दिल धड़कना बंद होने के एक मिनट के अंदर सीपीआर देने से पीड़ित व्यक्ति के बचने की संभावना 22% तक बढ़ जाती है, जबकि 39 मिनट के बाद सीपीआर देने पर बचने की संभावना केवल 1% ही रह जाती है.
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कार्डियक अरेस्ट यानी दिल धड़कना बंद होने के एक मिनट के अंदर सीपीआर देने से पीड़ित व्यक्ति के बचने की संभावना 22% तक बढ़ जाती है, जबकि 39 मिनट के बाद सीपीआर देने पर बचने की संभावना केवल 1% ही रह जाती है. यह खुलासा हाल में हुए एक लेटेस्ट अध्ययन में हुआ है. अध्ययन यह भी बताता है कि जरूरी नहीं कि अधिक समय तक सीपीआर देने से फायदा हो.
सीपीआर में छाती को दबाना और मुंह से हवा देना शामिल होता है, जिसमें 30 बार छाती को दबाने के बाद 2 बार मुंह से हवा दी जाती है. पिछले अध्ययनों से पता चला है कि अस्पताल में दिल की धड़कन रुकने वाले मरीजों को लंबे समय तक सीपीआर देने से उनके बचने की संभावना कम हो जाती है, लेकिन एक्सपर्ट अब तक यह स्पष्ट रूप से नहीं बता पाए हैं कि सीपीआर कब बंद कर देना चाहिए.
3.5 लाख लोगों पर हुआ अध्ययन
इस जानकारी की कमी को दूर करने के लिए, शोधकर्ताओं ने सीपीआर की अवधि (मिनटों में) के प्रभाव को 3.5 लाख से अधिक अमेरिकी वयस्कों (औसत आयु 67 वर्ष) पर मापा, जिन्हें 2000 और 2021 के बीच अस्पताल में कार्डियक अरेस्ट (दिल की गति रुकने) की समस्या हुई थी.
अध्ययन का रिजल्ट
बीएमजे के अनुसार, उम्र, लिंग, जाति और पहले से मौजूद विभिन्न बीमारियों जैसे संभावित रूप से प्रभावशाली फैक्टर को ध्यान में रखने के बाद, परिणामों से पता चला कि 3,48,996 मरीजों में से 2,33,551 (67%) को औसतन 7 मिनट के सीपीआर के साथ हेल्दी ब्लड सर्कुलेशन वापस आ गया, जबकि 1,15,445 (33%) को औसतन 20 मिनट के सीपीआर के बाद भी हेल्दी ब्लड सर्कुलेशन वापस नहीं आया.
बीएमजे ने बताया कि एक मिनट की सीपीआर अवधि के दौरान, मरीजों के जीवित रहने और हेल्दी रहने की संभावना क्रमशः 22% और 15% थी. जीबी पंत अस्पताल में कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर मोहित गुप्ता ने कहा कि यह अध्ययन लोगों को सीपीआर करने के लिए ट्रेनिंग करने की आवश्यकता को रेखांकित करता है.
कुछ महत्वपूर्ण बातें:
- अध्ययन अस्पताल में कार्डियक अरेस्ट के मरीजों पर आधारित है.
- सीपीआर के परिणाम कई फैक्टर पर निर्भर करते हैं, जैसे रोगी की उम्र, स्वास्थ्य स्थिति और सीपीआर देने का समय.
- यह अध्ययन यह नहीं कहता है कि सीपीआर को एक निश्चित समय के बाद बंद कर देना चाहिए. मेडिकल गाइडेंस का पालन करना हमेशा महत्वपूर्ण होता है.
- अध्ययन का सार यह है कि जल्दी शुरू किया गया सीपीआर कार्डियक अरेस्ट के बाद जीवित रहने की संभावना को बढ़ा सकता है. इसलिए, लोगों को सीपीआर सीखना और इमरजेंसी में इसका इस्तेमाल करना जरूरी है.