ब्रेस्ट कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका नाम सुनते हैं महिलाओं के दिमाग में डर का माहौल पैदा हो जाता है. हालांकि इसको डिटेक्ट करने के मामले में रिसर्चर्स को बड़ी सफलता मिली है.
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Breast Cancer: ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में होने वाला सबसे कॉमन टाइप ऑफ कैंसर है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक हर साल 2.3 मिलियन नए मामले सामने आते हैं. इसकी वजह से कई महिलाओं की जान तक चली जाती है. हलांकि एक रिसर्च में इस डिजीज का पता लगाने के लिए जेनेटिक मॉडल का सहारा लेने की बात कही गई है.
ब्रेस्ट कैंसर को लेकर रिसर्च
अमेरिका के रिसर्चर्स की एक टीम ने ब्रेस्ट कैंसर के लिए एक नया जेनेटिक मॉडल डेवलप किया है, जो साइंटिस्ट्स को ये समझने में मदद कर सकता है कि कैंसर क्यों और कहां फैलता है.
अमेरिका में मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी (Michigan State University) के प्रोफेसर एरन आंद्रेचेक (Eran Andrechek) ई2एफ5 (E2F5) जीन और ब्रेस्ट कैंसर के डेवलपमेंट में इसके रोल पर रिसर्च कर रहे हैं।
क्या रहे नतीजे?
आंद्रेचेक की लेबोरेटरी से आए नतीजों के आधार पर कहा जा सकता है कि ई2एफ5 के नष्ट होने से साइक्लिन डी1 के (Cyclin D1) रेगुलेशन में बदलाव होता है. साइक्लिन डी1 लंबे वक्त तक देरी के बाद मेटास्टेटिक ब्रेस्ट ट्यूमर (Metastatic Breast Tumors) से जुड़ा एक प्रोटीन है.
'ऑन्कोजीन' ( Oncogene) जर्नल में छपी एक स्टडी में ये भी बताया गया है कि मेमरी ग्लैंड में ई2एफ5 को हटाने से ट्यूमर का निर्माण होता है. जैसे-जैसे वैज्ञानिक बेहतर ढंग से समझेंगे कि जीन ब्रेस्ट कैंसर को कैसे प्रभावित करते हैं, वो ये भी जान सकेंगे कि कैंसर मेटास्टेसाइज क्यों होता है और कैंसर कहां फैलने की आशंका है.
रिसर्चर ने क्या कहा?
एंड्रेचेक के मुताबिक, उनका माउस मॉडल जेनेटिक रूप से तैयार मॉडल से अलग है. आनुवंशिक रूप से तैयार माउस मॉडल को इंजेक्शन के जरिए कृत्रिम रूप से बदला जा सकता है ताकि कैंसर सेल्स को लिवर या ब्रेन जैसे अंगों में जाने के लिए मजबूर किया जा सके वहीं उनकी प्रयोगशाला का नया निर्मित माउस मॉडल इसे अनावश्यक बनाता है.
एंड्रेचेक ने कहा, "इस मॉडल को लेकर हम इतने उत्साहित क्यों हैं, इसका एक कारण ये है कि यह कुछ ऐसा करता है जो ज्यादतर जेनेटिकली इंजीनियर्ड माउस मॉडल ने पहले नहीं किया है." एंड्रेचेक के मुताबिक ब्रेस्ट कैंसर सबसे ज्यादा बार लिम्फ नोड्स, हड्डियों या लिवर में फैलता है.
कैसे की गई स्टडी?
एंड्रेचेक की प्रयोगशाला स्तन कैंसर के विकास और प्रगति में शामिल तंत्रों की जांच करने के लिए जेनेटिक मॉडल के साथ-साथ बायोइन्फॉर्मेटिक्स (Bioinformatics) का इस्तेमाल करती है.
इसका रिसर्च ब्रेस्ट ट्यूमर के विकास को समझने पर केंद्रित है और पशु मॉडल से लेकर जीन अभिव्यक्ति डेटा के कम्प्यूटेशनल विश्लेषण तक कई तरीकों का उपयोग करता है. हालांकि स्तन कैंसर किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन ज्यादातर महिलाएं 60 या 70 के दशक में होती हैं जब उन्हें पहली बार इस बीमारी का पता चलता है.
एंड्रेचेक का रिसर्च शारीरिक रूप से प्रासंगिक है क्योंकि चूहों को ट्यूमर विकसित होने में तकरीबन साल लगते हैं, जिसका मतलब है कि चूहों को महिलाओं के बराबर उम्र में ब्रेस्ट कैंसर हो रहा है.
(इनपुट-आईएएनएस)
(Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मक़सद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.)