वाराणसी में नहीं घटा नरेंद्र मोदी का वोट! पिछले 3 चुनावों से काशी में मोदी 6 लाख पार
Advertisement
trendingNow12283596

वाराणसी में नहीं घटा नरेंद्र मोदी का वोट! पिछले 3 चुनावों से काशी में मोदी 6 लाख पार

Narendra Modi Varanasi: 2022 के विधानसभा चुनाव और 2019, 2024 के लोकसभा चुनाव में तो बीजेपी 6 लाख के पार रही है. यानि तीनों ही चुनावों में बीजेपी ने 6 लाख से ज़्यादा वोट प्राप्त किए.

वाराणसी में नहीं घटा नरेंद्र मोदी का वोट! पिछले 3 चुनावों से काशी में मोदी 6 लाख पार

Loksabha Election Result: लोकसभा चुनाव 2024 में सबसे ज़्यादा चर्चा उत्तर प्रदेश की है. यूपी में बीजेपी को भारी नुकसान हुआ है. लेकिन क्या यूपी के नुकसान का असर प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी पर भी पड़ा? इस एक बड़े सवाल पर सियासी गलियारों से लेकर लुटिएंस के ख़ान मार्केट में बैठे तमाम तथाकथित चाणक्य चर्चा कर रहे हैं. कई रिपोर्ट में यह दावा किया जा रहा है कि वाराणसी में प्रधानमंत्री मोदी का वोट घट गया है, लेकिन क्या यह वाकई सत्य है या फिर आंकड़ों की बाज़ीगरी या हेरा-फेरी !

2004 से लेकर 2024 तक पिछले 20 सालों से वाराणसी में बीजेपी के प्रदर्शन और 2014 के बाद से भारतीय जनता पार्टी के वोट शेयर में बदलाव आया जरूर है. लेकिन यह आसानी से समझ पाएंगे कि कैसे आंकड़ों के खेल के माध्यम से एक अलग ही नैरेटिव सेट करने का प्रयास किया जाता है, जो कि सच्चाई से कोसों दूर होता है.

तीसरी बार वाराणसी से जीते

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीसरी बार वाराणसी से चुनाव लड़े और जीते. किसी भी संसदीय क्षेत्र से लगातार 3 बार चुनाव लड़ना और अपने वोट को स्थिर रखना अपने आप में सबसे बड़ी चुनौती होती है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2014 के बाद से ही लगातार 5 लाख 80 हज़ार से ज़्यादा वोट पाते रहे हैं.

2022 के विधानसभा चुनाव और 2019, 2024 के लोकसभा चुनाव में तो बीजेपी 6 लाख के पार रही है. यानि तीनों ही चुनावों में बीजेपी ने 6 लाख से ज़्यादा वोट प्राप्त किए. वाराणसी में 2014 के बाद से बीजेपी कभी भी 5 लाख 64 हज़ार वोटों के नीचे नहीं आई और बीजेपी को सबसे ज़्यादा वोट काशी में मोदी के आने के बाद से ही मिलने शुरू हुए.

वाराणसी लोकसभा सीट का सामाजिक और जातिगत समीकरण के साथ साथ चुनौतियों को भी जान लेना चाहिए.

अब एक नज़र वाराणसी के जातीय समीकरण पर (अनुमानित)-
- वाराणसी संसदीय क्षेत्र में कुल मतदाता 19,97,578 हैं
- जबकि मतदान सिर्फ 11,28,527 मतदाताओं ने किया, यानि 56.49 प्रतिशत

1. अति पिछड़ा वोट- 2.5 लाख
2. कुर्मी- 2.7 लाख
3. मुस्लिम- 3.10 लाख
4. यादव- 1.70 लाख
5. दलित- 2 लाख
6. बनिया- 1.40 लाख
7. श्रीवास्तव- 70 हज़ार
8. ब्राह्मण- 2 लाख
9. भूमिहार- 1.25 लाख
10. ठाकुर- 70 हज़ार
11. मौर्य- 1 लाख
12. बिंद- 50 हज़ार

जातीय समीकरण को देखकर आप को यह अंदाज़ा लग जाएगा कि लगभग 7 लाख तक का वोट बीजेपी के ख़िलाफ़ वाला है. अगर इसे 56.49 प्रतिशत मतदान के साथ देखें तो विपक्ष को बड़ी आसानी से लगभग 4 लाख औसत वोट मिलेगा.

वाराणसी का जातिगत और सामाजिक समीकरण

वाराणसी पूर्वांचल की उन सीटों में से एक है, जहाँ पर बीजेपी को 2014 से पहले तक मात्र 2 लाख वोटों में ही सिमट जाना पड़ता था. क्योंकि वाराणसी का जातिगत और सामाजिक समीकरण बीजेपी के बहुत ज़्यादा अनुकूल नहीं रहता था. यही कारण है कि कभी कांग्रेस तो कभी अन्य पार्टी के सांसद भी वाराणसी से चुनाव जीतते रहे हैं.

