Uddhav Thackeray: वो उद्धव ठाकरे जो कुछ दिन पहले मुंबई से लेकर दिल्ली तक ताबड़तोड़ बैठकों का दौर कर रहे ताकि महा विकास अघाड़ी की तरफ से वे सीएम पर के उम्मीदवार हो जाएं. लेकिन ऐसा क्या हुआ कि उनके मिजाज अचानक से बदल गए और उन्होंने कहा कि वे गठबंधन धर्म निभाएंगे. इसके मायने समझे जाने चाहिए.
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Maha Vikas Aghadi CM Candidate: एक जमाने में भारतीय राजनीति में हिंदू हृदय सम्राट के सबसे बड़े पोस्टर बॉय रहे बाला साहेब ठाकरे कहा करते थे कि आप कमलाबाई की चिंता मत करिए.. मैं जो कहूंगा कमलाबाई वही करेंगी. उनका ये सीधा इशारा बीजेपी पर रहता था. ऐसा कहते हुए बाल ठाकरे जता देते थे कि महाराष्ट्र में वे ही बीजेपी के बड़े भाई हैं और रहेंगे. लेकिन राजनीति तो गजब की चीज है.. शेरो शायरी की दुनिया के उस्ताद राजनीति को बस मौके का दूसरा नाम कहते हैं. शायद सही कहते हैं. अब महाराष्ट्र की राजनीति पर वापस आइए. समय बदल गया बीजेपी अब उस शिवसेना के साथ है जो उद्धव ठाकरे की है ही नहीं. उद्धव किसी भी कीमत पर बदला लेने को आतुर हैं. पिछले दिनों खुद को सीएम कैंडिडेट के रूप में लगभग घोषित कर चुके उद्धव का नया बयान तो सुनिए.
महाविकास अघाड़ी की तरफ से सीएम पद को लेकर उद्धव का जो ये हृदय परिवर्तन हुआ है, उसे भी समझने की जरूरत है. उन्होंने सीएम पद के लिए लगभग अपने हाथ खींच लिए हैं. यह सब एमवीए की मीटिंग में हुआ है. मीटिंग में ही उन्होंने कहा कि ये महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव राज्य के आत्मसम्मान की रक्षा की लड़ाई साबित होंगे. कार्यकर्ता महाराष्ट्र के गौरव और सम्मान की रक्षा के लिए अपने निजी हितों से ऊपर उठकर काम करें.
बात ही बात में इस बीच उन्होंने कह दिया कि वे कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) की ओर से मुख्यमंत्री पद के लिए घोषित किए जाने वाले, महाविकास आघाडी गठबंधन के उम्मीदवार का वह समर्थन करेंगे. उद्धव ने कहा कि बार बार हमसे पूछा जाता है की महा विकास आघाड़ी की तरफ से सीएम का चेहरा कौन होगा.. आज में इस मंच से ऐलान करता हूं कि महा विकास और कोई भी सीएम हो, चाए वो शरद पवार गुट का हो या कांग्रेस का हो, मेरा समर्थन उसको पूरा होगा.
अपनी बात में उन्होंने अपना दर्द भी दिखा और बीजेपी का जिक्र करते हुए कहा कि बीजेपी और हमारी युति 25 से 30 साल रही, हर बार कहा कि जिसकी सीट ज्यादा होगी उसका सीएम, पर अब ऐसा नहीं होगा. अब या तो वो रहेंगे या अब हम. उन्होंने बीजेपी पर निशाना भी साधा और कहा कि जब आप पूर्ण बहुमत में थे तब वक्फ संशोधन विधेयक क्यों पारित नहीं किया गया? प्रधानमंत्री द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता की वकालत किए जाने के मुद्दे पर उद्धव ने सवाल उठाया कि क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हिंदुत्व छोड़ दिया है?
अब आखिर में सवाल है कि उद्धव ने सीएम कैंडिडेट वाला पैंतरा क्यों बदल दिया. आखिर क्या हो गया. महाराष्ट्र की राजनीति पर नजर रखने वाले एक्सपर्ट्स का मानना है कि चूंकि उद्धव सीएम रह चुके हैं और फिलहाल बीजेपी के खिलाफ सबसे मुखर चेहरों में से एक हैं, इसलिए उनकी पार्टी ने पहले तो उद्धव के लिए ही सीएम पद का दांव लगाया. यहां तक कि तो पिछले दिनों एमवीए के ही कई नेताओं के अलग-अलग बयान आए. फिर उद्धव ने कांग्रेस और शरद पवार के साथ कई बैठकें की. दिल्ली तक के चक्कर लगाए.
इस बीच लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस भी रंग में आ गई. ऐसे में इन पार्टियों के नेताओं ने भी सीएम पद को लेकर मुखरता से अपने अपने पक्ष रखे. ये भी मांग उठी कि जिसकी सीटें ज्यादा होंगी, सीएम पद उसी के पास जाएगा. यही सब देखते हुए उद्धव की सेना सीएम पद का लालच फिलहाल त्यागती नजर आ रही है. उद्धव ठाकरे के बदले हुए मूड तो कम से कम यही लग रहा है.