Amit Shah on BNS: मोदी सरकार की ओर से देश में लाए नए फौजदारी कानूनों में देश का संविधान नहीं मानने अपराधियों पर कड़ी सजा के प्रावधान किए गए हैं. ऐसे लोगों की सजा कम करवाने के लिए अब गैर-सरकारी संगठन कोई अर्जी नहीं दे सकेंगे.
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Amit Shah on BNS in Rajya Sabha: देश में लागू आईपीसी और सीआरपीसी के स्थान पर केंद्र की ओर से लाए गए तीन विधेयकों को गुरुवार को राज्यसभा में पास हो गए. इससे एक दिन पहले बुधवार को उन्हें लोकसभा में पास किया गया था. राज्यसभा में बिल पेश करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने दया याचिका पर अहम बात कही. उन्होंने कहा कि अब राष्ट्रपति से सजा कम करवाने के लिए दोषियों को खुद अपील करनी होगी. उनकी जगह पर कोई एनजीओ या दूसरे व्यक्ति राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दायर नहीं कर सकेंगे.
'संविधान को नहीं मानते तो चढ़िए फांसी पर'
उन्होंने कहा, 'अब गंभीर अपराधों में खुद दोषी को अपने गुनाहों की माफी मांगते हुए राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दायर करनी होगी. उनके स्थान पर कोई एनजीओ या अन्य व्यक्ति इस तरह की अर्जी नहीं दे सकते. जो लोग भारत के संविधान को ही नहीं मानते, उन पर तो दया याचिका वैसे ही लागू नहीं होती. जब आप संविधान ही नहीं मानते तो चढ़िए फांसी पर.'
'भगौड़े अपराधियों को भी मिलेगी सख्त सजा'
नए फौजदारी विधेयकों पर बोलते हुए अमित शाह ने कहा, 'बम धमाके कर के कहीं न कहीं छिप कर बैठे हैं. सजा होते ही अंतरराष्ट्रीय कानून के काऱण उसे भेजने की बाध्यता होती है. मुंबई धमाके में धमाका कर के कोई कहीं जाकर छिप कर बैठ जाता है. अगर फांसी की सजा होती है तो, दूसरों के मन में भय आता है. हजारों करोड़ देश का लूट कर बैठे हुए हैं. उनका ट्रायल भी होगा और सजा भी मिलेगी.'
'समय पर न्याय मिलना ही इंसाफ'
गृह मंत्री ने कहा, 'समय पर न्याय मिलना ही उचित न्याय है. सबसे कम मॉब लिंचिंग मोदी सरकार में हुई है. गैर- इरादातन हत्या की धारा बदलाव किया गया है.. हिट एंड रन केस में 10 साल का प्रवाधान किया गया है.'
'कांग्रेस की सरकार में दुरुपयोग'
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, 'जब जब कांग्रेस सत्ता में आते थी तो आईपीसी की धारा- 124 का उपयोग करते थे. यह धारा राजद्रोह से जुड़ी है लेकिन जब सत्ता से बाहर होते थे तो इसका विरोध करते थे. आज ये धारा समाप्त हो रही है. पहले IPC 324A, सरकार के खिलाफ काम करने पर लगती थी. अब BNS में धारा- 152 भारत की एकता अखंडता संप्रभुता के खिलाफ काम करने वालों पर अमल में लाई जाएगी.'
उन्होंने कहा कि सुनवाई और सजा पर फैसला सुरक्षित रखने के बाद जज अब असीमित समय तक डिसीजन रोक कर नहीं रख पाएंगे. नए कानूनों में प्रावधान किया गया है कि फैसला सुरक्षित रखने के 45 दिनों के अंदर जज को अपना डिसीजन सुनाना होगा. वे इसमें डिले नहीं कर सकते.
'तय की गई आतंकवाद की परिभाषा'
गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कहा, 'राजद्रोह अब देशद्रोह हो गया है. 4 दशक का आतंकवाद का दंश झेलने के बाद आतंकवाद का DEFINITION तय किया है. अब तारीख पर तारीख नहीं होगी, 3 साल में न्याय का प्रावधान कर दिया गया है. अगर देश के खिलाफ गलत काम करोगे तो कठोर सजा होगी.'
गृह मंत्री ने कहा, 'इन विधेयकों के लागू होने के बाद FIR से लेकर JUDGEMENT तक सारी प्रक्रिया ONLINE हो जाएगी. यह भी व्यवस्था की गई है कि तीन साल में पीड़ित को न्याय मिल जाए. यह विश्व की आधुनिक और वैज्ञानिक न्यायिक प्रणाली होगी.'