पेट में मौजूद आम बैक्टीरिया से बढ़ सकता है अल्जाइमर का खतरा, नए शोध में खुलासा!
Advertisement
trendingNow12040347

पेट में मौजूद आम बैक्टीरिया से बढ़ सकता है अल्जाइमर का खतरा, नए शोध में खुलासा!

दुनिया की दो-तिहाई आबादी में पाया जाने वाला एक आम पेट का बैक्टीरिया अल्जाइमर रोग के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हो सकता है, ऐसा एक नए शोध से पता चला है.

पेट में मौजूद आम बैक्टीरिया से बढ़ सकता है अल्जाइमर का खतरा, नए शोध में खुलासा!

दुनिया की दो-तिहाई आबादी में पाया जाने वाला एक आम पेट का बैक्टीरिया अल्जाइमर रोग के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हो सकता है, ऐसा एक नए शोध से पता चला है. इस शोध में जांच की गई कि क्या 50 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्तियों में क्लिनिकल रूप से स्पष्ट रूप से हेलीकोबैक्टर पायलोरी (एच पायलोरी) संक्रमण से अल्जाइमर रोग का खतरा बढ़ता है.

यह अध्ययन अल्जाइमर एंड डिमेंशिया: द जर्नल ऑफ द अल्जाइमर एसोसिएशन में प्रकाशित हुआ है. यह आम बीमारी पेट के कैंसर, गैस्ट्रिटिस, अल्सर और अपचन का कारण बन सकती है. मैकगिल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के एक समूह ने 1988 और 2019 के बीच यूरोप में 4 मिलियन (40 लाख) से अधिक वयस्कों के स्वास्थ्य संबंधी जानकारी की जांच की, जिनकी उम्र 50 वर्ष या उससे अधिक थी. इससे यह पता चला कि जिन लोगों में लक्षणात्मक एच पायलोरी संक्रमण था, उनमें अल्जाइमर रोग का खतरा 11 प्रतिशत अधिक था, जो डिमेंशिया का सबसे प्रचलित प्रकार है.

अल्जाइमर रोग को कैसे रोकें?
हालांकि अल्जाइमर रोग का कारण बहुआयामी है, लेकिन निष्कर्ष संक्रमणों की बढ़ती हुई भूमिका (विशेष रूप से एच पायलोरी) इसके विकास में संभावित भूमिका पर सबूतों को जोड़ते हैं. अध्ययन भविष्य के शोध के लिए द्वार खोलता है, विशेष रूप से यह पता लगाने के लिए कि क्या इस जीवाणु को मिटाने से कुछ लोगों में अल्जाइमर रोग को प्रभावी ढंग से रोका जा सकता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि अल्जाइमर रोग दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रभावित करता है और जन्‍म-मृत्‍यु के आंकड़ों से संबंधित में बदलाव के साथ संख्या में तेजी से वृद्धि होने की उम्मीद है.

40 वर्षो में डिमेंशिया केस में तीन गुना वृद्धि
अध्ययन के वरिष्ठ लेखक और मैकगिल के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. पॉल ब्रास्सर्ड ने कहा कि वैश्विक रूप से बढ़ती आयु वर्ग के साथ, अगले 40 वर्षों में डिमेंशिया के मामलों में तीन गुना वृद्धि होने की उम्मीद है. हालांकि, इस बीमारी के लिए प्रभावी उपचार विकल्पों की कमी बनी हुई है.

Trending news