Atiq Ahmed Murder Case: अतीक-अशरफ को मारने के लिए किसने भेजा था, तीनों हत्यारे उगलेंगे राज? पुलिस ने दी रिमांड की अर्जी
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Atiq Ahmed Murder Case: अतीक-अशरफ को मारने के लिए किसने भेजा था, तीनों हत्यारे उगलेंगे राज? पुलिस ने दी रिमांड की अर्जी

Atiq Ahmed Murder Case: माफिया सरगना अतीक अहमद और उसके खूंखार भाई अशरफ अहमद को पुलिस कस्टडी में मारने की सुपारी किसने दी थी. यह अब साफ हो सकता है. प्रयागराज पुलिस ने अतीत-अशरफ के तीनों हत्यारों का रिमांड मांगने के लिए कोर्ट में अर्जी दी है. 

Atiq Ahmed Murder Case: अतीक-अशरफ को मारने के लिए किसने भेजा था, तीनों हत्यारे उगलेंगे राज? पुलिस ने दी रिमांड की अर्जी

Atiq Ahmed Murder Case Latest Updates: प्रयागराज समेत पूरे यूपी में खौफ का दूसरा नाम रहा अतीक अहमद अपने दुराचारी भाई अशरफ अहमद के साथ अब मिट्टी में मिल चुका है. उसके आर्थिक साम्राज्य को भी लगातार ध्वस्त किया जा रहा है. इसी बीच माफिया सरगना अतीक और अशरफ हत्याकांड से जुड़ी बड़ी ख़बर सामने आई है. यूपी पुलिस की ओर से गठित की गई एसआईटी ने प्रयागराज की सीजेएम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर अतीक की हत्या करने वाले तीनों आरोपियों की कस्टडी रिमांड मांगी है. इस अर्जी पर आज यानी बुधवार को सुनवाई होने की उम्मीद है. 

शनिवार रात हुई थी अतीक-अशरफ की हत्या

बता दें कि शनिवार रात मेडिकल जांच के लिए प्रयागराज के जिला अस्पताल पहुंचे अतीक अहमद और उसके भाई पर लवलेश तिवारी, सनी और अरुण मौर्य ने आधुनिक हथियारों के साथ ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई थीं. तीनों हमलावर मीडियाकर्मी के रूप में घटनास्थल पर पहुंचे थे, जिससे मीडिया समेत अतीक की सुरक्षा में मौजूद पुलिसकर्मियों को उन पर कोई शक नहीं हुआ. इसके बाद तीनों हमलावरों ने तुर्की मेड आधुनिक पिस्तौलें निकालकर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं. 

तीनों ने 40 सेकंड में 18 गोलियां दागीं, जिससे अतीक और अशरफ (Atiq Ahmed Murder Case) की वहीं मौत हो गई. इसके साथ ही दोनों माफिया ब्रदर्स का आतंकराज भी प्रयागराज से हमेशा के लिए खत्म हो गया. वारदात के तुरंत बाद तीनों हमलावरों ने हाथ ऊपर करके सरेंडर कर दिया था, जिसके बाद पुलिस कर्मियों ने उन्हें दबोच लिया. तीनों को गिरफ्तार करके पहले प्रयागराज की नैनी जेल में रखा गया था लेकिन वहां पर अतीक गैंग के गुर्गे बंद हैं, इसलिए तीनों की सुरक्षा को देखते हुए उन्हें प्रतापगढ़ की जेल में शिफ्ट कर दिया गया. 

नेता दाग रहे सियासी तीर

इस घटना के बाद से राजनेताओं की बयानबाजी लगातार जारी है. यूपी के पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा, 'अब जनता राज करेगी और अपराधी डरेंगे. इस समय देखिए पहले अपराधी राज करते थे और जनता डरा करती थी लेकिन अब जनता राज करेगी अपराधी डरेंगे.' 