इस बार भी लोकसभा चुनाव 2024 में वाराणसी में मुस्लिम और यादव वोट एकमुश्त सपा-कांग्रेस गठबंधन के अजय राय के पास गए. मुस्लिम और यादव पोलिंग बूथों पर मतदान का प्रतिशत भी काफी ज़्यादा माना जा रहा है. हालाँकि काशी के नेताओं में इस बात की भी चर्चा है कि काशी के कुछ भूमिहार बूथों पर बीजेपी को मामूली नुकसान हुआ है. इस नुक़सान के कुछ स्थानीय फ़ैक्टर रहे. लेकिन यह इतना बड़ा भी नुकसान नहीं हुआ कि मोदी का वोट 6 लाख के नीचे आ जाए.

इसके अलावा 2019 में वाराणसी में 58.05 फीसदी मतदान हुआ था जबकि 2024 के लोकसभा चुनाव में 56.49 फीसदी ही मतदान हुआ. यानि 2019 की तुलना में 2024 में काशी संसदीय क्षेत्र में 1.56 फीसदी वोटिंग कम हुई. इसमें अधिकतर वाराणसी कैंट, दक्षिणी और उत्तरी के मतदाता मतदान के लिए बड़ी संख्या में नहीं निकले. जिसकी वजह से इन तीनों ही शहरी विधानसभा सीटों पर बीजेपी की लीड पर फर्क पड़ा लेकिन बीजेपी वाराणसी संसदीय क्षेत्र की सभी पाँचों विधानसभा सीटों पर जीत हासिल करती है. इसके विपरीत जो सपा और कांग्रेस का मूल वोट है, वो अपने पोलिंग बूथ पर बड़ी संख्या में वोट डालने निकले.

इसके अर्थ यह है कि काशी में जो बीजेपी के ज़िम्मेदार स्थानीय नेता हैं, वो अति आत्मविश्वास से भरे रहे और अपने मतदाताओं को पोलिंग बूथ तक नहीं पहुँचाया. चलिए अब आपको वाराणसी लोकसभा के आंकड़ों से रूबरू कराते हैं. सबसे पहले आपको वाराणसी में पिछले 5 लोकसभा चुनाव 2004, 2009, 2014, 2019 और 2024 में बीजेपी को मिले वोट के आंकड़े बताते हैं-

2004- बीजेपी के शंकर प्रसाद जायसवाल को मात्र 1,49,468 वोट मिले.
2009- बीजेपी के मुरली मनोहर जोशी को मात्र 2,03,122 वोट मिले.
2014- बीजेपी के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 5,81,022 वोट मिले, यानि मुरली मनोहर जोशी से पीएम मोदी को 3,77,900 वोट ज़्यादा मिले.

2019- इस लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी ने अपना ही पिछला रिकॉर्ड तोड़ा और पीएम मोदी को 6,74,664 वोट मिले.
2024- इस बार भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 6 लाख से ज़्यादा वोट प्राप्त हुए. 2024 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी को 6,12,970 वोट मिले.

अब आपके मन में सबसे बड़ा सवाल यही आ रहा होगा कि जब मोदी हर चुनाव में 6 लाख पार वोट पा रहे हैं तो जीत के आंकड़ों में अंतर क्यों आ रहा है? दरअसल यहीं से आंकड़ों में सुविधाजनक खेल शुरू होता है, कैसे यह भी समझिए-

2014 के लोकसभा चुनाव में सपा, बसपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी वाराणसी में अलग-अलग चुनाव लड़ती है. किस पार्टी और किस प्रत्याशी को कितने वोट मिलते हैं-

1. कांग्रेस के अजय राय को मात्र 75,614 वोट मिलते हैं.
2. सपा के कैलाश चौरसिया को मात्र 45,291 वोट प्राप्त होते हैं.
3. बसपा के विजय जायसवाल को 60,579 वोट हासिल हुए.
4. आप के अरविंद केजरीवाल को 2,09,238 वोट मिले.
5. अन्य प्रत्याशियों को 58,941 वोट मिले.

यानि इस तरह से 2014 में वाराणसी में विपक्ष को लगभग 4 लाख 50 हज़ार वोट प्राप्त हुए और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 5,81,022 वोट मिले. इसका यह मतलब यह है कि बीजेपी विरोध का एक बड़ा वोट वाराणसी में मौजूद है. इसके लिए आगे आपको वाराणसी का जातीय समीकरण भी बताएँगे.

अब नज़र डालते हैं 2019 के लोकसभा चुनाव में काशी में विपक्ष को कितना वोट मिला, यहाँ पर ध्यान देने वाली बात यह भी है कि 2019 में सपा और बसपा का गठबंधन भी था.

