अस्पताल में बेड की कमी होने पर ट्रेन में हो सकेगा कोरोना मरीजों का इलाज, रेलवे ने किए ये खास इंतजाम
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अस्पताल में बेड की कमी होने पर ट्रेन में हो सकेगा कोरोना मरीजों का इलाज, रेलवे ने किए ये खास इंतजाम

रेलवे ने 5000 कोच में 80 हजार आइसोलेशन वार्ड बनाने का टारगेट फिक्स किया है.

ट्रेन के 5 हजार कोच को बदलकर 80 हजार आइसोलेटेड वार्ड बनाए जा रहे हैं।

नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) से बचाव के देशभर में तेजी से आइसोलेशन वार्ड (Isolation Ward) बनाए जा रहे हैं. ऐसे में सरकार ने रेल के डिब्बों को भी आइसोलेशन वार्ड में तबदील करना शुरू कर दिया है. रेलवे के हर जोन में इस तरह के आइसोलेशन वार्ड तैयार किए जा रहे हैं. शुरुआत में रेलवे ने 5000 कोच में 80 हजार आइसोलेशन वार्ड बनाने का टारगेट फिक्स किया है.

  1. अस्पताल में बेड की कमी होने पर नहीं रूकेगा कोरोना मरीजों का इलाज
  2. ट्रेन के 5 हजार कोच को बदलकर बनाए जा रहे हैं आइसोलेटेड वार्ड
  3. 80 हजार आइसोलेटेड वार्ड बनाने का है रेलवे का टारगेट 

अपने टारगेट को पूरा करने के लिए रेलवे युद्ध स्तर पर काम चल रहा है. लॉकडाउन के कारण मजदूरों की सख्या कम होने के बावजूद रेलवे पूरी कोशिश कर रहा है. इसके लिए रेलवे के सभी जोन में रोटेशनल बेसिस पर कर्मचारी दिन रात काम में जुटे हुए हैं और रेलवे कोच को आइसोलेशन कोच में तबदील कर रहे हैं.  रेल कर्मचारियों ने दिन-रात एक करके बीते 2 हफ्तों से भी कम समय में 2500 कोच में 40 हजार आइसोलेटेड बेड तैयार कर दिए है जो किसी भी समय इस्तेमाल किए जा सकते हैं.

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देशभर में 133 अलग-अलग जगहों पर इस तरह के आइसोलेटेड कोचेज बनाए जा रहे हैं. इसका मकसद आपदा के हालातों में अस्पताल में होने वाली बेड की कमी को पूरा करना है. रेल मंत्रालय के प्रवक्ता राजेश दत्त वाजपेई का कहना है की तमाम मेडिकल सुविधाओं से युक्त यह वार्ड स्वास्थ्य मंत्रालय की जरूरत के मुताबिक और गाइडलाइन के तहत तैयार किए जा रहे हैं. रेलवे का मकसद 5000 कोचिंग में 80 हजार आइसोलेटेड बेड तैयार करके रखना है जिससे किसी भी कंटनजंसी हालात में देश को मदद मिल सके. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि हर दिन 375 कोच आइसोलेटेड वार्ड में बदले जा रहे हैं. 

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