्फ लिंक, सुंदर नगर, निज़ामुद्दीन ईस्ट, महारानी बाग और डिफेंस कॉलोनी वगैरह इन्हीं श्रेणियों में आते हैं.

साल 2008 में बेसमेंट में कामकाज के लिए मास्टर प्लान में संशोधन

साल 2008 में, बेसमेंट में विशेष रूप से 'व्यावसायिक गतिविधि' की अनुमति देने के लिए मास्टर प्लान में एक संशोधन किया गया था. नए प्रावधान के मुताबिक, “निर्माण उपनियमों, संरचनात्मक सुरक्षा मानदंडों और अग्नि सुरक्षा मंजूरी के प्रासंगिक प्रावधानों के अधीन, प्लॉट किए गए विकास में बेसमेंट में व्यावसायिक गतिविधि की अनुमति है. अगर पेशेवर गतिविधि के लिए बेसमेंट का उपयोग भूखंड पर अनुमेय एफएआर (फ्लोर एरिया अनुपात) से अधिक हो जाता है, तो ऐसे अतिरिक्त एफएआर का उपयोग सरकार की मंजूरी के साथ निर्धारित उचित शुल्क के भुगतान के अधीन किया जाएगा. ”

दिल्ली नगर निगम के 2011 के एक आदेश ने आसान किया मामला

इसके अलावा, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के 2011 के एक आदेश ने उनके लिए इन भूमिगत कार्यस्थलों को और अधिक खोल दिया. एमसीडी के आदेश में व्यक्तिगत आवासीय भूखंडों के पुनर्विकास के सभी प्रस्तावों में पार्किंग के लिए एक समर्पित मंजिल को शामिल करना अनिवार्य था. हालांकि इसका मकसद सड़कों पर लोगों की पार्किंग की समस्या को हल करना था, लेकिन इन मंजिलों का उपयोग पार्किंग के अलावा अन्य कारणों से किया जाने लगा.

दक्षिणी दिल्ली में 'बिल्डर फ्लोर' इकाइयों में से एक में फ्लैट-मालिक ने कहा, “भले ही निवासियों को सड़कों पर पार्क करना पड़े, लेकिन इन स्थानों को सर्वेंट क्वार्टर के रूप में उपयोग किया जाता है या ऑफिस  के रूप में किराए पर दिया जाता है. किराया आम तौर पर इमारत की रखरखाव लागत को कवर करता है और सुरक्षा गार्ड और अन्य कर्मचारियों के लिए भुगतान करता है. ”

दिल्ली में बेसमेंट और बरसाती के पॉपुलर होने की बड़ी वजह

दिल्ली में बेसमेंट और बरसाती (छतों पर सिंगल रूम सेट, जो अक्सर बिना परमिट के बनाए जाते हैं) के लोकप्रिय होने का एक और कारण निर्माण की सीमा है. दिसंबर 2022 तक, मास्टर प्लान में केवल 15 मीटर ऊंची इमारतों की अनुमति थी. सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद, दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने इसे स्टिल्ट के साथ 17.5 मीटर तक बढ़ा दिया.

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बेसमेंट का उपयोग किन कामों में हो सकता है किनमें नहीं?

डीडीए नियमों के अनुसार, अगर बेसमेंट का उपयोग पार्किंग, घरेलू भंडारण और सेवाओं या 'व्यावसायिक गतिविधि' के लिए किया जाता है तो इसे आवासीय इकाइयों में एफएआर में नहीं गिना जाएगा. इसके अलावा,  एक इमारत में कितने बेसमेंट हो सकते हैं के बारे में मास्टर प्लान में कहा गया है, "पर्याप्त सुरक्षा उपायों के अधीन कोई सीमा नहीं है." व्यावसायिक गतिविधियों के अलावा बेसमेंट का कोई अन्य उपयोग नहीं हो सकता. 'अन्य गतिविधियां' जैसे जिम, डायग्नोस्टिक सेंटर, गेमिंग जोन या यहां तक ​​कि कोचिंग सेंटर बेसमेंट में नहीं चल सकतीं, बल्कि केवल अन्य मंजिलों पर चल सकती हैं.

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