मुगल शासक औरंगजेब के भाई की कब्र तलाश रहा भारतीय पुरातत्व विभाग, जानिए क्या है पूरा मामला
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मुगल शासक औरंगजेब के भाई की कब्र तलाश रहा भारतीय पुरातत्व विभाग, जानिए क्या है पूरा मामला

मुगल शासक औरंगजेब के खानदान से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है. भारतीय पुरातत्व विभाग इतिहास के पन्नों में दफन दारा शिकोह की कब्र की तलाश कर रहा है. 

औरंगजेब

नई दिल्ली: मुगल शासक औरंगजेब के खानदान से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है. भारतीय पुरातत्व विभाग इतिहास के पन्नों में दफन दारा शिकोह की कब्र की तलाश कर रहा है. ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि मुगल सम्राट औरंगजेब के भाई दारा शिकोह को इतिहास में जो स्थान मिलना चाहिए था वह असल में नहीं मिला.

माना जाता है कि हुमायूं के मकबरे में मुगल खानदान के सदस्यों की जो कब्र मौजूद है, उन्हीं में से एक दारा शिकोह की कब्र भी है. केंद्रीय पर्यटन राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल ने इसके लिए पुरातत्व विभाग के विद्वानों की एक कमेटी बनाई है जिसमें 7 सदस्य हैं. ये कमेटी तथ्यों के आधार पर पड़ताल करेगी कि असल में हुमायूं के मकबरे में जितनी भी कब्र मौजूद हैं इनमें से कौनसी कब्र दारा शिकोह की है. 

बता दें कि दारा शिकोह का जन्म 20 मार्च 1615 ईसवी में हुआ था. दारा शिकोह मुगल सम्राट शाहजहां का बड़ा बेटा था जिसके तीन छोटे भाई और थे उनमें औरंगजेब प्रमुख था. दारा शिकोह के बारे में कहा जाता है कि वह सभी धर्मों और मजहबों का आदर करता था और हिंदू धर्म दर्शन व ईसाई धर्म में विशेष दिलचस्पी रखता था.

दारा शिकोह के उदार विचारों से नाराज होकर कट्टरपंथी मुसलमानों ने उस पर इस्लाम के खिलाफ आस्था फैलाने का आरोप लगाया. इस परिस्थिति का फायदा दारा के तीसरे भाई औरंगजेब ने उठाया. दारा ने 1653 में कंधार की तीसरी घेराबंदी में भाग लिया था. वह इस अभियान में विफल रहा लेकिन अपने पिता का भरोसेमंद बना रहा,1657 में शाहजहां बीमार पड़े तो वह उसके पास ही मौजूद रहता था. दारा की उम्र उस समय 43 वर्ष थी. दारा उत्तराधिकार पाने की उम्मीद रखता था लेकिन तीनों छोटे भाइयों खासकर औरंगजेब ने उसके दावे का विरोध किया.

दारा शिकोह ना सिर्फ संस्कृत, फारसी का विद्वान था बल्कि सभी धर्मों में सामंजस्य बनाने का पैरोकार था. दारा शिकोह को उत्तराधिकार के लिए अपने भाइयों के साथ युद्ध करना पड़ा. 29 मई 1658 को समुगढ़ के युद्ध में पराजय का मुंह देखने के बाद दारा के लिए आगरा वापस लौटना संभव नहीं था. इसलिए वह एक शरणार्थी बनकर अपनी जान बचाने के लिए राजपूताना और कच्छ होता हुआ सिंध की तरफ भागा. 

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यहां दारा की बेगम की मौत हो गई. इस बीच दारा ने अफगान सरदार जीवन खान का आतिथ्य स्वीकार किया लेकिन मलिक ने उसके साथ गद्दारी की और उसे औरंगजेब की फौज के हवाले कर दिया. दारा को बंदी बनाकर दिल्ली लाया गया, जहां औरंगजेब के आदेश पर उसे अधिकारी की पोशाक में एक छोटी सी हथनी पर बैठाकर सड़कों पर घुमाया गया. इसके बाद महिलाओं के सामने उसके खिलाफ मुकदमा चलाया गया. धर्म के अभियान में मुल्लो ने उसे मौत की सजा दे दी.

