राज्यसभा में CAB पर चर्चा: गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष के हर सवाल का दिया जवाब, यहां पढ़ें
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राज्यसभा में CAB पर चर्चा: गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष के हर सवाल का दिया जवाब, यहां पढ़ें

नागरिकता संशोधन बिल 2019 लोकसभा में पास होने के बाद बुधवार को राज्यसभा में प्रस्तुत किया गया है. बिल पर चर्चा के दौरान विपक्षी नेताओं ने इसपर कई तरह के सवाल उठाए हैं. बिल पर वोटिंग से पहले गृहमंत्री अमित शाह विपक्ष की ओर से उठाए गए सारे सवालों का जवाब दिया.

नागरिकता संशोधन बिल 2019 पर गृहमंत्री अमित शाह ने सभी सवालों का जवाब दिया.

नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन बिल 2019 (Citizenship Amendment Bill 2019) लोकसभा में पास होने के बाद बुधवार को राज्यसभा में प्रस्तुत किया गया है. बिल पर चर्चा के दौरान विपक्षी नेताओं ने इसपर कई तरह के सवाल उठाए हैं. बिल पर वोटिंग से पहले गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) विपक्ष की ओर से उठाए गए सारे सवालों का जवाब दिया. विपक्ष की ओर से राज्यसभा में बिल में संशोधन के लिए 14 प्रस्ताव दिए गए. बिल को सलेक्ट समिति में भेजने के पक्ष में वोटिंग कराई गई, जिसमें सरकार की जीत हुई है. इस बिल को सलेक्ट समिति में भेजने के पक्ष में 99 और नहीं भेजने के पक्ष में 124 वोट पड़े. 

अमित शाह (Amit Shah) ने कहा कि अगर देश का बंटवारा नहीं होता तो यह बिल कभी भी नहीं लाना पड़ता. देश के बंटवारे के बाद जो परिस्थितियां आईं, उनके समाधान के लिए मैं ये बिल आज लाया हूं. पिछली सरकारें समाधान लाईं होती तो भी ये बिल न लाना होता. 

उन्होंने कहा कि नेहरू-लियाकत समझौते के तहत दोनों पक्षों ने स्वीकृति दी कि अल्पसंख्यक समाज के लोगों को बहुसंख्यकों की तरह समानता दी जाएगी, उनके व्यवसाय, अभिव्यक्ति और पूजा करने की आजादी भी सुनिश्चित की जाएगी, ये वादा अल्पसंख्यकों के साथ किया गया. लेकिन वहां लोगों को चुनाव लड़ने से भी रोका गया, उनकी संख्या लगातार कम होती रही. और यहां राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, चीफ जस्टिस जैसे कई उच्च पदों पर अल्पसंख्यक रहे. यहां अल्पसंख्यकों का संरक्षण हुआ है.

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पढ़ें अमित शाह (Amit Shah) की कही गई मुख्य बातें-:
- मैं पहली बार नागरिकता के अंदर संशोधन लेकर नहीं आया हूं, कई बार हुआ है. जब श्रीलंका के लोगों को नागरिकता दी तो उस समय बांग्लादेशियों को क्यों नहीं दी? जब युगांड़ा से लोगों को नागरिकता दी तो बांग्लादेश और पाकिस्तान के लोगों को क्यों नहीं दी?

- आज नरेन्द्र मोदी जी जो बिल लाए हैं, उसमें निर्भीक होकर शरणार्थी कहेंगे कि हाँ हम शरणार्थी हैं, हमें नागरिकता दीजिए और सरकार नागरिकता देगी.
जिन्होंने जख्म दिए वो ही आज पूछते हैं कि ये जख्म क्यों लगे.

- जब इंदिरा जी ने 1971 में बांग्लादेश के शरणार्थियों को स्वीकारा, तब श्रीलंका के शरणार्थियों को क्यों नहीं स्वीकारा. समस्याओं को उचित समय पर ही सुलझाया जाता है. इसे राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए.

- अनुच्छेद 14 में जो समानता का अधिकार है वो ऐसे कानून बनाने से नहीं रोकता जो reasonable classification के आधार पर है.

- यहां reasonable classification आज है. हम एक धर्म को ही नहीं ले रहे हैं, हम तीनों देशों के सभी अल्पसंख्यकों को ले रहे हैं और उन्हें ले रहे हैं जो धर्म के आधार पर प्रताड़ित है.

- दो साथी संसद को डरा रहे हैं कि संसद के दायरे में सुप्रीम कोर्ट आ जाएगी. कोर्ट ओपन है. कोई भी व्यक्ति कोर्ट में जा सकता है. हमें इससे डरना नहीं चाहिए. हमारा काम अपने विवेक से कानून बनाना है, जो हमने किया है और ये कानून कोर्ट में भी सही पाया जाएगा.

