कश्मीर में इंजीनियरों का कमाल, पहली बार चिनाब के ऊपर से निकली रेल, जानिए कितना मुश्किल था ये प्रोजेक्ट
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कश्मीर में इंजीनियरों का कमाल, पहली बार चिनाब के ऊपर से निकली रेल, जानिए कितना मुश्किल था ये प्रोजेक्ट

Chenab River: यह पूरी रेलवे परियोजना इंजीनियरिंग के चमत्कारों से भरी हुई है, क्योंकि कटरा और बनिहाल के बीच 111 किलोमीटर का अधिकांश भाग सुरंगों और पुलों से होकर गुजरता है. इसमें भारत का पहला केबल-स्टेड रेल पुल भी है.

कश्मीर में इंजीनियरों का कमाल, पहली बार चिनाब के ऊपर से निकली रेल, जानिए कितना मुश्किल था ये प्रोजेक्ट

Highest Railway Bridge: भारत की इंजीनियरिंग ने दुनिया का 8वां अजूबा तैयार किया है. जम्मू और कश्मीर के रियासी में स्थित दुनिया के सबसे ऊंचे रेल पुल चेनाब ब्रिज पर पहली रेल चली है. यह पहली रेलगाड़ी को चेनाब ब्रिज पर निरीक्षण के तौर पर चलाया गया. रेलवे अधिकारी अब कश्मीर और रियासी के बीच ट्रेन सेवाओं की शुरुआत के लिए तैयारियों को अंतिम रूप दे रहे हैं. संगलदान से रियासी तक नई रेल सेवाएं 27 जून के बाद शुरू होने की उम्मीद है. 

कश्मीर से जोड़ने में मील का पत्थर

असल में चेनाब रेल पुल, जो 1.3 किमी लंबा और नदी के तल से 359 मीटर ऊपर स्थित है, परियोजना का एक महत्वपूर्ण हिसा है. यह ऊंचाई पेरिस के मशहूर एफिल टॉवर से 35 मीटर अधिक है. नॉर्दर्न रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा “संगलदान से रियासी तक पहली ट्रेन का उद्घाटन 27 जून को इस हिस्से पर ट्रेल रन होने के बाद होगा, जो जम्मू के रियासी जिले को रेलवे के माध्यम से कश्मीर से जोड़ने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.” 

एक नए चरण की शुरुआत

अधिकारी ने आगे बताया कि संगलदान-रियासी हिस्से के चालू होने का मतलब है जम्मू और कश्मीर में रियासी के बीच एक वैकल्पिक संपर्क. इसके बाद कटरा स्टेशन को कश्मीर से जोड़ा जाएगा, जो एक नए चरण की शुरुआत होगी और घाटी के कन्याकुमारी से जुड़ने की सबसे बड़ी उपलब्धि होगी.

इंजीनियरिंग के चमत्कार

यह पूरी रेलवे परियोजना इंजीनियरिंग के चमत्कारों से भरी हुई है, क्योंकि कटरा और बनिहाल के बीच 111 किलोमीटर का अधिकांश भाग सुरंगों और पुलों से होकर गुजरता है. इसमें भारत का पहला केबल-स्टेड रेल पुल भी है. 

सिलसिलेवार तरीके से चली परियोजना
अधिकारी ने कहा कि यह परियोजना कुल 272 किलोमीटर तक फैली हुई है, जिसमें से 209 किलोमीटर पहले ही चरणों में चालू हो चुकी है. शुरुआती चरण में अक्टूबर 2009 में 118 किलोमीटर का काजीगुंड-बारामुल्ला हिस्सा, उसके बाद जून 2013 में 18 किलोमीटर का बनिहाल-काजीगुंड हिस्सा, जुलाई 2014 में 25 किलोमीटर का उधमपुर-कटरा हिस्सा और इस साल फरवरी में 48.1 किलोमीटर का बनिहाल-सांगलदान हिस्सा पूरा हुआ.

 

आसान नहीं था प्रोजेक्ट
46 किलोमीटर लंबे संगलदान-रियासी सेक्शन के पूरा होने के बाद रियासी और कटरा के बीच सिर्फ़ 17 किलोमीटर का हिस्सा ही बचा है, जिसके इस साल अगस्त तक पूरा होने की उम्मीद है. इसे दशकों पुराना रेलवे का सपना साकार होगा और कश्मीर और देश के बाकी हिस्सों के बीच रेलवे कनेक्शन स्थापित होगा जो भारतीय रेलवे की एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी. एक लंबे समय से चले आ रहे प्रयास को सच्ची सफलता मिलेगी, जिसकी शुरुआत कई साल पहले चुनौतियों के बीच हुई थी.

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