Year Ender 2024: भारत को इस साल 3 बीमारियों को दिया जोर का झटका, जानिए क्या है 2030 तक का टारगेट
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Year Ender 2024: भारत को इस साल 3 बीमारियों को दिया जोर का झटका, जानिए क्या है 2030 तक का टारगेट

आजादी के बाद भारत से कई बीमारियों का खात्मा हो चुका है, लेकिन अभी भी कई टारगेट हैं जिन्हें अचीव करना बाकी है, साल 2024 में भी हेल्थ डिपार्टमेंट में काफी सफलता मिली है. 

Year Ender 2024: भारत को इस साल 3 बीमारियों को दिया जोर का झटका, जानिए क्या है 2030 तक का टारगेट

Malaria, Kala-azar and Lymphatic Filariasis: भारत ने मलेरिया, कालाजार, लिम्फैटिक फिलेरियासिस जैसी वेक्टर-बॉर्न डिजीज के मामलों और मौतों के लिए निर्धारित की टार्गेट्स को हासिल कर लिया है. सरकार ने बीते शनिवार को ये जानकारी दी. राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NVBDCP) इन बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए जिम्मेदार है.

भारत ने 4 बीमारियों के खिलाफ पाई कामयाबी

1. मलेरिया का बोझ कम
स्वास्थ्य मंत्रालय (Ministry of Health) के मुताबिक, भारत ने मलेरिया (Malaria) के बोझ को कम करने में काफी तरक्की की. मिनिस्ट्री ने कहा कि देश ने 2015 से 2023 के बीच मलेरिया के मामलों में 80.53 फीसदी और मलेरिया से मौतों में 78.38 फीसदी की कमी हासिल की है. साल 2024 (अक्टूबर तक - अस्थायी आंकड़े) में मलेरिया के मामलों में 13.66 फीसदी का इजाफा और मलेरिया से मौतों में 32.84 प्रतिशत की कमी आई है. इस साल, अक्टूबर तक 23 राज्यों में निगरानी भी बढ़ा दी गई है. भारत का टारगेट 2030 तक मलेरिया को खत्म करना है.

2. कालाजार के मामलों में गिरावट
हेल्थ मिनस्ट्री ने आगे कहा कि 2024 में देश में कालाजार (Kala-azar) के मामलों में 22.18 फीसदी की कमी आई है. अक्टूबर तक कालाजार के तकरीबन 421 मामले रिपोर्ट किए गए हैं. वहीं, 2023 के समान अवधि में 541 मामले रिपोर्ट किए गए थे.  खास बात ये है कि देश 2023 के आखिर तक हासिल किए गए 633 एंडेमिक ब्लॉक्स में इलिमिनेशन टार्गेट को बनाए रख रहा है. 

उन्मूलन लक्ष्य को ब्लॉक स्तर पर प्रति 10 हजार आबादी पर एक से कम मामले की वार्षिक घटना के रूप में परिभाषित किया जा सकता है.मंत्रालय ने बताया कि सरकार ने ब्लॉक स्तर पर प्रति 10,000 जनसंख्या पर 1 से ज्यादा कालाजार मामले की रिपोर्ट करने वाले स्थानिक ब्लॉकों की संख्या शून्य रही और आज तक उन्मूलन की स्थिति को बनाए रखा है. 

3. लिम्फेटिक फाइलेरियासिस में भी कमी
इसके अलावा, लिम्फेटिक फाइलेरियासिस (Lymphatic Filariasis) को खत्म करने के लिए मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) अभियान ने 2024 में पात्र आबादी के बीच 94 प्रतिशत कवरेज देखा है. साल 2023 में एमडीए अभियान राष्ट्रीय स्तर पर 82 फीसदी कवरेज तक पहुंच गया.

लिम्फैटिक फिलेरियासिस को खत्म करने के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत, एमडीए अभियान ने 13 राज्यों के 159 जिलों के 1,634 ब्लॉक्स में कवरेज रिपोर्ट किया. मंत्रालय के अनुसार, इन क्षेत्रों में एमडीए दो चरणों में आयोजित किया गया था. लिम्फैटिक फिलेरियासिस को आमतौर पर हाथीपांव (Elephantiasis) के नाम से जाना जाता है, एक गंभीर, अपंग करने वाली और दुर्बल करने वाली बीमारी है, जो क्यूलेक्स मच्छर (Culex mosquito) के काटने से फैलती है.

ये ट्रॉपिकल इलाकों में ज्यादातर पनपती है जिसे भारत सरकार ने 2030 के ग्लोबल टार्गेट से पहले खत्म करने का लक्ष्य रखा है. मंत्रालय ने बताया कि 345 स्थानिक जिलों में से 13 राज्यों के 159 जिलों में 1 फीसदी से ज्यादा माइक्रोफाइलेरिया (एमएफ) दर दर्ज की गई है. लिम्फोएडेमा मरीजों को तकरीबन 3,38,087 मॉर्बिडिटी मैनेजमेंट और डिसेबलेटी प्रिवेंटशन किट दी गईं और 64,706 हाइड्रोसेलेक्टोमी सर्जरी की गईं. 

4. जैपनीज  इंसेफेलाइटिस को लेकर वैक्सिनेशन
जैपनीज  इंसेफेलाइटिस (Japanese Encephalitis) ने भी 2024 में अहम अचीवमेंट हासिल किया है. मंत्रालय ने उल्लेख किया कि 355 जिलों में से 334 को नियमित टीकाकरण के तहत कवर किया गया है.  जापानी इंसेफेलाइटिस के खिलाफ रेगुलर वैक्सीन के तहत सिर्फ 21 और जिलों को कवर किया जाना है. जेई वायरस के कारण ब्रेन में इंफेक्शन हो सकता है. मंत्रालय ने कहा कि लगभग 42 जिले - असम (9), उत्तर प्रदेश (7) और पश्चिम बंगाल (26) को इस बीमारी के खिलाफ वयस्क टीकाकरण के तहत कवर किए गए हैं.

(इनपुट-आईएएनएस)

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