1. सपा और बसपा गठबंधन से शालिनी यादव को 1,95,159 वोट मिले
2. कांग्रेस के अजय राय को 1,52,548 वोट मिले

यानि 2019 के लोकसभा चुनाव में अगर सपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों के वोट को मिला दें तो यह आंकड़ा लगभग 3 लाख 48 हज़ार वोटों तक पहुँच जाता है. बसपा का चुनाव निशान ना होने के कारण लगभग 70 हज़ार के आसपास दलित मतदाता बीजेपी की तरफ जाता है. अब जब 2019 में कांग्रेस के अजय राय से ज़्यादा वोट सपा की शालिनी यादव को मिलता है, तो फिर हार जीत का अंतर प्रधानमंत्री मोदी और शालिनी यादव को मिले वोटों से निकाला गया, ना कि सपा-कांग्रेस को संयुक्त वोटों के आधार पर. किसी भी कीमत पर वाराणसी में विपक्ष का वोट 4 लाख के ऊपर ज़रूर है. इसके बावजूद भी पीएम मोदी 2019 में भी 6 लाख पार वोट पाते हैं.

अब 2024 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी में विपक्ष के प्रत्याशियों को कितने वोट मिले-

1. सपा और कांग्रेस के संयुक्त प्रत्याशी अजय राय को 4,60,457 वोट मिले
2. बसपा के अतहर जमाल लारी को 33,766 वोट मिले
3. अन्य को 22,950 वोट मिले

यहाँ पर सपा और कांग्रेस के अजय राय के साथ बसपा का लगभग 35 हज़ार वोट शिफ्ट हुआ है. इसके साथ ही 2014, 2019 में विपक्ष को जो वोट अलग अलग मिले थे, वो एक साथ सपा-कांग्रेस गठबंधन को मिल गए. इसीलिए वाराणसी में पीएम मोदी के जीत का आंकड़ा 1,52,513 वोट का दिखाई दे रहा है. जबकि पीएम मोदी का वोट किसी भी कीमत पर 6 लाख के नीचे नहीं गया. 

अब जब बड़े-बड़े पत्रकार और लेखक विपक्ष के वोट को अलग-अलग जोड़ कर आंकड़ा निकालेंगे, तो ज़रूर बड़ा अंतर दिखेगा लेकिन अगर खुद इन चुनावी आंकड़ों का नज़दीक से गहन अध्ययन करेंगे, तो यह पाएंगे कि मोदी के काशी में लगातार 6 लाख पार हैं. उदाहरण के तौर पर 2014 में विपक्ष को 4 लाख 50 हज़ार के आस पास वोट मिलते हैं, लेकिन तब वो अलग अलग लड़े थे. वहीं 2019 में विपक्ष को 4 लाख 60 हज़ार वोट ही मिले हैं. तो भला मोदी के वोट बैंक में नुकसान कैसे दिखता है? 

अब आप एक बार मोदी के पहले की काशी के चुनावी आंकड़े भी देख लीजिए. 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में किस पार्टी को कितने वोट मिले

2004

1. बीजेपी के शंकर प्रसाद जायसवाल को 1,49,468 वोट मिले
2. कांग्रेस के राजेश मिश्र को 2,06,902 वोट मिले
3. सपा की अंजना प्रकाश को 59,104 वोट प्राप्त हुए
4. बसपा के आमिर पटेल को 59,518 वोट मिले
5. अपना दल के अतहर जमाल लारी को 93,228 वोट मिले
यानि 2004 में भी विपक्ष उसी 4 लाख के आंकड़े के पास पहुँच रहा है, जो कि वो 2014, 2019 और 2024 में पहुँचा है.

 

अब काशी से जुड़े 2009 के लोकसभा चुनाव के आंकड़ें को भी देखिए-

2009

1. बीजेपी के मुरली मनोहर जोशी को 2,03,122 वोट मिले
2. कांग्रेस के राजेश मिश्र को 66,386 वोट
3. सपा के अजय राय को 1,23,874 वोट
4. बसपा के मुख़्तार अंसारी को 1,85,911 वोट
5. अपना दल के विजय जायसवाल को 65,912 वोट

2009 के आंकड़ों से भी साफ है कि वाराणसी में विपक्ष का वोट औसतन 4 लाख के आसपास रहता है. 2004 और 2009 के चुनाव में बीजेपी को अधिकतम 2 लाख वोट ही मिल पाए और 2009 में बीजेपी काशी को मात्र 17,211 वोटों से जीत पाई थी. काशी में बीजेपी पहली बार लाखों के अंतर से चुनाव 2014 के लोकसभा से जीतना शुरू करती है, जो कि अभी भी बरकरार है.

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि वाराणसी में जब से मोदी युग शुरू हुआ तो बीजेपी का औसत वोट 6 लाख पार हो गया और विपक्ष का एकजुट वोट लगभग 4 से साढ़े चार लाख तक हमेशा से बना हुआ है.

Trending news