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नई दिल्ली: भारत समेत दुनियाभर के देशों में कोविड-19 इंफेक्शन (Covid-19) के खिलाफ टीकाकरण की प्रक्रिया जारी है. बड़ी संख्या में लोगों को वैक्सिनेट किया जा रहा है ताकि इस महामारी के तेजी से फैलने के चेन को तोड़ा जा सके. बावजूद इसके अब भी रोजाना हजारों लोग कोरोना वायरस (Coronavirus) से संक्रमित पाए जा रहे हैं. भारत में भी महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में दोबारा कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करना, मास्क पहनने को लेकर लापरवाही करना जैसे कारणों के अलावा एक और कारण है जिसकी वजह से कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी हुई है और वह कारण है- सुपरस्प्रेडर्स (Superspreader).
सुपरस्प्रेडर उन लोगों को कहा जाता है जो दूसरों की तुलना में ज्यादा लोगों तक इस संक्रामक वायरस को पहुंचाने का काम करते हैं. हाल ही में हुई एक स्टडी में यह बात सामने आयी है कि वैसे तो कोविड-19 बीमारी हर व्यक्ति में अलग-अलग तरह के लक्षण (Symptoms) के साथ होती है. किसी में हल्के लक्षण तो किसी में बेहद गंभीर. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके द्वारा दूसरों में कोविड-19 फैलाने की आशंका अधिक होती है.
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प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल अकैडमी ऑफ साइंसेज (Proceedings of the National Academy of Sciences PNAS) नाम के जर्नल में प्रकाशित इस नई स्टडी में यह देखा गया है कि जो लोग मोटापे का शिकार हैं यानी जिनका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 30 से अधिक है, उनमें अधिक से अधिक लोगों तक कोविड-19 इंफेक्शन फैलाने की क्षमता होती है. इसका कारण ये है कि उच्च बीएमआई वाले लोगों में हवा में श्वसन बूंदें (respiratory droplets) अधिक बाहर निकालने की क्षमता होती है, जिसकी वजह से वे संक्रामक कोरोनो वायरस कणों की मेजबानी कर सकते हैं.
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अमेरिका के टुलाने यूनिवर्सिटी, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, एमआईटी और मैसाचूसेट्स जनरल हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने 194 लोगों पर एक स्टडी की जिसमें यह बात सामने आयी कि जिन लोगों का बीएमआई अधिक था (मोटापे के शिकार लोग) उन्होंने हवा में अधिक बायो एरोसोल छोड़ा उन लोगों की तुलना में जिनका बीएमआई हेल्दी था. मोटापे के अलावा अधिक उम्र के लोगों द्वारा भी अधिक श्वसन बूदों को सांस के जरिए बाहर निकालने की बात सामने आयी. शोधकर्ताओं ने पाया कि स्टडी में शामिल 18% लोग सांस द्वारा बाहर निकाले गए (exhaled) 80% कणों के लिए जिम्मेदार थे. आसान शब्दों में समझें तो 20 प्रतिशत संक्रमित लोग बीमारी के 80 प्रतिशत ट्रांसमिशन के लिए जिम्मेदार थे.
(नोट: किसी भी उपाय को करने से पहले हमेशा किसी विशेषज्ञ या चिकित्सक से परामर्श करें. Zee News इस जानकारी के लिए जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)