2600 Crore Betting: साल 2015 में हुए करीब 2600 करोड़ की सट्टेबाजी रैकेट के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) बिचौलिया की शिद्दत से तलाश कर रहा है. शक है की यह बिचौलिया दुबई में छिपा हुआ है.
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2600 Crore Betting: साल 2015 में हुए करीब 2600 करोड़ की सट्टेबाजी रैकेट के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) बिचौलिया की शिद्दत से तलाश कर रहा है. शक है की यह बिचौलिया दुबई में छिपा हुआ है. ईडी सूत्रों के मुताबिक इसी बिचौलिए ने सुपर मास्टर लॉगिन आईडी को कई सट्टेबाजों को बेचा था. ईडी ने कुछ दिन पहले दाखिल चार्जशीट में इस बिचौलिए को आरोपी बनाया है.
चौंकाने वाली बात यह है कि इसके खिलाफ साल 2015 में तीन गैर जमानती वारंट जारी हो चुका है. जी न्यूज के पास मौजूद इस चार्जशीट में ईडी ने कहा है कि यूके स्थित सट्टेबाजी साइट की सुपर मास्टर लॉग-इन आईडी 2.4 करोड़ रु प्रति आईडी की दर से बेची गई थी. इसी आईडी का उपयोग गुजरात से संचालित 266 करोड़ के सट्टेबाजी-हवाला रैकेट में शामिल सट्टेबाजों द्वारा किया गया था.
ईडी ने कहा है कि आईडी बेचने में सुखमिंदर सोढ़ी नाम का शख्स बिचौलिया है. ईडी उसकी तलाश कर रही है. शक है कि वह दुबई में छिपा हुआ है. सुपर मास्टर लॉगिन आईडी ने ब्रिटिश सट्टेबाजी साइट, बेटफ़ेयर तक पहुंचने के लिए अतिरिक्त 310 खाते बनाने की सुविधा प्रदान की, जिसका संचालन यूके में कानूनी है. ईडी सूत्रों के मुताबिक सोढ़ी को हाल ही में ईडी द्वारा अहमदाबाद की विशेष अदालत में दायर चार्जशीट में आरोपी बनाया गया है. चार्जशीट के मुताबिक सोढ़ी ने अपराध की कुल आय का लगभग ₹50 करोड़ रु अपने खाते में डाल लिया. 2015 में उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया था.
जी न्यूज के पास मौजूद ईडी की चार्जशीट में कहा गया है कि सोढ़ी को कथित तौर पर हवाला चैनलों के माध्यम से भारत के बाहर अपराध की आय प्राप्त हुई और बाद में पैसे को वित्तीय प्रणाली में एकीकृत कर दिया गया. ईडी अब तक सोढ़ी की 50 करोड़ रुपये की विदेशी संपत्ति जब्त भी कर चुकी है.
चार्जशीट में संद्गिध दस्तावेजों के आधार पर खरीदे गए सिम कार्ड के उपयोग करते हुए रैकेट की पूरी कार्यप्रणाली के बारे में विस्तार से बताया गया है. चार्जशीट में कहा गया है कि इस मामले में आरोपियों ने सट्टेबाजी गतिविधि चलाने के लिए सिम कार्ड प्राप्त करने के लिए एक आपराधिक साजिश रची... और एक-दूसरे के सहयोग से तीसरे पक्ष के लोगों के संबंध में उनकी जानकारी के बिना आईडी प्रूफ प्राप्त कर लिया था. उसी के आधार पर उन्होंने सिम कार्ड खरीदने के लिए आवेदन पत्र में फर्जी हस्ताक्षर किए... और उन्हें मोबाइल में सक्रिय कर दिया. ताकि देश और विदेश के सट्टेबाजों/पंटरों के साथ क्रिकेट मैचों पर सट्टा लगाने की आपराधिक गतिविधि को अंजाम देना आसान हो सके.
ईडी के आरोप पत्र में कहा गया है कि सोढ़ी अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी में सक्रिय रूप से शामिल है और वह 'बेटफेयर' और भारतीय सट्टेबाजों के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य कर रहा था. चार्जशीट के मुताबिक मामले में सहआरोपी मुकेश कुमार भारत में यूके स्थित सट्टेबाजी साइट के सुपर मास्टर लॉगिन आईडी का मुख्य वितरक था और उसने उन्हें सोढ़ी से प्रति आईडी ₹2.4 करोड़ की दर पर खरीदा था.
ईडी के एक अधिकारी ने कहा, “सोढ़ी द्वारा कुमार को दिए गए निर्देशों के अनुसार नकदी को भारत से बाहर स्थानांतरित करने के लिए किसी अंगड़िया व्यक्ति (हवाला एजेंट) को दिया जाता था.” “प्रत्येक सुपर मास्टर लॉगिन आईडी कम से कम 310 खाते बनाने और उन्हें पूरा करने में सक्षम था, क्योंकि उनमें से प्रत्येक 10 मास्टर लॉगिन आईडी बनाने के प्रावधान के साथ आया था और प्रत्येक मास्टर लॉगिन आईडी 30 अतिरिक्त क्लाइंट आईडी को समायोजित कर सकता था.”
मामले की जांच के लिए एजेंसी ने 2015 में ही सोढ़ी को तीन बार तलब किया था लेकिन वह पेश नहीं हुआ. इसके बाद सोढ़ी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था. लेकिन इस वारंट को आज तक तामील नहीं कराया जा सका. एजेंसी ने हाल ही में मामले में उल्हासनगर निवासी सट्टेबाज अनिल जयसिंघानी के खिलाफ भी आरोप पत्र दायर किया है. जयसिंघानी ने सभी आरोपों का खंडन किया था.
विशेष खुफिया जानकारी के आधार पर ईडी ने 19 मार्च, 2015 को वडोदरा के एक फार्महाउस में तलाशी ली. आरोप था कि वहां यूके स्थित वेबसाइट, Betfair.com के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बड़े पैमाने पर हवाला रैकेट का केंद्र संचालित था. बाद में, एजेंसी ने पुलिस मामले के आधार पर, अपराध की आय और उसके प्राप्तकर्ताओं की पहचान करने के उद्देश्य से मनी-लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया.
ईडी के आरोप पत्र में कहा गया है कि मामले में चार आरोपियों ने कथित तौर पर क्रिकेट मैचों पर सट्टा लगाने के लिए मारुति अहमदाबाद नामक एक साझेदारी बनाई थी. उन्होंने एक फार्महाउस किराए पर लिया था, जहां वे और उनके कर्मचारी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैचों का सीधा प्रसारण देखते थे और मोबाइल फोन और यूके स्थित वेबसाइट के माध्यम से देश और विदेश में सट्टेबाजों की मदद से सट्टेबाजी गतिविधियों का संचालन करते थे.