Yamuna Toxic Foam: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यमुना नदी की सतह पर महीनों पहले ही जहरीली झाग देखकर एक्सपर्ट भी हैरान हो गए हैं. यमुना नदी में आमतौर पर सर्दी के मौसम में झाग देखने को मिलती थी. उससे महीनों पहले और बरसात के मौसम में कालिंदी कुंज के पास अचानक सफेदी की चादर की वजह जानने में लोगों की दिलचस्पी बढ़ गई है.
Trending Photos
Yamuna Pollution Increased: केंद्र और राज्य सरकार समेत कई गैर सरकारी संस्थाओं के तमाम दावे के बावजूद दिल्ली-एनसीआर के पास यमुना नदी पर जल प्रदूषण का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है. राजधानी दिल्ली में कई जगहों पर यमुना नदी की सतह पर बीते दो दिनों से लगातार जहरीली झाग देखी जा रही है. सबसे पहले गुरुवार को कालिंदी कुंज के पास यमुना नदी पर अचानक सफेदी का चादर देखकर स्थानीय लोग हैरान रह गए थे.
स्थानीय लोगों के मुताबिक, बरसात के मौसम में यमुना नदी की सतह पर जहरीली झाग के चलते कई जगहों पर पानी का दिखना मुश्किल हो गया था. कालिंदी कुंज के बाद शुक्रवार को ओखला बैराज के पास भी यमुना में बहती पानी को ढंक रही झाग की चादर देखी गई थी. प्रदूषण के चलते यमुना नदी की सतह पर बनने वाले जहरीली झागों को पहले सर्दी के मौसम में देखा जाता था. इस बार कई महीने पहले और सर्दी की जगह बरसात में इन परिस्थितियों को देखकर एक्सपर्ट भी परेशान हो गए हैं.
जानकारों का मानना है कि प्रदूषण के कई गुना बढ़ जाने से यमुना नदी पर बरसात में ही सफेदी की चादर दिखने लगी है. यमुना नदी में शनिवार को भी दूर-दूर तक फैली झाग की मोटी सफेद चादर ने दिल्ली-एनसीआर के लोगों की चिंता बढ़ा दी है. लोगों का कहना है कि अगर ऐसे ही हालात रहे तो सर्दियों में क्या होगा. हालांकि, विशेषज्ञों ने कहा है कि फिलहाल इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड स्थित यमुनोत्री में उद्गम से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संगम तक यमुना नदी की कुल लंबाई करीब 1,370 किलोमीटर है. इसमें से पल्ला से कालिंदी कुंज की लंबाई 54 और वजीराबाद से कालिंदी कुंज का हिस्सा 22 किलोमीटर है. यह यमुना नदी की पूरी लंबाई का सिर्फ दो फीसदी है, लेकिन इसी हिस्से में करीब 76 फीसदी प्रदूषण होता है.
एक दिलचस्प तथ्य यह भी सामने आया है कि मानसून के अलावा साल के नौ महीनों में यमुना नदी में ताजा पानी नहीं रहता. आमतौर पर अक्टूबर के आखिरी सप्ताह या नवंबर की शुरुआत में छठ के त्योहार के आसपास यमुना नदी में जहरीली झाग दिखती है. आइए, जानते हैं कि इस बार महीनों पहले ही यमुना नदी मुश्किल से क्यों घिर गई हैं? यमुना में अचानक सफेद चादर की क्या वजह और यह कितनी चिंताजनक बात है?
दिल्ली में यमुना नदी में बीते तीनों से देखी जा रही जहरीली सफेद झाग को लेकर एक्सपर्ट का कहना है कि यह ओखला बैराज से ऊंचाई और तेजी से पानी नीचे गिरने की वजह से बना हुआ हो सकता है. पर्यावरणविद् का कहना है कि इस तरह की झाग कई बार पेड़-पौधों की वसा से भी बनती है. वहीं, यूरोपीय देशों की स्टडी के मुताबिक सफेद झाग की एक वजह यमुना नदी के दूषित पानी में अचानक शैवालों का बढ़ जाना भी हो सकती है. हालांकि, इससे कोई बड़ा नुकसान नहीं होता.
विशेषज्ञों ने यमुना नदी में बनने वाली सफेद जहरीली झाग के लिए अलग से डेडिकेटेड स्टडी की जरूरत भी बताई है ताकि असल तस्वीर सामने आ सके. नदियों से जुड़े रिसर्च करने वासे वैज्ञानिकों का मानना है कि पेड़-पौधे या शैवालों वाली कार्बनिक झाग से उलट साबुन से निकला फास्फेट और नाइट्रेट स्किन को नुकसान पहुंचाता है. क्योंकि फॉस्फेट पानी की बूंदों के सतह का तनाव (सर्फेस टेंशन) कम कर देता है. इस वजह से ही बड़े पैमाने पर झाग बनती है.
घरों में इस्तेमाल होने वाले साबुन के अलावा फैक्ट्रियों से निकलने वाला कचरा भी फास्फेट और नाइट्रेट की मात्रा बढ़ा देता है. इससे पता चलता है कि दिल्ली के आसपास यमुना नदी में बड़ी मात्रा में बगैर फिल्टर का सीवेज छोड़ा जा रहा है. यही फॉस्फेट वाला पानी जब ऊंचाई से गिरता है तो झाग और ज्यादा बढ़ जाती है. इस बार मानसून की बारिश में इसी कारण झाग बन रही है. नदी में साबुन और फैक्ट्री वेस्टेज वाला फास्फेट कम करने से झाग भी कम की जा सकती है.
ये भी पढ़ें - इस राज्य के CM ने दिल्ली पहुंचते ही भरी हुंकार, बोले- PM मोदी का सपना टूटेगा नहीं, हम साथ खड़े हैं
विशेषज्ञों के मुताबिक, दिल्ली में यमुना नदी के कालिंदी कुंज वाले हिस्से में सबसे ज्यादा प्रदूषण रहता है. वहां सफेद जहरीली झाग की एक बड़ी वजह ओखला बैराज से ऊंचाई से पानी छोड़ा जाना भी है. यहां पानी में फॉस्फेट और नाइट्रेट भी ज्यादा होता है. बरसात में कार्बनिक अणुओं के सड़ने से भी नदी में झाग दिखती है. इन पेड़-पौधों के अलावा घरों और फैक्ट्रियों से निकलने वाले सीवेज से भी पानी का सतही तनाव कम हो जाता है और बुलबुला तैरता दिखता है.
ये भी पढ़ें - Rahul Gandhi को मिल गया नया पता-ठिकाना? VIP लोकेशन-Type 8 कैटेगिरी, कैबिनेट मंत्रियों को मिलता है ऐसा बंगला