हम सभी अपने पसंदीदा मीठे खाने के बाद जो खुशी महसूस करते हैं, वह वास्तविक है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह खुशी भी कुछ समय बाद खत्म हो जाती है और इसके बाद हमें चिड़चिड़ाहट महसूस होने लगती है?
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हम सभी अपने पसंदीदा मीठे खाने के बाद जो खुशी महसूस करते हैं, वह वास्तविक है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह खुशी भी कुछ समय बाद खत्म हो जाती है और इसके बाद हमें चिड़चिड़ाहट महसूस होने लगती है? एक नए अध्ययन के अनुसार, हम जो खाते हैं और कैसे खाते हैं, इसका हमारे ब्लड शुगर लेवल पर सीधा प्रभाव पड़ता है. यह आगे चलकर डिप्रेशन और एंग्जाइटी जैसी मानसिक समस्याओं को भी ट्रिगर कर सकता है.
मेंटल हेल्थ एक जटिल विषय है. कई कारक और जटिलताएं हैं जो मेंटल हेल्थ की स्थिति को प्रभावित कर सकती हैं. हालांकि, कई अध्ययनों ने पुष्टि की है कि हम जो खाते हैं और जिस डाइट का पालन करते हैं, उसका हमारे मूड पर महत्वपूर्ण जैविक प्रभाव होता है.
ग्लाइसेमिक इंडेक्स और मूड पर इसका प्रभाव
ग्लाइसेमिक इंडेक्स एक प्रणाली है जो भोजन और डाइट के बीच संबंध और शरीर में ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित करने की इसकी क्षमता का पता लगाती है. यह देखा गया है कि हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फूड ब्लड शुगर लेवल में अचानक वृद्धि कर सकते हैं. इससे आगे चलकर डिप्रेशन और एंग्जाइटी ट्रिगर हो सकता है, जबकि कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फूड ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने, मूड को खुश और संतुष्ट रखने में मदद कर सकते हैं.
कैसे डाइट मूड को प्रभावित करता है
भोजन के बाद ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव का हार्मोनों पर सीधा संबंध होता है. जब हम चीनी या कार्बोहाइड्रेट जैसे चावल, पास्ता, आलू या क्रैकर्स खाते हैं, तो डोपामिन रिलीज होता है जो हमें तुरंत खुश महसूस करा सकता है. इसलिए, शरीर को मीठे फूड या डेसर्ट खाने से एक तरह से इनाम मिलता है, क्योंकि ये हमारे जीवित रहने के लिए आवश्यक पोषक तत्वों को प्रदान करते हैं.