30 अगस्त 1659,  कुछ इतिहासकार इसको 9 सितंबर 1659 भी बताते हैं, के दिन दारा शिकोह का सिर काट दिया गया. दारा का बड़ा पुत्र सुलेमान पहले से ही औरंगजेब का बंदी था. 1662 में औरंगजेब ने जेल में उसकी हत्या कर दी. दारा के दूसरे पुत्र को बख्श दिया गया जिसकी शादी बाद में औरंगजेब की तीसरी लड़की से हुई. 

दारा शिकोह ने गीता का फारसी में अनुवाद किया और 52 उपनिषदों का भी अनुवाद किया. उसके उदार स्वभाव के चलते कट्टरपंथी तबका उसके पीछे पड़ गया, जिसका फायदा औरंगजेब ने भी उठाया. 

दारा शिकोह के सर्वधर्म समभाव और उदार चरित्र के कारण सरकार अब दारा शिकोह की कब्र और उसका इतिहास बताकर उसे हिंदुस्तान के सामने लाना चाहती है. दारा शिकोह भारतीय दर्शन और संस्कृति से बहुत प्रभावित था और वह धर्मों से सामंजस्य कर बात करता लेकिन कट्टरपंथियों को यह बात पसंद नहीं आती थी. 

अब सरकार ने 7 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है जो 3 महीने के भीतर दारा की कब्र का पता लगाएगी. पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा है कि जरूरत पड़ने पर समिति को और वक्त दिया जाएगा. 

हालांकि पुरातत्व विभाग के लिए कब्र खोजना इतना आसान नहीं होगा क्योंकि हुमायूं के मकबरे में जितनी भी कब्र मौजूद हैं, उनमें अधिकतर में किसी के भी नाम का उल्लेख नहीं है. शाहजहांनामा में लिखा है कि औरंगजेब से हारने के बाद दारा का सिर काटकर आगरा किले में भेजा गया था और बाकी को हुमायूं के मकबरे के पास कहीं दफनाया गया था. यहां ज्यादातर कब्रों पर किसी का नाम नहीं लिखा है. यह सारी खबरें मुगल शासकों के रिश्तेदारों की हैं इसलिए पुरातत्व विभाग के लिए कब्र खोजना आसान नहीं है. 

हालांकि पुरातत्व विभाग के डायरेक्टर रहे केके मोहम्मद कहते हैं कि दारा की कब्र खोजना कुछ मुश्किल जरूर है लेकिन 1652 के आसपास की स्थापत्य शैली के आधार पर एक छोटी कब्र को चयनित किया गया है क्योंकि इन कब्रों पर कुछ लिखा नहीं है इसलिए यह मुश्किल काम लग रहा है. 7 सदस्यों वाली कमेटी में के के मोहम्मद के अलावा डॉ आर एस बिष्ट, बीआर मणि, डॉक्टर के एन दीक्षित, डॉ बीएम पांडे, डॉ हाजी जमाल हसन और अश्विनी अग्रवाल शामिल हैं. 

हालांकि हुमायूं के मकबरे में चबूतरे पर मुगल शाही परिवार की जितनी कब्र मौजूद हैं उसमें एक ही कब्र इस तरह से बनी है जो दो हिस्सों में है यानी जिसमें धड़ का हिस्सा अलग है और सिर का हिस्सा अलग. उस आधार पर यह माना जा रहा है कि ये दारा शिकोह की कब्र है, क्योंकि मुगल सम्राट औरंगजेब ने दारा का सिर कलम कर दिया था. 

हालांकि आधिकारिक रूप से पुरातत्व विभाग की कमेटी ही ये तय करेगी कि हुमायूं के मकबरे में आखिर दारा शिकोह की कब्र कौन सी है, और कब्र मिलने के बाद सरकार की कोशिश यह होगी कि भारतीय इतिहास में दारा शिकोह का जितना योगदान रहा है, उसके लिहाज से गौरवशाली इतिहास में उसको जगह मिले. 

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