वहीं एनसीपी के अध्यक्ष महाराष्ट्र के दिग्गज राजनेता शरद पवार ने कहा, 'कानून को हाथ में लेकर, कानून के विरोध में बातें होती है. यह देश के लिए अच्छा नहीं है. शांति और अमन को सहयोग देने वाला माहौल कैसा रहेगा. मुल्क की भलाई के लिए एकता का संदेश घर घर पहुंचाने की जरूरत है. देश चलता है संविधान और कानून व्यवस्था से. अगर हम इसके विरोध में गए तो गलत रास्ते पर पहुंच जाएंगे.' 

कांग्रेस के बड़बोले नेता दिग्विजय सिंह भी अतीक-अशरफ की हत्या (Atiq Ahmed Murder Case) पर अपनी प्रतिक्रिया देने से पीछे नहीं रहे. दिग्विजय सिंह ने कहा, 'अतीक ने हिंदुओ से ज्यादा मुस्लिमों को प्रताड़ित किया. अतीक और उनका परिवार आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है. अतीक के गैंग ने हिंदुओं से ज्यादा मुस्लिमों को प्रताड़ित किया है. बेटे का एनकाउंटर तो पुलिस ने किया लेकिन पुलिस कस्टडी में हत्या होने पर पुलिस की जिम्मेदारी है. जांच एजेंसियों को जांच करनी चाहिए किन किन से अतीक से संबंध थे. इसका खुलासा होना चाहिए. माफिया का हेड तो गया, अब बाकी माफिया तंत्र खत्म होना चाहिए.' 

माफिया का नामोंनिशान मिटाने की तैयारी

इन बयानबाजियों से अलग सरकारी तंत्र अब अतीक गैंग (Atiq Ahmed) के बचे-खुचे अवशेषों का नामोंनिशान मिटाने में लगा है. सूत्रों के मुताबिक अतीक अहमद के 7 हजार से ज्यादा बेनामी संपत्तियों और 700 बैंक खातों का पूरा खेल अब बेनकाब होने जा रहा है. सूत्रों का कहना है कि अतीक अहमद ने बड़े सुनियोजित तरीके से शेल कंपनियां खुलवाकर उनमें अपनी काली कमाई को इन्वेस्ट किया. उन शेल कंपनियों के माध्यम से खरीदी गई बेनामी संपत्तियों के 700 पेज अब ईडी के हाथ लग गए हैं. एजेंसी की जांच में रिहायशी संपत्तियों के अलावा खेती की जमीनों के दस्तावेज भी शामिल हैं. 

जानकारों का कहना है कि अतीक अहमद (Atiq Ahmed) ने अपने राजनीतिक रसूख और आतंक के बलबूते करीबियों के नाम बाजार मूल्य से काफी कम कीमत पर संपत्तियां जुटाई. इनमें से 700 करोड़ से ज्यादा की रकम अभी तक बेनकाब हो चुकी है. ये शेल कंपनियां रेलवे, प्रयागराज विकास प्राधिकरण, नगर निगम, लोक निर्माण विभाग समेत तमाम सरकारी ठेके जबरन हासिल कर लेती थीं. 

काले धन को खपाने के लिए शेल कंपनियों का इस्तेमाल

ईडी को अवैध वसूली, काले धन को खपाने के लिए शेल कंपनियों के इस्तेमाल और किसानों की जमीन पर जबरन कब्जे के अहम दस्तावेज भी मिले हैं. इन दस्तावेजों में कई रजिस्टर ऐसे भी हैं, जिनमें डरा-धमका कर की गई अवैध वसूली का पूरा हिसाब रखा गया है. इनमें जिस व्यक्ति से वसूली की गई, उसका नाम भी है और जिसके माध्यम से वसूली के पैसे आए थे उसका भी नाम है. ईडी इन रजिस्टरों की पड़ताल कर रही है और उसके आधार पर संबंधित लोगों से पूछताछ करेगी. इन्हीं शेल कंपनियों के मार्फत माफिया सरगना काली कमाई को सफेद बनाने का काम करता था.

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