महिलाओं को अलग तरह से परेशान करती है दिल की बीमारी, ये लक्षण पहचाने में न करें गलती
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महिलाओं को अलग तरह से परेशान करती है दिल की बीमारी, ये लक्षण पहचाने में न करें गलती

Why Gender Matters in Cardiovascular Health: वैसे तो हार्ट डिजीज महिलाओं और परुषों, दोनों के लिए ही खतरनाक है, लेकिन वूमेन के लिए ये बीमारी अलग तरह परेशानी पैदा करती है, जिसे समझना बेहद जरूरी है. 

महिलाओं को अलग तरह से परेशान करती है दिल की बीमारी, ये लक्षण पहचाने में न करें गलती

Women and Heart Disease: भारत में हार्ट डिजीज महिलाओं की मौत का एक बड़ा कारण है, लेकिन अक्सर इस समस्या को नजरअंदाज कर दिया जाता है. इंडियन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में दिल की बीमारियों से मरने की आशंका ज्यादा रहती है, ये खतरा मेनोपॉज के बाद और भी ज्यादा बढ़ जाता है. यूनीक फिजियोलॉजिकल, हार्मोनल और लाइफस्टाइल फैक्टर्स महिलाओं को काफी प्रभावित करते हैं. यही वजह है कि इस चैलेंज का सामना करने के लिए ज्यादा अवेयरनेस, प्रिवेंशन और ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है.  

महिलाओं में दिल की बीमारी के लक्षण

डॉ. शिब्बा टक्कर छाबड़ा (Dr. Shibba Takkar Chhabra), जो लुधियाना के दयानंद मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में कार्डियोलॉजिट की प्रोफेसर हैं, उन्होंने कहा, "महिलाओं में दिल के दौरे के लक्षण अक्सर पुरुषों से अलग होते हैं, जिसके कारण डायग्नोसिस ज्यादा चैलेंजिंग हो जाता है. जबकि पुरुषों को आमतौर पर दिल का दौरा पड़ने के दौरान सीने में दर्द का अहसास होता है, महिलाओं को थकान, सांस की तकलीफ, मतली या जबड़े, पीठ या गर्दन में असहजता जैसे ज्यादा माइनर साइन का सामना करना पड़ सकता है."

डॉ. छाबड़ा ने कहा, "ये एटिपिकल सिंप्टम्स अक्सर महिलाओं में देरी से इलाज का कारण बनते हैं, क्योंकि उन्हें अक्सर कम सीरियस हेल्थ प्रॉब्लम्स समझने की गलती कर दी जाती है." अगर हम इन जेंडर स्पेसिफिक सिंप्टम्स को सही वक्त पर पहचानेंगे तो टाइम पर डायग्नोसिस और प्रिवेंशन मुमिकिन हो पाएगा.

 

दिल की सेहत पर हार्मोन का असर

एस्ट्रोजेन, एक हार्मोन है जो महिलाओं की दिल की सेहत में प्रोटेक्टिव रोल अदा करता है, साथ ही लचीली धमनियों को बनाए रखने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ावा देने में मदद करता है. हालांकि, जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है और मेनोपॉज स्टेद में प्रवेश करती है, एस्ट्रोजन का स्तर काफी कम हो जाता है, जिससे हार्ट डिजीज का रिस्क बढ़ जाता है. 

स्टडीज से पता चलता है कि पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसे कंडीशन के डेवलप होने की संभावना ज्यादा होती है. इसके अलावा, जो महिलाएं प्रेग्नेंसी से जुड़ी जटिलताओं जैसे जेस्टेशनल डायबिटीज या प्रीक्लेम्पसिया का अनुभव करती हैं, उनमें जिंदगी के बाद वाले स्टेज में दिल की बीमारी विकसित होने की संभावना अधिक होती है.

खुद को कैसे बचाएं महिलाएं?

महिलाओं में दिल की बीमारो को रोकने के लिए एक हॉलिस्टिक अप्रोच की जरूरत होती है जो ट्रेडिशनल रिस्क फैक्टर्स और महिलाओं के लिए खास लक्षण, दोनों को ही अड्रेस करता है.  एक हार्ट हेल्दी लाइफस्टाइल, जिसमें सेचुरेटेड फैट और शुगर में संतुलित आहार, रेगुलर फिजिकल एक्टिविटीज और तंबाकू के इस्तेमाल से बचना शामिल है, ये जोखिम को काफी कम कर सकता है. इसके अलावा ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर लेवल को मॉनिटर करने के लिए रूटीन चेक-अप करना चाहिए, खासकर पोस्ट मेनोपॉजल वूमेन के लिए ये और भी जरूरी है.

जेस्टेशनल डायबिटीज या प्रीक्लेम्पसिया की हिस्ट्री वाली महिलाओं को अपनी दिल की सेहत के बारे में खास तौर से सतर्क रहना चाहिए. रिस्क फैक्टर्स का जल्दी पता लगाना और मैनेज करना महिलाओं में हार्ट डिजीज को रोकने के लिए जरूरी है. इसके अलावा खासकर रूरल एरियज में महिलाओं के लिए पब्लिक हेल्थ इनिशिएटिव अवेयरनेस के लिए बेहद जरूरी है. इसके लक्षणों और रोकथाम को लेकर जागरूरकता फैलाकर हम महिलाओं में दिल की बीमारी को कम कर सकते हैं.

 

(Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मक़सद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.)

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