बयानबाज नेताओं पर नकेल कसेगी कांग्रेस? खुर्शीद के बाद तिवारी की किताब ने मचाया बवाल
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बयानबाज नेताओं पर नकेल कसेगी कांग्रेस? खुर्शीद के बाद तिवारी की किताब ने मचाया बवाल

कांग्रेस पार्टी अपने बयानबाज नेताओं से परेशान है. ऐसे नेताओं पर कार्रवाई करने के लिए अनुशासनात्मक एक्शन कमेटी के चैयरमैन एंटोनी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की. 

 

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. कभी सलमान, कभी सिद्धू, कभी सिब्बल, कभी मणिशंकर तो कभी मनीष तिवारी, आए दिन कांग्रेस के ये नेता अपने बयान और किताब से कांग्रेस पार्टी को मुसीबत में डालते रहते हैं. अपने बयानबाज नेताओं से कांग्रेस पार्टी परेशान है. पार्टी ने इसे लेकर अनुशासनात्मक कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है. इसके लिए बुधवार को अनुशासनात्मक एक्शन कमेटी के चैयरमैन एंटोनी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की.

  1. तिवारी ने मुंबई हमले की तुलना अमेरिका के 9/11 से की
  2. 26/11 हमले के बाद मनमोहन सरकार द्वारा कार्रवाई न करने का लगाया आरोप
  3. मनीष तिवारी को कैप्टन अमरिंदर सिंह के गुट का नेता माना जाता है

खुर्शीद के बाद तिवारी की किताब ने मचाया बवाल

हाल ही में कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने अपनी किताब में हिंदुत्व की तुलना बोको हराम और ISIS से की थी. ये मामला ठंडा भी नहीं हुआ था कि कांग्रेस के ही एक और बुद्धिजीवी नेता मनीष तिवारी ने अपने नई किताब का ऐलान कर एक और धमाका कर दिया. मनीष तिवारी की नई किताब के मुताबिक 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले के बाद मनमोहन सरकार द्वारा कार्रवाई ना करना कमजोरी की निशानी थी. तिवारी ने मुंबई हमले की तुलना अमेरिका के 9/11 से करते हुए कहा कि भारत को उस समय अमेरिका की तरह ही जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए थी. उन्होंने ये भी लिखा कि एक वक्त आता है जब कार्रवाई शब्दों से ज्यादा बोलती है, 26/11 वह समय था जब कार्रवाई होनी चाहिए थी. 

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बीजपी ने लगाया राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ का आरोप

बीजपी ने इस मामले को लगे हाथ उठा लिया और कांग्रेस पर राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ का आरोप लगा दिया. लेकिन कांग्रेस पार्टी को अभी किताब के आने का इंतजार है. कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा का कहना है कि बिना किताब को पढ़े इसपर कोई बयान देना ठीक नहीं होगा. इन दिनों मनीष तिवारी अपनी पार्टी फैसलों और आलाकमान के खिलाफ खुलकर बयानबाजी करते दिख रहे हैं.

पहले भी कर चुके हैं पार्टी के फैसलों के खिलाफ बयानबाजी

गौरतलब है इससे पहले जब आलाकमान की मर्जी से कन्हैया कुमार को कांग्रेस join करवाया गया, तब मनीष तिवारी को ये रास नहीं आया. तिवारी ने कन्हैया कुमार की एंट्री पर सवाल खड़े किए और ट्वीट कर लिखा कि कुछ कम्युनिस्ट नेताओं के कांग्रेस में आने की अटकलें चल रही हैं. ऐसे में 1973 में छपी ‘कम्युनिस्ट इन कांग्रेस’ पढ़ी जानी चाहिए, चीजें जितनी बदलती हैं उतनी ही समान लगती हैं. इसके बाद सलमान खुर्शीद के किताब के समर्थन में राहुल गांधी खड़े हुए. तब भी मनीष तिवारी ने पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी को हिंदू और हिंदुत्व की बहस से दूर रहना चाहिए.

सिद्धू को कई बार ले चुके हैं निशाने पर

इसके अलावा हाल ही में जब करतारपुर साहिब के दौरे पर गए सिद्धू ने इमरान खान को भाई बताया तो  तिवारी ने पलटवार करते हुए लिखा कि 'भले ही इमरान किसी के भाई हों, लेकिन भारत के लिए वह पाकिस्तानी तंत्र के भीतर के ISI-सेना के उस गठजोड़ के मोहरा हैं, जो पंजाब में ड्रोन हथियार भेजता है और जम्मू-कश्मीर में एलओसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के इस पार रोजाना आतंकवादी भेजता है.’

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G-23 के नेता हैं तिवारी

बता दें, मनीष तिवारी को कैप्टन अमरिंदर सिंह के गुट का नेता कहा जाता है. इस लिहाज से उन्होंने सिद्धू को एक दो नहीं कई एक बार निशाने पर लिया है. हालांकि कांग्रेस पार्टी अपने इन बड़बोले नेताओं से परेशान है. मनीष तिवारी G-23 से भी जुड़े हैं. इस गुट के नेता आए दिन अपने बयानों से कांग्रेस की किरकिरी कराते रहते हैं. सवाल ये है कि कांग्रेस पार्टी में बयानों का ये लोकतंत्र जारी रहेगा या फिर आलाकमान इनको कोई कड़ा संदेश देगा.

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