#370InShaheenBagh: लोकतंत्र के नाम पर दाग है, ये शाहीन बाग है
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#370InShaheenBagh: लोकतंत्र के नाम पर दाग है, ये शाहीन बाग है

क्या कश्मीर से हटाई गई धारा 370 अब दिल्ली के शाहीन बाग में लागू हो गई है?

#370InShaheenBagh: लोकतंत्र के नाम पर दाग है, ये शाहीन बाग है

आज हम आपके सामने एक सवाल लेकर आए हैं. क्या कश्मीर से हटाई गई धारा 370 अब दिल्ली के शाहीन बाग में लागू हो गई है? ये सवाल इसलिए क्योंकि आज जब हम शाहीन बाग़ पहुंचे तो वहां के हालात बिल्कुल वैसे ही थे, जैसे धारा 370 हटने से पहले कश्मीर के हुआ करते थे. दिल्ली के शाहीन बाग़ से देश की संसद की दूरी सिर्फ साढ़े 13 किलोमीटर है. राष्ट्रपति भवन भी सिर्फ साढ़े 13 किलोमीटर दूर है.

सुप्रीम कोर्ट की दूरी 13 किलोमीटर है. प्रधानमंत्री कार्यालय सिर्फ 16 किलोमीटर दूर है. दिल्ली पुलिस का मुख्यालय 14 किलोमीटर दूर है. और Noida में मौजूद Film City की दूरी सिर्फ 10 किलोमीटर है. Noida Film City वो जगह है जहां ज्यादातर मीडिया house और देश के News चैनलों के दफ्तर हैं. Zee News का दफ्तर भी यहीं है. लेकिन शाहीन बाग़ में लगे Baricades ने इस दूरी को बहुत बढ़ा दिया है. 

आप देश की संसद, से सिर्फ साढ़े 13 किलोमीटर दूर आकर इन Baricades को पार नहीं कर सकते. क्योंकि इनके आगे देश और देश के लोकतंत्र की सारी सीमाएं समाप्त हो जाती हैं. जिस देश की संसद ने नया नागरिकता कानून पास किया उसकी यहां कोई नहीं सुनता. नए कानून पर राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन उससे भी इन लोगों को कोई सरोकार नहीं है. सुप्रीम कोर्ट फिलहाल नए नागरिकता कानून पर रोक लगाने से इनकार कर चुका है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट से सिर्फ 13 किलोमीटर दूर प्रदर्शन कर रहे शाहीन बाग़ के लोगों को इन फैसलों से कोई फर्क नहीं पड़ता. संसद के सुप्रीम कोर्ट के और भारत सरकार के इस इलाके में लागू नहीं होते.

WATCH: DNA

हम गणतंत्र दिवस के 24 के घंटे बाद शाहीन बाग़ ये पता लगाने गए थे कि भारतीय गणराज्य का कानून और संविधान शाहीन बाग में भी चलते हैं या फिर शाहीन बाग दिल्ली का कश्मीर बन चुका है और क्या कश्मीर की जगह अब यहां धारा 370 लागू हो गई है?. आपको जानकर दुख होगा कि आज जब हम वहां पर गए तो हमें लगा कि हम किसी दूसरे देश में आ गए हैं. थोड़ी देर के लिए तो हमें ऐसा भी लगा कि जैसे कश्मीर के सारे भारत विरोधी शाहीन बाग में आ गए हैं. फर्क सिर्फ इतना था कि प्रदर्शनकारियों ने अपनी रणनीति बदलकर तिरंगा फहराना शुरू कर दिया और राष्ट्रगान गाना शुरू कर दिया.

ये लोग हाथों में संविधान की क़ॉपी लेकर खड़े थे. हैरानी की बात ये है कि जो लोग कुछ महीनों पहले तक राष्ट्रगान पर खड़े नहीं होना चाहते थे, भारत माता की जय कहने से इनकार करते थे, संविधान जिनके लिए मायने नहीं रखता था और जो एक देश में दो निशान दो विधान के सपने देखा करते थे. उन लोगों ने अपने फायदे के लिए इन राष्ट्र के सम्मान से जुड़ी इन चीज़ों का भी राजनीति करण कर दिया है. असहनशीलता और अभिव्यक्ति की आज़ादी को कैसे दबाया जाता है. ये आज हमने शाहीन बाग़ में देखा और ये आज आपको भी देखना चाहिए.

बहुत बार टाई और सूट पहनकर पहनकर स्टूडियो में बैठकर कुछ भी कह देना बहुत आसान होता है, लेकिन ग्राउंड ज़ीरो की जो असलीयत होती है वो बहुत अलग हती है और ये असलीयत देश के बड़े-बड़े पत्रकारों को दिखाई नहीं देती. इसलिए आजका DNA हमने आपको शाहीन बाग़ से दिखाने का फैसला किया है.

शाहीन बाग़ के हालात सिर्फ धारा 370 वाले ही नहीं है बल्कि इसे टुकड़े टुकड़े गैंग का मुख्यालय बना दिया गया है, और यहां उन सभी संगठनों के पते हैं. जिनका नाम आज एक खुफिया रिपोर्ट में आया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक नया नागरिकता कानून आने के बाद से Popular Front Of India यानी PFI नाम के एक संगठन की तरफ से देश के कई लोगों को Funding की गई.

जैसे-जैसे देश में नए कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज़ होते रहे, वैसे वैसे ये फंडिंग भी बढ़ती रही. रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक महीने में विरोध प्रदर्शनों को भड़काने और हिंसा कराने के लिए 120 करोड़ रुपये इकट्ठा किए गए. आज हमने शाहीन बाग़ जाकर इसकी भी तफ्तीश की और पता लगाने की कोशिश कि इन पैसों और विरोध प्रदर्शनों का क्या संबंध हैं. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि अगर पुलिस या कोई जांच एजेंसी शाहीन बाग़ जाकर इन आरोपों की जांच भी करना चाहें तो क्या वो कर सकती है? इसका जवाब है नहीं. क्योंकि फिलहाल तो शाहीन बाग पर जाकर देश की सीमाएं खत्म हो जाती हैं.

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