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नई दिल्ली: चीन (China) की माकूल हरकतों का जवाब देने के लिए भारत (India) पूरी तैयारी में जुटा हुआ है. इसी के तहत अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के नूरानांग में सेला सुरंग (Sela Tunnel) का निर्माण किया जा रहा है. इस सुरंग के पूरा होते ही भारतीय सेना का तवांग तक पहुंचना और हथियारों की आवाजाही बेहद आसान हो जाएगी. सेला सुरंग को पूरे साल तवांग को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
13,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित इस सुरंग के बनने के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) तक सैनिकों और हथियारों को जल्दी और आसानी से पहुंचाने में मदद मिलेगी. यह सुरंग सेला दर्रे से होकर गुजरती है और उम्मीद है कि इस परियोजना के पूरा होने पर तवांग के जरिए चीन सीमा तक की दूरी कुछ किलोमीटर कम हो जाएगी. परियोजना निदेशक कर्नल परीक्षित मेहरा (Colonel Parikshit Mehra) ने बताया कि बालीपारा-चारद्वार-तवांग (बीसीटी) रोड पर 700 करोड़ रुपये की लागत से बन रही सुरंग का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद यह 13,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर बनने वाली दुनिया की सबसे लंबी दो लेन की सुरंग होगी.
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सुरंग का निर्माण नूरानांग इलाके में हो रहा है. दिसंबर, जनवरी और फरवरी के महीने में कड़ाके की सर्दियों के दौरान यहां भारी बर्फबारी होती है, जिसके कारण सैनिकों और हथियारों की आवाजाही प्रभावित होती है. वहीं, पूर्वी लद्दाख में सीमा पर भारत और चीन के बीच जारी गतिरोध के कारण सैनिकों और हथियारों की आवाजाही को तेज बनाने पर फोकस किया जा रहा है. 1.55 किलोमीटर लंबी और 13,700 फीट की ऊंचाई पर बन रही ये सुरंग अपने आखिरी चरण में पहुंच चुकी है. उम्मीद है कि 2022 तक यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा.
इस सुरंग को नए ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड का इस्तेमाल करके बनाया जा रहा है. इसके बन जाने से आसानी से तवांग पहुंचा जा सकेगा. यह टनल हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी. कर्नल मेहरा ने बताया कि नूरानांग में बन रही 1.55 किलोमीटर लंबी सुरंग तवांग और वेस्ट कामेंग जिलों के बीच की यात्रा दूरी को छह किलोमीटर और यात्रा समय को कम से कम एक घंटा कम कर देगी. बता दें कि रंग का निर्माण एक अप्रैल, 2019 को शुरू हुआ था.