- कांग्रेस पार्टी अजीब प्रकार की पार्टी है. सत्ता में होती है तो अलग-अलग भूमिका में अलग-अलग सिद्धांत होते हैं. हम तो 1950 से कहते हैं कि अनुच्छेद 370 नहीं होना चाहिए.

- कपिल सिब्बल साहब कह रहे थे कि मुसलमान हमसे डरते हैं, हम तो नहीं कहते कि डरना चाहिए. डर होना ही नहीं चाहिए. देश के गृह मंत्री पर सबका भरोसा होना चाहिए. ये बिल भारत में रहने वाले किसी भी मुसलमान भाई-बहनों को नुकसान पहुंचाने वाला नहीं है.

- कांग्रेस के एक संकल्प को मैं पढ़ता हूं- 'कांग्रेस पार्टी पाकिस्तान के उन सभी गैर मुस्लिमों को पूर्ण सुरक्षा देने के लिए बाध्य है जो उनकी उनके जीवन और सम्मान की रक्षा के लिए सीमा के उस पार से भारत आए हैं, या आने वाले हैं.' आज आप अपने ही संकल्प को नहीं मान रहे हैं.

- डॉ. मनमोहन सिंह ने भी पहले इसी सदन में कहा था कि वहां के अल्पसंख्यकों को बांग्लादेश जैसे देशों में उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है. अलग उनको हालात मजबूर करते हैं तो हमारा नैतिक दायित्व है कि उन अभागे लोगों को नागरिकता दी जाए.

- पहले भी निश्चित समस्या के समाधान के लिए भारत सरकार ने नागरिकता के मामले पर निर्णय लिया है. इस बार भी तीन देशों में धार्मिक प्रताड़ना के शिकार लोगों के लिए ही तीन देशों को शामिल किया गया है. इसमें किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया गया है.

- शिवसेना ने कल लोकसभा में इस बिल का समर्थन किया था. महाराष्ट्र की जनता जानना चाहती है कि रात में ही ऐसे क्या हुआ कि उन्होंने आज अपना स्टैंड बदल दिया?

- इतिहास तय करेगा कि 70 साल से लोगों को भगवान के भरोसे छोड़ दिया था. इसको न्याय नरेन्द्र मोदी जी ने दिया, इतिहास इसको स्वर्ण अक्षरों से लिखेगा.

- लाखों-करोड़ों लोग नर्क की यातना में जी रहे थे. क्योंकि वोट बैंक के लालच के अंदर आंखे अंधी हुई थी, कान बहरे हुए थे, उनकी चीखें नहीं सुनाई पड़ती थी. नरेन्द्र मोदी जी ने केवल और केवल पीड़ितों को न्याय करने के लिए ये बिल लेकर आए हैं.

- इस बिल में मुसलमानों का कोई अधिकार नहीं जाता. ये नागरिकता देने का बिल है, नागरिकता लेने का बिल नहीं है. मैं सबसे कहना चाहता हूं कि भ्रामक प्रचार में मत आइए. इस बिल का भारत के मुसलमानों की नागरिकता से कोई संबंध नहीं है.

- मुझे idea of India समझाने का प्रयास करते हैं. मेरी तो सात पुश्ते यहां जन्मी हैं, मैं विदेश से नहीं आया हूं. हम तो इसी देश में जन्में हैं, यहीं मरेंगे.

- कांग्रेस के नेताओं के बयान और पाकिस्तान के नेताओं के बयान कई बार घुल-मिल जाते हैं. कल ही पाकिस्तान के पीएम ने जो बयान दिया और आज जो इस सदन में बयान दिए गए हैं, वो एक समान हैं.

- एयर स्ट्राइक के लिए जो पाकिस्तान ने बयान दिए वो और कांग्रेस के नेताओं के बयान एक समान हैं. सर्जिकल स्ट्राइक के समय जो बयान पाकिस्तान के नेताओं और कांग्रेस के नेताओं ने दिए वो एक समान हैं.

- मैं जो बिल लेकर आया हूं वो किसी की भावना को आहत करने के लिए नहीं है. किसी भी धर्म समुदाय के लोगों को दुखी करने के लिए नहीं है.

- 2013-14 में कांग्रेस सरकार के अंतिम बजट में अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए 3,500 करोड़ रुपये थे. नरेन्द्र मोदी जी की सरकार में 2019-20 में 4,700 करोड़ रुपये दिए गए. हमारे देश का राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति जैसे उच्च पदों पर अल्पसंख्यक आसीन हो सकता है.

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