आमतौर पर कहा जाता है कि दफ्तर हो या घर में लगातार काम करने से व्यक्ति की प्रोडक्टिविटी प्रभावित होती है. परंतु अगर इस दौरान पांच मिनट का विराम लिया जाए, तो परिणाम कुछ और हो सकता है.
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आमतौर पर कहा जाता है कि दफ्तर हो या घर में लगातार काम करने से व्यक्ति की प्रोडक्टिविटी प्रभावित होती है. परंतु अगर इस दौरान पांच मिनट का विराम लिया जाए, तो परिणाम कुछ और हो सकता है. हाल ही में सिडनी यूनिवर्निटी में किए गए एक अध्ययन में यह बात स्पष्ट हो गई है. अध्ययन के अनुसार, यदि काम के दौरान दिमाग को थोड़ा विराम दिया जाए, तो व्यक्ति की काम करने की क्षमता में 50 फीसदी या उससे अधिक की बढ़ोतरी हो सकती है. शोधकर्ताओं ने इसे ब्रेन ब्रेक की संज्ञा दी है.
सिडनी यूनिवर्सिटी में 72 छात्रों पर यह शोध किया गया है. इस दौरान उनकी बौद्धिक क्षमता को आंकने के लिए उनसे दो तरह की परीक्षा ली गई. उन्हें पहले से सिखाए गए पाठ के आधार पर और गणित के दो कठिन सवाल महल करने के लिए दिए गए. इस दौरान शोधकर्ताओं ने पांच मिनट विराम का प्रावधान भी रखा था.
अध्ययन में क्या साबित हुए?
अध्ययन में पाया गया कि वे छात्र जिन्हें परीक्षा के दौरान अव्यवस्थित पांच मिनट का ब्रेक दिया गया, उन्होंने विराम नहीं दिए जाने वाले छात्रों के मुकाबले अच्छे अंक प्राप्त किए. ऐसे छात्रों को 57 प्रतिशत अधिक अंक मिले. छात्रों के एक समूह को जब आराम दिया गया, उन्होंने अव्यवस्थित विराम लिया, जबकि अन्य छात्रों को प्रकृति से जुड़ा वीडियो दिखाया गया. हालांकि दोनों समूहों ने अपने अशांत साथियों की तुलना में दूसरी चुनौती में बेहतर प्रदर्शन किया.
मोबाइल से दूर रहें
अध्ययन से पोमोडोरों तकनीक की प्रमाणिकता साबित होती है, जिसमें 25 मिनट तक लगातार ध्यान लगाकर काम करने वालों को पांच मिनट का विराम देने का सुझाव दिया गया है. अध्ययन करने वालों ने सुझाव दिया कि विराम के दौरान आपको ऑफिस के आसपास नहीं रहना है. साथ ही अपने कंप्यूटर, मोबाइल या किसी अन्य डिवाइस से दूर हट जाना चाहिए. इस दौरान सोशल मीडिया से भी नहीं जुड़ना चाहिए.
क्या है पोमोडोरो तकनीक
वर्ष 1980 में फ्रैंसेस्को सिरिलो द्वारा समय प्रबंधन के लिए एक तकनीक विकसित की गई, जिसे पोमोडोरो तकनीक नाम दिया गया. इसमें समय के सदुपयोग और उत्पादकता बढ़ाने के लिए उपलब्ध उपकरणों, सिद्धांतों और प्रक्रिया के पालन की विधि बताई गई है. यह तकनीक पूरी तरह से स्व परीक्षण और जागरुकता पर आधारित है. इस तकनीक की मदद से व्यक्ति समय के साथ सामंजस्य बिठाते हुए बिना परेशान हुए अपने लक्ष्य को हासिल कर सकता है. यह तकनीक समय को हमारे प्रमुख सहायक के रूप में परिवर्तित कर देती है.