शुभ कार्यों पर चार महीने का ब्रेक, देवशयनी एकादशी से शयनकाल में रहेंगे भगवान विष्णु
Advertisement
trendingNow1331847

शुभ कार्यों पर चार महीने का ब्रेक, देवशयनी एकादशी से शयनकाल में रहेंगे भगवान विष्णु

देवशयनी एकादशी मंगलवार को है, कहा जाता है कि इस दिन देवता पूरे चार महीने के लिए निद्रा में चले जाते हैं इस कारण शुभ कामों पर चार माह के लिए विराम लग जाता है. इसके बाद अक्टूबर में देवउठनी एकादशी से मांगलिक आयोजन शुरू हो सकेंगे.

इस दौरान कोई शुभ कार्य जैसे, शादी, गृह प्रवेश या कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है

नई दिल्ली: देवशयनी एकादशी मंगलवार को है, कहा जाता है कि इस दिन देवता पूरे चार महीने के लिए निद्रा में चले जाते हैं इस कारण शुभ कामों पर चार माह के लिए विराम लग जाता है. इसके बाद अक्टूबर में देवउठनी एकादशी से मांगलिक आयोजन शुरू हो सकेंगे.

आषाढ़ महीने के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं, इस दिन यानि आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल की एकादशी तक यानी चार महीने भगवान विष्णु शयनकाल की अवस्था में होते हैं.

देव शयन के दौरान केवल देवी-देवताओं की आराधना, तपस्या, हवन-पूजन आदि कार्य होते हैं. इस दौरान धार्मिक आयोजन, कथा, हवन, अनुष्ठान आदि करने का विशेष महत्व होता है.

शुभ कार्य जैसे, शादी, गृह प्रवेश या कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है

लेकिन इस दौरान कोई शुभ कार्य जैसे, शादी, गृह प्रवेश या कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है. 31 अक्टूबर को ये शयनकाल समाप्त होगा, इसके बाद ही कोई शुभ कार्य होगा. शास्त्रों के अनुसार अब भगवान विष्णु देवोत्थानी एकादशी से अपने सिंहासन पर विराजेंगे और उसके बाद शुभ कमों पर लगी रोक हटेगी.

और पढ़ें: सावन में इस बार बन रहे हैं विशेष योग, अबकी बार पड़ेंगे 5 सोमवार

शास्त्रों में बताया गया है कि जब भगवान विष्णु सो जाते हैं तब से भगवान के जागने तक कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, जनेऊ, मुंडन, गृहप्रवेश नहीं कराना चाहिए क्योकि भगवान इन कार्यों में भगवान का आशीर्वाद नहीं होता है, इसलिए इसे अपूर्ण व अशुद्घ माना जाता है। मकान के निर्माण के लिए नींव रखने के लिए यह समय शुभ नही माना जाता है.

विराम चार महीने बाद 31 अक्टूबर से हट जाएगा

31 अक्टूबर को ये शयनकाल समाप्त होगा, इसके बाद ही कोई शुभ कार्य होगा. देवउठनी एकादशी का दिन भी विशेष रूप से विवाह के लिए मंगलकारी है. इस दिन चतुर्मास बाद भगवान विष्णु निद्रा से जागते है.

इसलिए ये स्थिति अबूझ मुहूर्त मानी जाती है. इसी दिन से शुभ कार्यो के बंद दरवाजे खुलते है। 31 अक्टूबर शुभ कामों के लिए शुभ तिथि है. सृष्टि के पालनकर्ता कहे जाने वाले भगवान विष्णु के शयनकाल में चले जाने के पश्चात चार माह की अवधि में सृष्टि संचालन का जिम्मा शिव परिवार पर रहता है. इस दौरान पवित्र श्रावण मास आता है जिसमें एक माह तक भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है.

इसके पश्चात गणेश चतुर्थी व्रत होता है. गणपति की स्थापना कर उनका पूजन किया जाता है तथा उसके पश्चात देवी दुर्गा की आराधना के नौ दिन शारदीय नवरात्रि आती है.

शास्त्रों के अनुसार नदियों में जैसे गंगा, देवताओं में विष्णु, नागों में शेष नाग श्रेष्ठ है, ठीक उसी प्रकार सभी व्रतों में एकादशी का व्रत सबसे श्रेष्ठ माना जाता है. इसलिए बेहतर एवं अच्छी फल प्राप्ति के लिए हर मनुष्य को एकादशी का व्रत जरूर रखना चाहिए.

 

Trending news