विपक्ष के हंगामे के बीच लोक सभा में पेश की गई मिसाल, बना डाला ये अनोखा रिकॉर्ड
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विपक्ष के हंगामे के बीच लोक सभा में पेश की गई मिसाल, बना डाला ये अनोखा रिकॉर्ड

संसद का शीतकालीन सत्र में विपक्ष के हंगामे के बीच लोक सभा (Lok Sabha) में एक नई मिसाल पेश की गई है. इस मिसाल से लोक सभा में नया रिकॉर्ड बन गया है. 

फाइल फोटो

नई दिल्ली: संसद का शीतकालीन सत्र के शुरुआती कुछ दिन हंगामे में गुजरे. जहां एक तरफ राज्यसभा में 12 सांसदों का निलंबन हुआ. वहीं दूसरी तरफ इस निलंबन का असर लोक सभा (Lok Sabha) की कार्रवाई पर भी पड़ा और सदन को बार बार स्थगित तक करना पड़ा.

  1. स्पीकर ने सबको दिया बोलने का मौका
  2. स्पीकर की रही अहम भूमिका
  3. चर्चा को लेकर अलर्ट रहते हैं मंत्री

हालांकि लोक सभा में बुधवार को कई रिकॉर्ड भी बने. बुधवार को लोक सभा (Lok Sabha) की प्रोडक्टिविटी 117 फीसदी रही. जिसने दोनों सदनों में किसान बिल के रिपील करने पर हंगामा देखा हो. उसको इस एक दिन की उपलब्धि पर सहज भरोसा करना मुश्किल सा लगेगा. 

स्पीकर ने सबको दिया बोलने का मौका

दरसअल बुधवार को लोक सभा (Lok Sabha) में सांसदों का दिन रहा. लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला (Om Birla) की पहल पर जीरो ऑवर में जिस भी सांसद ने बोलना चाहा, सबको मौका दिया गया. यही कारण है कि बुधवार को लोक सभा मे जीरो ऑवर और एक बिल पर हुई बहस को मिलाकर 127 सांसदों ने अपनी बात रखी. इसमें 109 सदस्य जीरो ऑवर में बोले. 

बुधवार को पास हुए 'The Assisted Reproductive Technology (Regulation) Bill, 2020 पर 18 सदस्यों 
ने अपनी अपनी पार्टी का पक्ष रखा. बता दे कि जीरो ऑवर में सदस्य अपने अपने क्षेत्र की समस्यायों को सदन में रखते हैं. जिस पर संबंधित मंत्रालयों को उसका जवाब सदस्य को भेजना पड़ता है. 

स्पीकर की रही अहम भूमिका

सोमवार से शुरू हुए शीतकालीन सत्र की शुरुआती दो-तीन दिन हंगामे और शोरगुल में बीते. हालांकि बुधवार को स्पीकर ओम बिरला ने उसकी भरपाई करने के लिए दो बार जीरो ऑवर लिया. पहले दोपहर 12.09  से दोपहर 2.35 तक और फिर शाम को 6.29 से शाम 7.35 तक. यानी बुधवार को जीरो ऑवर में कुल 2 घंटे 33 मिनट का समय दिया गया. इसमें अलग अलग दलों के कुल 109 सदस्यों ने अपनी अपनी बातों को रखा. 

पीएम मोदी रखते हैं निगाह

यह भी जानना जरूरी है कि मोदी सरकार आने के बाद ज़ीरो ऑवर का महत्व बढ़ गया है. जानकारी के अनुसार पीएम मोदी ने अपने मंत्रियों को साफ साफ हिदायत दे रखी है कि सांसदों की ओर से उठाए जाने वाले विषयों पर सभी को गौर करना होगा. ये समस्याएं देश के कोने कोने की होती हैं. जैसे केरल का कोई सांसद अगर अपने क्षेत्र की कोई समस्या उठाता है तो उससे मालूम हो जाएगा कि उस क्षेत्र के लोगों को क्या चाहिये. उसी तरह से उत्तर पूर्व या पहाड़ी क्षेत्र का कोई सांसद किसी समस्या का जिक्र करता है तो उससे जानकारी मिल सकती है उन रिमोट क्षेत्रों के लोग क्या चाहते हैं.

 
चर्चा को लेकर अलर्ट रहते हैं मंत्री

वैसे हर मंत्रालय में संसद में उठने वाली बातों पर गौर करने के लिए मैकेनिज्म होता है. पर ये अधिकारियों के ऊपर निर्भर रहता था. वे सरकारी ढंग से जवाब बनाकर भेज देते थे. मंत्री को पता भी नही चलता था लेकिन पीएम मोदी के सख्त निर्देश के बाद अब सभी मंत्री खुद महत्वपूर्ण बातों की निगरानी करते हैं. सूत्रों के अनुसार पीएम मोदी कभी कभार किसी भी मंत्री से बैठक में जीरो ऑवर में उठे मुद्दे के बारे में पूछ लेते हैं. कभी कभार पीएमओ भी संबंधित मंत्रालय के बरिष्ठ अधिकारी से जानकारी मांग लेता है. 
 
इसलिये संसद में अधिकतर सदस्य ज़ीरो ऑवर में जरूर बोलना चाहते हैं. पिछले सत्रों में तो सांसद, जीरो ऑवर में अपनी बात रखने के लिये देर रात तक इंतजार करते रहे हैं. इसके लिए स्पीकर ओम बिरला ने भी सदन चलाने में समय की बाध्यता नहीं बनने दी.

सदन चलाने में स्पीकर की हुई तारीफ़

लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला (Om Birla) की सदन चलाने की काबिलियत की विपक्षी संसद भी तारीफ करते है. इसकी एक बानगी गुरुवार को देखने को मिली. द्रमुक के वरिष्ठ सांसद T R Balu ने सदन में हज यात्रियों की समस्या उठाई. कहा  कि तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के हज यात्रियों को केरल के कोच्चि से हवाई जहाज पकड़ना पड़ता है. स्पीकर ने अल्पसंख्यक और उड्डयन मंत्री को सदन में ही इस समस्या को हल करने के लिए निर्देशित किया. स्पीकर के इस कदम की T R Balu ने भी सराहना की. 

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इसी तरह कोविड चर्चा के दौरान एक क्षण के लिए सदन में किसी कैबिनेट मंत्री की मौजूदगी न देखकर लोक सभा अध्यक्ष (Om Birla) ने तुरंत संसदीय कार्य मंत्री को फोन लगा दिया. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने मंत्रियों और पार्टी सांसदों को कई बार हिदायत दे चुके है कि वे सदन में मौजूद रहें. यानी प्रधानमंत्री की खुद निगाह रखने और स्पीकर की सबको साथ लेकर चलने का ही नतीजा है कि बुधवार को सदन की प्रोडक्टिविटी एक दिन के लिए 117 फीसदी तक पहुंच गई. 

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